उदास हैं कामिनी, रक्षाबंधन पर अब नहीं मिलेगा भाई अटल का प्यार
महराजगंज की रहने वाली कामिनी श्रीवास्तव हर वर्ष अटल बिहारी वाजपेयी को भेजती थीं राखी, आता था अटल का उत्तर।
केशव कुमार मिश्र, गोरखपुर
भाई बहन के अटूट प्यार का पर्व रक्षाबंधन इस वर्ष महराजगंज जनपद के फरेंदा की रहने वाली कामिनी श्रीवास्तव को गम दे गया। रक्षाबंधन का पर्व इस बहन के लिए बड़ा उत्सव बन चुका था, लेकिन इस वर्ष कामिनी श्रीवास्तव उदास हैं। भाई-बहन के इस अटूट प्रेम व आस्था के प्रतीक पर्व को देश के महत्वपूर्ण कुर्सी पर बैठे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी बखूबी समझते थे। शायद इसीलिए तहसील क्षेत्र की एक महिला कार्यकर्ता द्वारा राखी भेजने पर वह पत्र के माध्यम से जबाव देना नहीं भूलते थे। अटल बिहारी वाजपेयी भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन कामिनी श्रीवास्तव के दिल दिमाग से उनका प्रेम जीवित है। रक्षाबंधन पर्व पर कामिनी श्रीवास्तव की आंखें भर आई। वह बताती हैं कि अटल जी उन्हें अपनी बहन की मानते थे। वह भी उन्हें अपने भाई की तरह हर वर्ष रक्षाबंधन भेजा करती थी। अटल जी की चिट्ठियां हर साल उनके पास आतीं थीं। कामिनी श्रीवास्तव का आर्य कन्या इंटर कालेज हरदोई से इंटर तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद फरेंदा में विवाह हुआ। गोरखपुर विश्वविद्यालय से एमए करने के बाद वह समाज सेवा से जुड़ गईं। उन्हें भारतीय जनता पार्टी में एक समय जिला उपाध्यक्ष भी बनाया गया। कामिनी ने बताया कि उनके द्वारा भेजी जाने वाली राखी पर स्नेह भरा आशीर्वाद व पत्र मिलता था, जो अब एक अमूल्य निधि के रूप में उनके पास आज भी सुरक्षित है। राखी से नौ दिन पहले हुई अटल की मौत से कामिनी काफी दुखी हैं। नम आंखों से पुरानी बात याद कर उन्होंने कहा कि जब हमारे अटल ही नहीं रहे तो राखी अब कहां और किसके लिए भेजूं।