रोजा एक अजीम इबादत, हर मुसलमान पर है वाजिब
प्रधानाचार्य मुहम्दिया मदरसा पिपरा मुर्गिहवा इटवा के मौलाना शमसुल्लाह कासमी ने कहा कि रोजा एक अजीम इबादत है। हर मुसलमान के लिए जिस तरह पांच वक्त की नमाज वाजिब है इसी प्रकार रोजा भी सभी के लिए वाजिब है। रमजान का महीना इतना मुकद्दस महीना है कि अल्लाह पाक ने इसे अपने से मंसूब किया।
सिद्धार्थनगर : प्रधानाचार्य मुहम्दिया मदरसा पिपरा मुर्गिहवा, इटवा के मौलाना शमसुल्लाह कासमी ने कहा कि रोजा एक अजीम इबादत है। हर मुसलमान के लिए जिस तरह पांच वक्त की नमाज वाजिब है, इसी प्रकार रोजा भी सभी के लिए वाजिब है। रमजान का महीना इतना मुकद्दस महीना है, कि अल्लाह पाक ने इसे अपने से मंसूब किया। हर मुसलमान के लिए रमजान के पूरे महीने का रोजा रखने के लिए हुक्म दिया गया है। बगैर किसी जायज मजबूरी के इस मुबारक माह में अगर कोई एक रोजा छोड़ दे तो वह बहुत ही बड़ा गुनहगार होगा।
रमजान का महीना अल्लाह की इबादतों का महीना है। यह माह भाइचारे का पैगाम देता है। लोगों को बुराइयों से दूर रहना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा नेक अमल करना चाहिए। इस पाक महीने में गरीबों, मजलूमों की विशेष ख्याल रखना चाहिए। वर्तमान हालात को देखते हुए सभी को एहतियात बरतने की जरूरत है। नमाज और रोजे जैसी इबादतों को घरों में रहकर पूरी करना चाहिए। अल्लाह की बारगाह में दुआ करें कि सभी को कोरोना जैसी बीमारी से बचाए रखे और इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करें। इस मुकद्दस महीने में यह भी मालूम करना चाहिए कि कौन-कौन लोग परेशान हैं, ऐसे लोगों की मदद करने के लिए आगे आना चाहिए। शासन-प्रशासन की ओर से कोरोना गाइडलाइन जारी की गई है, इसका पालन करते हुए हमें रमजान की इबादतों को पूरा करें। तराबीह की नमाज पांच लोग शारीरिक दूरी बनाते हुए अदा करें। सात साल की मासूम इकरा ने रखा रोजा
सिद्धार्थनगर : इस बार रमजान का महीना फिर गर्मी में पड़ा है। तेज धूप के बीच लू के थपेड़े हर किसी के लिए परेशानी की वजह बन रहे हैं। इतने तीखे मौसम पर सात वर्षीय मासूम बच्ची इकरा का हौसला भारी पड़ता दिखा। पंद्रह घंटे से ज्यादा समय तक मासूम बच्ची भूखी-प्यासी रहते हुए रमजान माह में अपना पहला रोजा रखते हुए अल्लाह की इबादत में मशगूल रही।
ग्राम पंचायत भटगवां निवासी आसिफ की बेटी इकरा ने पहला रोजा रखा। मौसम और बच्ची की उम्र को देखते हुए परिवार के लोग भी एक समय थोड़ा असमंजस कि इतने बड़े दिन व गर्मी में बच्ची कैसे रोजा रख पाएगी। परंतु घर वालों ने जब बच्ची के जज्बे को देखा, तो फिर सभी लोग उसके लिए इफ्तार की तैयारी में जुट गए। शाम तो जैसे ही अजान हुई, परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मासूम बच्ची ने भी रोजा खोला। इकरा ने बताया प्यास तो बहुत लगी थी। लेकिन अपनी बड़ी बहनों को देखकर उसने भी सोच लिया था, कि आज कुछ नहीं खाएंगी और न पानी पिएगी। परिवार के सदस्यों ने बेटी के पहला रोजा सकुशल पूरा हो जाने पर अल्लाह का शुक्र अदा किया।