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डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया पर नए सिरे से होगा शोध Gorakhpur News

क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र डेंगू चिकनगुनिया और मलेरिया पर नए सिरे से शोध करने जा रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 04:01 PM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 04:01 PM (IST)
डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया पर नए सिरे से होगा शोध Gorakhpur News
डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया पर नए सिरे से होगा शोध Gorakhpur News

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया का समूल नाश करने के लिए आइसीएमआर (क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र) नए सिरे से शोध करेगा। जिला मलेरिया अधिकारी से इसके लिए डाटा मांगा गया है। उन गांवों में अभियान भी चलाया जाएगा जहां इसके ज्यादा मरीज मिले हैं या बीमारियों ने बार-बार दस्तक दी है।

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कारणों का पता लगाने के साथ गांवों में अभियान चलाकर करेंगे निदान

भारत सरकार ने 2030 तक इन बीमारियों को खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। यह प्रयास उसी का हिस्सा है। जहां इन बीमारियों का ज्यादा प्रकोप है वहां इसे कम किया जाएगा और जहां कम मरीज मिले हैं वहां इसे शून्य करने की दिशा में काम होगा। इसके लिए दवा, मच्छरदानी व मच्छरों का लार्वा खत्म करने के लिए गंबूजिया मछलियों का प्रयोग होगा। शोध के प्रथम चरण में आइसीएमआर उन गांवों पर काम करेगा जहां मरीजों की संख्या ज्यादा है। इसके लिए आंकड़ों को आधार बनाया जाएगा। ऐसे गांवों में लोगों के रहन-सहन, खान-पान, साफ-सफाई आदि का अध्ययन कर बीमारी के कारणों की तलाश की जाएगी।

स्वास्थ्य कर्मियों की होगी ट्रेनिंग

आइसीएमआर इस काम में लगभग 100 स्वास्थ्य कर्मियों की मदद लेगा। उन्हें तीन चरणों में प्रशिक्षित किया जाएगा। इस दौरान बीमारियों के वाहक मच्छरों की पहचान व नियंत्रण के तरीके बताए जाएंगे। एक बैच की ट्रेनिंग एक सप्ताह की होगी।

अगस्त में होगा इंसेफ्लाइटिस पर शोध

इंसेफ्लाइटिस को खत्म करने के लिए धान की रोपाई के बाद इसमें नीम कोटेड यूरिया का प्रयोग किया जाएगा। आइसीएमआर के निदेशक डॉ. रजनीकांत ने बताया कि मदुरै में यह प्रयोग काफी सफल रहा है। यहां जो किसान ऐसे यूरिया का प्रयोग नहीं कर रहे, उन्हें इसके लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके बाद यह देखा जाएगा कि इंसेफ्लाइटिस में कितनी कमी आ रही है।

अभियान एक माह में शुरू हो जाएगा। गांवों में लोगों का ब्लड सैंपल भी लिया जाएगा। रैपिड डायग्नोस्टिक किट के माध्यम से उसकी मौके पर ही जांच की जाएगी। बाद में यह जांच लैब में भी होगी। - डॉ. रजनीकांत, निदेशक, आइसीएमआर।


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