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यहां पर मौजूद हैं 360 शिव मंदिरों और कुएं के अवशेष, जानें क्या है इसका रहस्य

बिस्कोहर कस्बा का अपना अलग इतिहास है। यहां पर 360 मंदिरों और कुओं के अवशेष अभी भी हैं जो अपनी भव्यता को बताते हैं।

By Edited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 09:32 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 10:22 AM (IST)
यहां पर मौजूद हैं 360 शिव मंदिरों और कुएं के अवशेष, जानें क्या है इसका रहस्य
यहां पर मौजूद हैं 360 शिव मंदिरों और कुएं के अवशेष, जानें क्या है इसका रहस्य
गोरखपुर, जेएनएन। सिद्धार्थनगर जिले के इटवा तहसील क्षेत्र का गांव है बिस्कोहर, यहां पर किसी समय 360 शिव मंदिर और इतनी ही संख्या में कुएं मौजूद होने के अवशेष हैं। यहां पर 18वीं शताब्दी के शिव मंदिर और कुएं के अवशेष अपनी अलग ही कहानी है। बिस्कोहर कस्बे का इतिहास स्थानीय लोगों की लापरवाही व प्रशासन की उदासीनता के चलते जमींदोज हो रहा है।
अपनी प्राचीनता की वजह से पहचान बनाने वाला यह कस्बे आज अपनी पहचान का ही मोहताज है। ऐतिहासिकता की गवाही देने वाले इस कस्बे के मंदिर जमींदोज हो रहे हैं और कुंए न जाने कब के पट चुके हैं। इसका अलग ही इतिहास बिस्कोहर कस्बे का इतिहास में अलग स्थान है। यहां पर 18वीं शताब्दी के मंदिर एक अलग कहानी कहते हैं। साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष विश्वनाथ त्रिपाठी ने अपनी पुस्तक नंगातलाई गांव में इस विरासत का उल्लेख किया है। उन्होंने लिखा है कि पूर्व में यह इलाका जंगलों से घिरा हुआ था।
नेपाल से निकलने वाली सोनभद्र नदी यहां बहती थी। नदी के रास्ते ही यहां का व्यापार होता था और एक समय में यह भारत-नेपाल के बीच व्यापार का बड़ा केंद्र था। नेपाल के लोग यहां जड़ी-बूटी और अन्य उत्पाद बेचने आते थे तथा यहां से नमक, चावल और तंबाकू खरीद कर पहाड़ों तक पह़ुंचाते थे। कालांतर में यह नदी लेवड़ ताल और इनावड़ झील के रूप मे बदल गई। बंजारों के कब्जे में था यह इलाका बिस्कोहर का इलाका 18वीं शताब्दी में बंजारों के कब्जे में था, जिनका मूल निवास नेपाल का भालूबांग था। यह क्षेत्र बांसी और जैतापुर रियासत का संयुक्त अंग था। बंजारों के बढ़ते प्रभाव के कारण जैतापुर रियासत ने अधिकार छोड़ दिया।
बांसी रियासत से इसे पाने के लिए बंजारों के सरदार काला नायक ने बांसी राजा घराने के एक सदस्य की हत्या कर दी। उसके बाद जनता में उसका आतंक और खौफ बढ़ गया। काला नायक के अंत करने पर मिली थी जमींदारी, तभी बने थे शिवमंदिर और कुएं वर्ष 1857 में हुए विद्रोह के बाद बूंदी राजस्थान से आए संग्राम ¨सह और विश्राम सिंह ने काला नायक की हत्या कर उसके आतंक को समाप्त कर जनता को निर्भय किया। बांसी राजघराने से इसके एवज में उन्हें बिस्कोहर के इर्द गिर्द के चौरासी गांव की जमींदारी दी। संपन्नता के समय में यहां शिव मंदिर व कुंए बनवाए गए, जो कस्बे को अलग पहचान देते थे। वर्तमान में ज्यादातर मंदिर देखरेख व संरक्षण के अभाव में ध्वस्त हो चुके हैं। एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए वह प्रयास करेंगे।

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