लॉकडाउन में निर्मल हुईं नदियां, चहचहाई सोनचिरइया Gorakhpur News
लॉकडाउन अवधि में अपनी परेशानी जरूर बढ़ी लेकिन इसके फायदे भी दिख रहे हैं। आसपास का वातावरण बदल गया है। प्रकृति का मनोरम दृश्य चहुंओर सृजित है।
गोरखपुर, जेएनएन। लॉकडाउन अवधि में अपनी परेशानी जरूर बढ़ी लेकिन इसके फायदे भी दिख रहे हैं। आसपास का वातावरण बदल गया है। प्रकृति का मनोरम दृश्य चहुंओर सृजित है। घाट-घाट पर नदियों की कल-कल करती धारा निर्मल हो गई है।
गांव हो या शहर हर जगह की आबोहवा स्वच्छ हो चली है। पेड़ों की टहनियों से लेकर नदी, तालाब, पोखरों तक रंग-बिरंगी पक्षियों का कलरव गान सुबह-शाम सुनाई पड़ रहा है। घर के छत, दरवाजे के सामने फुदकती पक्षियों का दृश्य ऐसा मानो फिर से सोन चिरइया अपने मुड़ेर पर लौट आई हैं। 24
अप्रैल की आधी रात को संपूर्ण देश लॉकडाउन कर दिया गया। कोरोना वायरस का हमला था। बचाव में अचानक भागमभाग जिंदगी थम गई। जहां-तहां वाहनों के पहिए जाम हो गए। कल, कारखाने, बाजार, निर्माण, आवागमन सब बंद हो गया। डीजल, पेट्रोल के धुएं उड़ने बेहद कम हो गए। नदियों में कचरा एवं फैक्ट्रियों का अपशिष्ट बहाने पर विराम लगा। चौतरफा साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। इसका व्यापक असर पर्यावरण पर पड़ा। कृत्रिम मशीन एवं अन्य संसाधनों के उपयोग न के बराबर होने से हरियाली पनप रही है। स्वच्छ पानी से लबालब जलाशय रमणीयता का अछ्वुत दृश्य संजोए हैं।
नदियां निर्मल नीर लिए अविरल बह रही है। शहर से सटकर बहने वाली कुआनों का पानी गहराई तक पारदर्शी बन चुका है। सुबह उगते हुए सूर्य की लालिमा का प्रति¨बब साफ झलक रहा है। अमहट घाट के आसपास पक्षियों की भरमार है। हरियाली की घनेरी में पक्षियों की चहचहाहट हर समय सुनी जा रही है। नदी के पानी में भी इनकी उछल कूद देखते बन रही है।
लॉकडाउन के दौरान नि:संदेह वातावरण में प्रदूषण कम हुआ है। चिमनियों से निकलने वाले धुएं बंद हो गए। अपशिष्ट, कचरा भी अब नहीं बहाया जा रहा है। प्रचुर मात्रा में कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड नहीं निकल रहा है। इससे पर्यावरण का शुद्धीकरण स्वाभाविक है। पक्षी, मवेशी सहित सभी प्राणियों के लिए स्वच्छ वातावरण लाभप्रद है। -डा. अतुल कुमार सिंह, संयुक्त निदेशक उद्यान,बस्ती।