बापू ने दिव्यांग वनटांगिया की बेटियों के हाथ बना किया भोजन, पसंद आई मोटी रोटी व आलू की सब्जी, दिया नेग और आशीर्वाद Gorakhpur News
मोरारी बापू सायं छह बजे अचानक दिव्यांग मनोज निषाद के घर पहुंचे। उन्होंने मनोज की दोनों पुत्रियों सुमन व संयोगिता को बाहर बुला कर पूछा कि मुझे खाना खिलाओगी।
गोरखपुर, जेएनएन। वनटांगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन में सोमवार की शाम अलग ही नजारा था। जिस मोरारी बापू के मुखारविंद से श्रद्धालु रामकथा सुनने के लिए लालायित रहते हैं, वे बापू वनटांगियों के बीच थे। वनटांगिया समाज बापू को अपने बीच पाकर निहाल था। बापू ने एक वनटांगिया के घर पर उसकी बेटियों के हाथ बना भोजन भी किया और नेग व आशीर्वाद भी दिया। मोरारी बापू सोमवार को अचानक वनटांगिया गांव तिकोनिया नंबर तीन में पहुंच गए। एक दिव्यांग वनटांगिया मनोज निषाद के यहां रुके। उनके यहां उन्होंने प्रसाद ग्रहण किया। बातचीत की। उनके दो पुत्रों व दो पुत्रियों को कपड़े खरीदने व मेला करने के लिए रुपये भी दिए। उनके शिष्य बड़ी मात्रा में पूड़ी-सब्जी बनवाकर ले गए थे। उन्होंने वनटांगियों को प्रसाद (भोजन) कराया।
अचानक पहुंचे मोरारी बापू
मोरारी बापू सायं छह बजे अचानक दिव्यांग मनोज निषाद के घर पहुंचे। उन्होंने मनोज की दोनों पुत्रियों सुमन व संयोगिता को बाहर बुला कर पूछा कि मुझे खाना खिलाओगी। पुत्रियों संग मनोज निषाद ने कहा क्यों नहीं बापू। फिर बापू मकान के बाहर तख्त पर बैठ गए। बापू ने मनोज से कहा कि मोटी रोटी व आलू की सब्जी बनवाओ। बच्चियां बापू को दूध व सब्जी देने के बाद गरमा-गरम पराठा बनाती गईं तथा बापू को परोसती गईं। बापू स्वयं भी खा रहे थे तथा साथ आए हुए करीब एक दर्जन लोगों को भी बीच-बीच में पराठा और सब्जी देते जा रहे थे।
गरीब के घर व्यास पीठ को जाना ही चाहिए
मोरारी बापू ने कहा कि गरीब के घर राजनीतिक भले न जाएं, व्यास पीठ को जाना ही चाहिए। मैं देश-विदेश कहीं भी जाता हूं, समाज के निचले तबके के लोगों के घर अचानक पहुंचकर भिक्षा मांग कर भोजन करता हूं।
हमें गरीब का घर भी राष्ट्रपति भवन जैसा लगता है
पत्रकारों से बातचीत में बापू ने कहा कि प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ महाराज होली व दीवाली इन्हीं लोगों के बीच मनाते हैं, वनटांगिया उनके परिवार जैसे हैं। यह पूछने पर कि पिछले सप्ताह आपने राष्ट्रपति भवन में भोजन किया था, आज गरीब के घर भोजन कर आप कैसा महसूस कर रहे हैं? बापू ने कहा कि हमें गरीब का घर भी राष्ट्रपति भवन ही लगता है, क्योंकि गरीब ही देश की असली आत्मा हैं। मेरे यहां आने से मनोज का परिवार खुश है या नहीं, मैं स्वयं बहुत खुश हूं और गौरवांवित महसूस कर रहा हूं।