Research : काबू में आया थायरायड तो घट गई डायबिटिज की डोज Gorakhpur News
कोई भी दवा मधुमेह को तभी नियंत्रित कर सकती है जब थायरायड का भी सही इलाज किया जाए। यह बात बीआरडी मेडिकल कालेज में हुए शोध में सामने आई है।
गोरखपुर, हेमन्त पाठक। यदि आपको थायरायड है और बिना बीमारी को पहचाने व काबू में किए आप मधुमेह को नियंत्रित करना चाहते हैं तो यह काम मुश्किल है। कोई भी दवा मधुमेह को तभी नियंत्रित कर सकती है जब थायरायड का भी सही इलाज किया जाए।
450 मरीजों पर हुआ शोध
यह बात बीआरडी मेडिकल कालेज में हुए शोध में सामने आई है। शोध हाल ही में एसोसिएसन आफ फिजीशियन आफ इंडिया के प्रतिष्ठित शोध जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इस नतीजे तक पहुंचने के लिए मधुमेह के 450 मरीजों पर एक साल तक शोध किया गया। शोध में 250 मरीज साठ साल की उम्र से अधिक के थे जबकि बाकी 40 से 60 साल की उम्र के बीच के। इनमें ऐसे मरीजों की तादाद काफी थी, जिन्होंने मेडिकल कालेज पहुंचने से पहले दो से तीन डाक्टरों से इलाज कराया था, कई दवाएं भी बदलीं लेकिन मधुमेह पर काबू नहीं कर पाए। ऐसे मरीजों को शोध के दौरान अलग छांट लिया गया। इनकी तादाद कुल मरीजों की लगभग 25 फीसद थी।
कम हो गई दवा की डोज
शोधकर्ता व मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा. राजकिशोर सिंह ने बताया कि इन मरीजों की जांच कराई गई तो वह लोग थायरायड से पीडि़त पाए गए। जब पड़ताल की गई तो पता चला कि थायरायड का इलाज तो दूर, पहले से उनका इलाज कर रहे डाक्टरों ने थायरायड की जांच तक नहीं कराई थी। शोध के दौरान ही मरीजों को थायरायड की दवा दी गई और बीमारी को काबू में किया गया, साथ ही मधुमेह की दवा भी जारी रखी गई। धीरे-धीरे यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि थायरायड पर नियंत्रण होने के बाद उनका मधुमेह दवा के आधे या कम डोज में भी नियंत्रित हो गया। डा. सिंह ने बताया कि मधुमेह के मरीजों में थायरायड के लक्षणों को पहचानना आसान नहीं होता क्योंकि दोनों बीमारियों के लक्षण काफी मिलते जुलते हैं। ऐसे में जरूरी है कि मधुमेह के हर मरीज में थायरायड की जांच भी कराई जाए।
शोध पढऩे के लिए जर्मनी से बुलावा
डा. राजकिशोर सिंह जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में दिसंबर में मधुमेह पर होने वाले सम्मेलन में शोध प्रस्तुत करेंगे। शोध का अध्ययन करने के बाद आयोजकों ने उन्हें आमंत्रित किया है।
इसीलिए बढ़ रही बीमारी
आरामदायक जीवनशैली
मानसिक तनाव
अत्यधिक वसायुक्त या उ''ा कैलोरीयुक्त भोजन
मध्य भाग का मोटापा या बढ़ी हुई तोंद
बीमारी के लक्षण
अत्यधिक भूख या प्यास लगना
बार-बार पेशाब होना
अचानक वजन का गिरना
घाव या फोड़े का जल्दी ठीक न होना
अत्यधिक थकान महसूस होना
जननांगों में खुजली, जलन होना
पैरों व हाथों का सुन्न या जलन का होना
ऐसे बचें
खानपान में नियंत्रण
नियमित व्यायाम, हर रोज कम से कम तीस मिनट
वजन पर नियंत्रण
तनाव से बचें
ऐसे करें काबू
नियमित जांच कराएं
नियमित व्यायाम
बीमारी की गम्भीरता के हिसाब से दवाओं व इन्सुलिन का नियमित प्रयोग
मधुमेह से प्रभावित होने वाले अंगों हृदय, आंखों, किडनी आदि की जांच
चिकित्सकों की राय
परहेज व दवाओं के बावजूद शुगर नियंत्रित नहीं होने पर बाहर से इंसुलिन लेने की जरूरत होती है। चंूकि दोष से पीडि़त शरीर पर अनावश्यक दवाब न पड़े इसलिए मधुमेह पीडि़त को भोजन में नियमन व परिवर्तन की जरूरत होती है। जितनी भूख हो भोजन उतना ही करें, दो मुख्य भोजन के बीच में कुछ न खाएं, चीनी, गुड़, कोल्ड ड्रिंक, फलों के जूस से परहेज करें। साबुत अनाज व दालों का सेवन करें। हरी सब्जियां लें। दो भोजन के बीच कम से कम चार घंटे का अंतराल रखें। भूखे न रहें। - डॉ. आलोक गुप्ता, मधुमेह विशेषज्ञ
बेकाबू मधुमेह शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर असर डालता है। ऐसे लोगों में हार्ट अटैक व किडनी फेल होने का खतरा काफी अधिक होता है। बीमारी आंखों, लीवर व पैंक्रियाज पर भी असर डालती है। दुर्घटनाओं को छोड़ दें तो सबसे अधिक लोगों का पैर मधुमेह की वजह से काटना पड़ता है। मधुमेह पीडि़तों के पैर की नसें सिकुडऩे के चलते उनमें रक्त संचार कम हो जाता है। इससे पैर सुन्न होने का खतरा बढ़ जाता है। पैर में घाव होने पर जल्द भरता नहीं। इससे पैर में गैंगरीन हो जाता है। - डॉ. रामरतन बनर्जी, वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक