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यूपी पंचायत चुनाव 2021: इन पदों के लिए जिला स्‍तर से तय होगा आरक्षण, शुरू हुआ होमवर्क

यूपी पंचायत चुनाव 2021 के लिए पंचायती राज निदेशालय ने ब्लाकवार आरक्षित गांवों की संख्या घोषित कर दी है। जिले स्तर पर यह तय होना है कि किस ब्लाक में प्रमुख का पद आरक्षित रहेगा और कहां अनारक्षित।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 07:05 AM (IST)Updated: Thu, 18 Feb 2021 10:21 PM (IST)
यूपी पंचायत चुनाव 2021: इन पदों के लिए जिला स्‍तर से तय होगा आरक्षण, शुरू हुआ होमवर्क
यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण के लिए जिला स्‍तर पर कवायद शुरू हो गई है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। पंचायती राज निदेशालय लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण में शामिल होकर जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) एवं जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी एके सिंह ने प्रशिक्षण लिया है। अब गोरखपुर में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं जिला पंचायत वार्डों में आरक्षण की गुत्थी सुलझाने के लिए सभी खंड विकास अधिकारी (बीडीओ), सहायक विकास अधिकारी (एडीओ) पंचायत एवं मुख्यालय व ब्लाक के कंप्यूटर आपरेटरों को 19 फरवरी से प्रशिक्षित किया जाएगा।

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ऐसे तय होगा आरक्षण

शासन की ओर से जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण का आवंटन जारी किया जा चुका है। किस जिले में कितने ब्लाक प्रमुख के पद आरक्षित होंगे, यह भी साफ हो चुका है। पंचायती राज निदेशालय ने ब्लाकवार आरक्षित गांवों की संख्या घोषित कर दी है। जिले स्तर पर यह तय होना है कि किस ब्लाक में प्रमुख का पद आरक्षित रहेगा और कहां अनारक्षित। 

यह पद भी जिला स्‍तर से तय होंगे 

इसी तरह जिला पंचायत वार्ड, क्षेत्र पंचायत वार्ड, ग्राम पंचायत प्रधान पद के आरक्षण का आवंटन भी जिले स्तर से ही किया जाएगा। इसी को लेकर 16 एवं 17 फरवरी को लखनऊ में जिला स्तरीय अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। डीपीआरओ हिमांशु शेखर ठाकुर ने बताया कि गुरुवार को प्रशिक्षण को लेकर तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। शुक्रवार को सभी बीडीओ, एडीओ पंचायत एवं आपरेटरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। शासनादेश के अनुसार किस तरह आरक्षण दिया जाना है, यह विस्तार से बताया जाएगा। इस साल उन गांवों को एससी के लिए आरक्षित किया जाएगा जो कभी एससी नहीं हुए इसी तरह उन गांवों को ओबीसी के लिए आरक्षित किया जाएगा जो कभी ओबीसी नहीं हुए। यदि निदेशालय की ओर से निर्धारित आरक्षित गांवों की संख्या से इस तरह के गांव अधिक होंगे तो वहां आबादी के घटते क्रम में आरक्षण दिया जाएगा।

असलहा के दुकानों पर हुई जांच

पंचायत चुनाव को देखते हुए सिटी मजिस्ट्रेट अभिनव रंजन श्रीवास्तव ने असलहा की दुकानों पर जाकर जांच की। एक साल में कितने कारतूस बिके। बिके कारतूसों की सापेक्ष 80 फीसद खोखे जमा किए गए या नहीं, जैसे बिन्दुओं पर जांच की गई। सिटी मजिस्ट्रेट ने गोलघर की चार दुकानों की जांच की है। उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया जारी रहेगी। लाइसेंसी लोग असलहा जमा कराना शुरू कर दें। मालखाने या असलहे की अधिकृत दुकानों पर असलहा जमा कर उसकी रसीद सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में देनी होगी।


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