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रेल यात्रियों को राहत, इस रूट की ट्रेनों में लगेंगे अतिरिक्त कोच

यात्रियों को राहत देने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने दो जोड़ी ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाने का निर्णय लिया है। इससे प्रतीक्षा सूची के यात्रियों का काफी राहत मिलेगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 10:36 AM (IST)Updated: Thu, 21 Feb 2019 09:37 AM (IST)
रेल यात्रियों को राहत, इस रूट की ट्रेनों में लगेंगे अतिरिक्त कोच
रेल यात्रियों को राहत, इस रूट की ट्रेनों में लगेंगे अतिरिक्त कोच

गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने दो जोड़ी ट्रेनों में अतिरिक्त कोच लगाने का निर्णय लिया है। जनसंपर्क अधिकारी सीपी चौहान के अनुसार 15004 गोरखपुर-कानपुर अनवरगंज चौरीचौरा एक्सप्रेस में 21 फरवरी को गोरखपुर से, 15003 कानपुर अनवरगंज-गोरखपुरचौरीचौरा एक्सप्रेस में 20 व 22 फरवरी को कानपुर अनवरगंज से, 15065 गोरखपुर-पनवेल एक्सप्रेस में 21 फरवरी को गोरखपुर से तथा 15066 पनवेल-गोरखपुर एक्सप्रेस में 22 फरवरी को पनवेल से शयनयान श्रेणी का एक-एक अतिरिक्त कोच लगाया जाएगा।  

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चेयरकार की जगह लगाया जाएगा एसी तृतीय श्रेणी का कोच

पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने प्रयागघाट से बस्ती के बीच चलने वाली 14117/14118 एक्सप्रेस एवं प्रयागघाट से मनकापुर के बीच चलने वाली 14125/14126 एक्सप्रेस ट्रेन की रेक संरचना में बदलाव किया है। पूर्वोत्तर रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी सीपी चौहान ने बताया कि प्रयागघाट-बस्ती -प्रयागघाट एक्सप्रेस में प्रयागघाट एवं बस्ती से 23 फरवरी से 22 मार्च तक वातानुकूलित चेयरकार के स्थान पर वातानुकूलित तृतीय श्रेणी का कोच लगेगा। प्रयागघाट-मनकापुर-प्रयागघाट एक्सप्रेस में वातानुकूलित चेयरकार श्रेणी का एक अतिरिक्त कोच प्रयागघाट से 20 फरवरी से 25 मार्च तक एवं मनकापुर से 21 फरवरी से 26 मार्च तक लगाया जाएगा। 

एलएचबी से चलाई जाएगी इंटरसिटी और पैसेंजर

इंटरसिटी और पैसेंजर ट्रेनें भी अति आधुनिक एलएचबी कोचों से चलाई जाएंगी। दरअसल, इन ट्रेनों में परंपरागत चेयरकार ही लगते हैं, लेकिन इनका निर्माण बंद हैं। बचे हुए कोचों से किसी तरह रेक का सामंजस्य बनाया जा रहा है, लेकिन इससे स्थानीय यात्रियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एनई रेलवे के सीपीआरओ संजय यादव ने कहा कि जिन ट्रेनों के रेक में एलएचबी कोच लगाए जा रहे हैं, उनके परंपरागत कोचों का फिर से उपयोग किया जा रहा है। कोचों की मरम्मत समय से हो रही है। यात्री सुविधाएं प्राथमिकताओं में है।

पुरानी बोगियों के भरोसे लोकल ट्रेनें

पूर्वोत्तर रेलवे की लोकल ट्रेनें पुरानी बोगियों (परंपरागत कोच) के भरोसे ही चल रही हैं। एक तो यह बोगियां अंतिम अवस्था में हैं। खराब होने के बाद भी समय से इनकी मरम्मत नहीं हो पा रही है। गोरखपुर से लखनऊ और वाराणसी जाने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस में पिछले सप्ताह से एक-एक कोच नहीं लग पा रहे।

वाराणसी जाने वाली इंटरसिटी में एक ही चेयरकार है, वह नहीं लग रही। लखनऊ जाने वाली इंटरसिटी में जनरल की एक आरक्षित बोगी नहीं लग रही। जो बोगियां लग रहीं, उनकी दशा भी बहुत अ'छी नहीं हैं। यही स्थिति गोरखपुर से बढऩी, नौतनवां, कप्तानगंज, भटनी, छपरा और वाराणसी रूट पर चलने वाली पैसेंजर और डेमू ट्रेनों की है। इन ट्रेनों की बोगियां जर्जर हो रही हैं।

डैमेज होने के बाद बोगियों को कारखाना भेजा जा रहा, लेकिन समय से उनकी मरम्मत नहीं पा रही। बोगियां न लगने से यात्रियों में रोष है। यह तब है जब पूर्वोत्तर रेलवे में लगातार ट्रेनों का निरस्तीकरण जारी है। जानकारों का कहना है कि भारतीय रेलवे में सिर्फ अति आधुनिक एलएचबी कोच ही बन रहे हैं। ऐसे में परंपरागत पुराने कोच (विशेषकर चेयरकार) कम पड़ते जा रहे हैं। रेलवे किसी तरह काम चला रहा है।


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