उत्पीड़न के खिलाफ सड़क पर उतरेंगे सपा कार्यकर्ता, 21 को सभी तहसीलों में सौंपेंगे ज्ञापन Garekhpur News
पूर्व सीएम अखिलेश यादव के निर्देश पर सभी जिलों में सोमवार को जिला प्रशासन को राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा जाएगा।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर सभी जिलों में सोमवार को जिला प्रशासन को राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा जाएगा। इस ज्ञापन के माध्यम से सपाई स्वास्थ्य सेवाओं में अनियमितता, भ्रष्टाचार और सरकारी उत्पीड़न में वृद्धि, बेहाल किसान, बेरोजगारी और ध्वस्त कानून व्यवस्था का विरोध करेंगे।
सरकार की गलत नीतियों के चलते उत्पन्न हो रही अराजकता की स्थिति: जिलाध्यक्ष
बेतियाहाता स्थित सपा कार्यालय पर इस मुद्दे को लेकर सपाइयों की बैठक आयोजित की गई। जिलाध्यक्ष नगीना साहनी ने कहा कि 21 सितंबर को सभी तहसीलों में प्रशासन के लोगों को राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की गलत नीतियों और विरोध को कुचलने के रवैये से अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो रही है । समाजवादी पार्टी ज्ञापन देकर सरकारी मनमानी, तानाशाही और ध्वस्त कानून व्यवस्था, शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में गड़बड़ी आदि समस्याओं पर संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करते हुए प्रभावी कार्यवाही करने का आग्रह करेगी। बैठक में अखिलेश यादव, विजय बहादुर यादव, यशपाल रावत, साधु यादव, अमरेंद्र निषाद, रुपावती बेलदार, मिर्जा कदीर बेग, जितेंद्र सिंह, हरि यादव आदि मौजूद रहे।
व्यापारियों की तलाशी का आदेश असंवैधानिक व अव्यवहारिक
वस्तु एवं सेवाकर विभाग द्वारा प्रतिमाह दस व्यापारियों का सर्वे करने के आदेश को लेकर दर्जन भर व्यापारिक संगठनों ने बैठक की। गोरखपुर किराना कमेटी में हुई बैठक में व्यापारियों ने इस आदेश असंवैधानिक व अव्यवहारिक बताया। बैठक में सर्वसम्मति से समस्त संगठनों के पदाधिकारियों का हस्ताक्षर किया हुआ ज्ञापन आयुक्त (वस्तु एवं सेवा कर) उत्तर प्रदेश शासन को भेजकर व्यापारी हित में आदेश को अविलंब वापस लेने की मांग की गई। बैठक में व्यापारियों ने कहा कि जीएसटी कानून के अंतर्गत विशेष अनुसंधान शाखा को टर्नओवर के आधार पर प्रत्येक माह में दस व्यापारियों की सर्वे करने एवं एडीशनल स्तर के अधिकारियों के द्वारा प्रदेश के व्यापारियों की तलाशी लेने का आदेश दिया गया है, जो पूर्णतया अनुचित है। कोरोनाकाल में व्यापारियों ने अपनी दुकान का किराया, बिजली का बिल, कर्मचारियों का वेतन, बैंक का ऋण, बच्चों की स्कूल की फीस आदि खर्चों को अपना प्रतिष्ठान बंद कर अदा किया। सरकार ने हमारी कोई सहायता नहीं की, जिससे व्यापारी कर्ज, भूखमरी आदि समस्याओं से आज तक जूझ रहा है। कोराना संकट की वजह से अभी तक हमारा व्यापार पटरी पर नहीं आ पाया है। ऐसे में सर्वे एवं तलाशी का आदेश कहां तक न्यायोचित है।