जानें-नवबर्ष के उत्सव पर क्यों सूनी रही बुद्धस्थली, मंदिरों पर कड़े पहरे, नहीं खुली दुकानें Gorakhpur News
वर्ष 2020 का पहला दिन बुधवार को कानून व्यवस्था के नाम दर्ज हुआ अन्यथा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी।
गोरखपुर, जेएनएन। नवबर्ष के स्वागत में बौद्ध तीर्थ स्थली कुशीनगर में जुटने वाली लाखों की भीड़ पर प्रशासनिक सख्ती भारी पड़ी है। चौकस पुलिस व्यवस्था में कहीं भी भीड़ नहीं दिखाई पड़ी।
नव वर्ष के मेले पर लगा प्रतिबंध
वर्ष 2020 का पहला दिन बुधवार को कानून व्यवस्था के नाम दर्ज हुआ, अन्यथा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर प्रदेश भर में बरती जा रही चौकसी और लागू धारा 144 के दौरान कुशीनगर के नवबर्ष मेले में जुटने वाली लाखों की भीड़ को संभालना पुलिस के लिए चुनौती हो गई थी। विमर्श के बाद प्रशासन ने मेले पर प्रतिबंध लगाने और इसका कड़ाई से अनुपालन करने का निर्णय लिया। जनपद स्तर पर मेले पर रोक और मेले में कुशीनगर नहीं आने का प्रचार-प्रसार भी कराया गया। पड़ोसी जनपदों के साथ-साथ बिहार प्रांत के जनपदों में भी वहां के प्रशासन से समन्वय बनाकर भीड़ रोकने की कोशिश शुरू की गई। कुशीनगर में आज के दिल गोरखपुर व बस्ती मंडल सहित बिहार के चंपारण, बगहां, गोपालगंज व सिवान जनपद से लाखों की संख्या में लोग एकत्रित होते थे। खानपान के साथ डांस का दौर चलता था। एक तरह से कुशीनगर नए साल का लुत्फ उठाने के लिए लोगों का पसंदीदा स्थान बन गया था।
ड्रोन व सीसी कैमरे की नजर में रही बुद्ध स्थली
नवबर्ष के मेले में भीड़ नहीं आने देने के लिए प्रशासन ने कड़ी व्यवस्था की थी। प्रवेश के 16 स्थानों पर बैरियर/बैरिकेडिंग लगाकर पुलिस कर्मी तैनात किए ही गए थे। ड्रोन व सीसी टीवी कैमरे के माध्यम से चप्पे-चप्पे की निगरानी की जा रही थी। सीओ कसया शिव स्वरूप के पर्यवेक्षण में पूरे पर्यटन जोन को तीन सेक्टर में बांटकर निरीक्षक स्तर के प्रभारी, 40 एसआई, 50 महिला व 150 पुरुष कांस्टेबल,एक प्लाटून पीएसी, अग्नि शमन दस्ता, डाग स्क्वायड, खुफिया पुलिस के साथ-साथ पर्याप्त संख्या में सिविल ड्रेस में सुरक्षा कर्मियों को लगाया गया था। नशेड़ियों की जांच के लिए सुरक्षाकर्मी माउथ एनलाइजर भी लिए थे। निगरानी की कमान ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिषेक पांडेय और सीआे शिव स्वरूप के हाथ थी तो एसएचआे ज्ञानेंद्र कुमार राय विभिन्न थानों की पुलिस एवं पीएसी फोर्स के साथ मुस्तैद रहे। पूरे कुशीनगर क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों का पहरा रहे। अधिकारी देर शाम तक जमे रहे। तहसीलदार दीपक गुप्त, ईआे प्रेमशंकर गुप्त, चौकी प्रभारी निरंजन कुमार राय, ब्रजेश मणि त्रिपाठी, हरिशंकर सिंह, अरविंद पति त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।
बंद रहे बुद्ध मंदिर
विदेशी पर्यटकों को छोड़कर आम जन के लिए कुशीनगर के बौद्ध बिहार भी बंद रहे। पुरातात्विक महत्व के स्थल खुले तो रहे परंतु निगरानी कड़ी रही। थाई बुद्धिस्ट मोनास्ट्री, श्रीलंका जापान बुद्ध मंदिर, म्यांमार बुद्ध मंदिर सहित महत्व के स्थानों पर बुद्ध विहार कर्मियों व पुलिस की संयुक्त टीम बनाकर केवल विदेशी पर्यटकों की आवाजाही बरकरार रखी गई।
प्रतिबंध के बावजूद कुछ ने किया दर्शन
प्रशासन की सख्ती के बावजूद कुछ लोग मंदिरों का दर्शन करने में कामयाब रहे। यह अलग बात रही कि काफी अनुनय-विनय के बद सुरक्षा कर्मियों ने गहन जांच पड़ताल के बाद इन्हें अंदर जाने की अनुमति इस शर्त पर दी कि वे मंदिर दर्शन के बाद सीधे घर लौट जाएंगे जो अंदर जाने में सफल रहे। वह अपने को भाग्यशाली समझे। मौका मिला तो युवतियों ने सेल्फी लेने का भी आनंद उठाया।
मिली जुली रही प्रतिक्रिया
एएसआइ कुशीनगर के संरक्षण सहायक अविनाश चंद त्रिपाठी का कहना है कि प्रशासन द्वारा मेले पर लगाई गई पाबंदी पुरातात्विक दृष्टि से बिल्कुल सही रही। भीड़ के कारण स्मारकों के साथ-साथ उद्यान का भारी नुकसान होता है। बिरला धर्मशाला के प्रबंधक विरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान हालात को देखते हुए सुरक्षा जरूरी थी लेकिन इतनी सख्ती भी ठीक नहीं। यह शांति और करूणा का संदेश देने वाले तथागत की परिनिर्वाण स्थली है। श्रद्धालुआें को मायूसी हुई है।