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ग्राहकों के साथ पीढिय़ों से बना संबंध कोरोना काल में आया काम

सतीश जिंदल कहते हैं कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1989 में मेनरोड पर बुआ के लड़के संजीव के साथ मिलकर किराना की थोक दुकान खोली। सामान की क्वालिटी को लेकर 31 वर्ष में एक-एक ग्राहक से बनाया गया रिश्ता आजतक चला आ रहा है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 12:30 AM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 12:30 AM (IST)
ग्राहकों के साथ पीढिय़ों से बना संबंध कोरोना काल में आया काम
पडऱौना के मेन रोड के बगल में स्थित जिंदल किराना प्रतिष्ठान।

 कुशीनगर, जेएनएन। नई चुनौतियों के बीच अगर बदलावों को लागू करने का जज्बा हो तो मुश्किल हालात भी आसान हो जाते हैं। इसी फलसफे और ग्राहकों के भरोसे व सुझाव से किराना के थोक दुकानदार जिंदल प्रतिष्ठन के सतीश जिंदल व संजीव अग्रवाल ने कोरोना काल के विपरीत परिस्थितियों को भी अपने पक्ष में कर लिया।

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 नगर के मेन रोड पर स्थित इस कारोबारी ने जहां ग्राहकों से पुराने रिश्तों और विश्वास को मजबूत किया, वहीं ग्राहकों ने भी उनके नए प्रयासों को हाथों-हाथ लिया। सतीश जिंदल के अनुसार 1972 में महावीर एंड कंपनी के नाम से पिताजी महावीर प्रसाद अग्रवाल दुकान चलाते थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1989 में मेनरोड पर बुआ के लड़के संजीव के साथ मिलकर किराना की थोक दुकान खोली। सामान की क्वालिटी को लेकर 31 वर्ष में एक-एक ग्राहक से बनाया गया रिश्ता आजतक चला आ रहा है। मुश्किल की घड़ी में उन्हें इसी रिश्ते व भरोसे की ताकत मिली और कारोबारी बदलावों की मदद से वे आपदा से बाहर निकले।

वह कहते हैं कि यूपी के बरेली व कानपुर तथा मध्य प्रदेश के कटनी व नागपुर से मोबाइल से आर्डर दिया जाता था और पहले डिजिटल भुगतान कर दिया जाता था। उसके दो दिन बाद माल यहां पहुंच जाते थे। स्टाकिस्ट व दुकानदारों से जुड़ाव के कारण कभी परेशानी नहीं हुई।

शुरुआत में तो दुकानें कम खुलीं, फिर लिया वाट्सएप का सहारा

कोरोना काल में किराना का कारोबार पूरी तरह चौपट हो गया। शुरुआती दो माह में दुकानें कम खुल रही थी। ऐसे में वाट्सएप व फोन का सहारा लिया। लोगों से आर्डर लिए तो रेट के बारे में भी उन्हें बताया। कोरोना काल में सामान की होम डिलिवरी कराई गई। डिजिटल पेमेंट की सुविधा दी गयी, इससे कारोबार चल पड़ा। वह कहते हैं कि खुद भी सामान की खरीदारी आनलाइन की। किराना के सामान की वेराइटी वाट्सएप कालिंग व गूगल मीट से की गई। खरीदारी में खामी आने पर माल वापसी का वादा निभाया। कोरोना संक्रमण से सबको बचाने के लिए दुकान के अंदर व बाहर मास्क, सैनिटाइजर का इस्तेमाल हुआ। साथ ही सरकार की गाइड लाइन के अनुसार 50 फीसद से कम कर्मचारी बुलाए गए। बुजुर्ग और बीमार को छुट्टी दी गई। किसी का वेतन नहीं काटा गया।

ग्राहकों के सम्‍मान में कोई कमी नहीं

वह कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान कच्चे सामान मैदा व सूची का का नुकसान हुआ, क्योंकि दुकानें बंद होने से प्रतिदिन आने वाले दुकानदारों का आना बंद हो गया। बंदी से जरूरत दुकानदार व ग्राहक केवल जरूरत के सामान ही खरीदते थे। ग्रामीण इलाकों की दुकानें बंद होने से भी बिक्री काफी प्रभावित हुई। कर्मचारियों के खर्चे के अलावा बाजार में खाद्य सामग्री की कमी न हो। इसके लिए लगातार प्रयास होता रहा। दुकानदार व फुटकर ग्राहकों के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाया। जरूरत पडऩे पर कर्मचारियों का सहयोग करने में पीछे नहीं रहे। ग्राहकों का प्यार और भरोसा कोरोना के वक्त में भी कायम रहा। उनके सुझाव पर बदलावों को भी स्वीकार किया गया और उनके मनमाफिक होम व दुकानों तक डिलिवरी कराई गई। पुराने संबंधों का ही परिणाम रहा कि उनके साथ नए व्यापारी व ग्राहक जुड़ गए हैं, जिससे कारोबार में और वृद्धि हुई है।

विश्‍वास जरूरी

सतीश जिंदल कहते हैं कि धैर्य व वचनबद्धता व विश्वास से कभी भी हार नहीं मिलती है। इस पर कायम रहने से व्यक्ति कभी किसी कारोबार में नाकामयाब नहीं होगा। यही कारण रहा कि कोरोना काल में आई मुश्किलों से निकलने में सफल रहा। जब हमारी दुकानें बंद रही तो दुकानदारों से फोन कर उनकी दिक्कतों के बारे में जानकारी ली। कई बार सामान बिना पेमेंट के ही भेजने पड़े, लेकिन उन्होंने भी भरोसा नहीं तोड़ा और समय से भुगतान करते रहे। सामान्य स्थिति बहाल होने के बाद भी ग्राहकों का विश्वास बना रहे। इसी का प्रयास प्रतिष्ठान की ओर से किया जा रहा है।


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