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Gorakhpur Railway: पता के पेच में फंसा सेवानिवृत्त रेल कर्मचारियों का इलाज

गोरखपुर में नौकरी करने और सेवानिवृत्ति के बाद रहने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन उनका रजिस्ट्रेशन नहीं कर रहा है। प्रबंधन का कहना है कि कर्मचारियों का जहां का स्थाई पता होगा वहीं के पास वाले रेलवे अस्पताल में उनका रजिस्ट्रेशन होगा।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 05:35 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 06:24 PM (IST)
Gorakhpur Railway: पता के पेच में फंसा सेवानिवृत्त रेल कर्मचारियों का इलाज
भारतीय रेल के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। कृष्ण नंदन प्रसाद और जय प्रकाश जैसे दर्जनों रेलकर्मी सेवानिवृत्त के बाद रेलवे में इलाज के लिए भटक रहे हैं। रेलवे अस्पताल में न उनका रजिस्ट्रेशन हो रहा और न ही उपचार हो पा रहा।  गोरखपुर में नौकरी करने और सेवानिवृत्ति के बाद रहने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन उनका रजिस्ट्रेशन नहीं कर रहा है। प्रबंधन का कहना है कि कर्मचारियों का जहां का स्थाई पता होगा वहीं के पास वाले रेलवे अस्पताल में उनका रजिस्ट्रेशन होगा।

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कृष्ण नंदन प्रसाद सिंह 29 फरवरी 2020 को मुख्यालय गोरखपुर स्थित लेखा विभाग के वरिष्ठ अनुभाग अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए। अभी तक रेलवे अस्पताल में उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। उनकी पत्नी बीमार हैं लेकिन  रेलवे अस्पताल में इलाज नहीं हो पा रहा। बताते हैं, वह परिवार के साथ मोहनापुर में रहते हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आपका स्थाई निवासी मुजफ्फरपुर है, ऐसे में आप वहीं अपना रजिस्ट्रेशन कराइए। जय प्रकाश पांडेय 31 दिसंबर 2019 को यांत्रिक कारखाने में  तकनीशियन प्रथम के पद से सेवानिवृत्त हुए। आज तक रेलवे अस्पताल में उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। उन्हें मोतियाङ्क्षबद है, लेकिन इलाज नहीं करा पा रहे। बकौल जय प्रकाश,  न इलाज की सुविधा मिल पा रही और न ही पेंशन में एक हजार रुपये का लाभ मिल रहा। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि आप गोरखपुर के स्थाई निवासी नहीं हैं, ऐसे में यहां आपका रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। परेशानी बढ़ती जा रही है।

व्‍यवस्‍था को लेकर रेलकर्मियों में आक्रोश

ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल प्रबंधन के इस फरमान से रेलकर्मियों में आक्रोश है। उनका कहना है कि जीवन भर गोरखपुर में नौकरी की, यहीं सेवानिवृत्त हुए, यहीं रह रहे हैं और अब रजिस्ट्रेशन कराने के लिए दूसरे जोन और डिविजन का चक्कर लगाया जाए।  एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू)  के महामंत्री केएल गुप्ता कहते हैं कि एक तरफ रेलवे बोर्ड उम्मीद कार्ड पर किसी भी रेलवे अस्पताल में इलाज कराने की सुविधा दे रहा। इमरजेंसी में पास वाले पैनल में शामिल निजी अस्पताल में इलाज की व्यवस्था कर रहा। दूसरी तरफ रेलवे प्रशासन रजिस्ट्रेशन के नाम सेवानिवृत कर्मियों का उत्पीडऩ कर रहा है। अगर प्रबंधन ने मनमाना फरमान वापस नहीं लिया तो प्रकरण को महाप्रबंधक से लगायत बोर्ड तक उठाया जाएगा। दरअसल, सेवानिवृत्ति के बाद भी रेलकर्मियों को नियमानुसार चिकित्सकीय सुविधा मिलती रहती है। लेकिन उसके पहले रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। हालांकि, रेलवे प्रशासन सेवानिवृत्त के बाद आउटडोर व इंडोर चिकित्सकीय सुविधा के लिए  प्रत्येक कर्मी से निर्धारित शुल्क जमा करा लेता है। आउटडोर की सुविधा नहीं लेने वाले कर्मियों के पेंशन में एक हजार रुपये अतिरिक्त जुड़ जाता है।

रजिस्ट्रेशन नहीं होने से उम्मीद की भी उम्मीद नहीं

चिकित्सकीय सुविधा के लिए रेलवे अस्पताल प्रबंधन सभी रेलकर्मियों को उम्मीद कार्ड जारी करता है। सेवानिवृत्ति के बाद नया कार्ड बनता है। रेलकर्मी उम्मीद कार्ड के आधार पर रेलवे के किसी भी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं। इमरजेंसी में पैनल में शामिल निजी अस्पताल में भी उपचार करा सकते हैं। लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं होने से उम्मीद की उम्मीद भी समाप्त हो गया है।

उम्मीद कार्ड पर ही मिलेगी चिकित्सकीय सुविधा

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार ङ्क्षसह का कहना कि चिकित्सकीय सुविधा का लाभ लेने के लिए उम्मीद कार्ड अनिवार्य है। जिन रेलकर्मियों कार्यरत या सेवानिवृत्त ने अभी तक कार्ड नहीं बनवाया है वे सहज जन सेवा केंद्र या उम्मीद पोर्टल पर पंजीकरण कर अपने मोबाइल पर उम्मीद कार्ड लोड कर सकते हैं।


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