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सीएम सिटी का हाल- डेढ़ वर्ष में पूरा होना था, चार वर्ष में भी अधूरा

गोरखपुर विकास प्राधिकरण की लेट लतीफी के कारण आवासीय योजनाओं का बुरा हाल है। डेढ साल में पूरी होने वाली योजना चार साल में भी पूरी नहीं हुई।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 12:28 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 10:37 AM (IST)
सीएम सिटी का हाल- डेढ़ वर्ष में पूरा होना था, चार वर्ष में भी अधूरा
सीएम सिटी का हाल- डेढ़ वर्ष में पूरा होना था, चार वर्ष में भी अधूरा

गोरखपुर, जेएनएन। तीन आवासीय योजनाओं का समय से निर्माण न कराने को लेकर रेरा (उत्तर प्रदेश भू-विनियामक प्राधिकरण) ने जीडीए पर जुर्माना भले ही लगा दिया है, लेकिन इससे लोहिया इन्क्लेव के आवंटी न तो राहत  महसूस कर रहे हैं और न ही संतुष्ट हैं। उन्हें तो अभी भी इस बात की चिंता है कि जिस आवास पर कब्जा देने का जीडीए ने डेढ़ वर्ष का वादा किया था, उसके चार वर्ष बाद मिलने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिख रही। इस वादाखिलाफी को लेकर आवंटियों की नाराजगी अब चरम पर पहुंच गई है। बहुत से आवंटी तो संगठित आंदोलन का मन भी बनाने लगे हैं।

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जीडीए ने 2015 में दो बहुमंजिली आवासीय कॉलोनी लांच की। वसुंधरा इन्क्लेव और लोहिया इन्क्लेव। दोनों आवासीय योजनाओं को दो अलग-अलग फेज में बांटकर 500 से अधिक आवास बनाकर आवंटियों को उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया। लाटरी निकालकर पात्र आवंटियों से आवास की कीमत वसूलकर जीडीए ने उन्हें कब्जा देने की डेढ़ वर्ष की मियाद तय की। वसुंधरा इन्क्लेव के आवास तो जीडीए ने जैसे-तैसे आवंटियों को उपलब्ध करा दिए, लेकिन लोहिया इन्क्लेव के आवंटियों को अब भी कब्जे का इंतजार है। आवंटियों ने इसे लेकर जीडीए अफसरों से अपनी शिकायत दर्ज भी कराई, लेकिन उन्हें आश्वासन के अतिरिक्त कुछ भी हासिल नहीं हुआ। दरअसल जीडीए के अफसर कुछ बताने की स्थिति में हैं भी नहीं। वजह साफ है लोहिया इन्क्लेव की बिल्ंिडग तो बनकर तैयार है लेकिन सड़क, बिजली, जलापूर्ति आदि का कार्य अभी भी अधूरा है।

आवास तो दिया नहीं, बढ़ा दी कीमत

लोहिया इन्क्लेव के आवंटियों के लिए इन दिनों जीडीए का एक नया फरमान गले की फांस बना हुआ है। यह फरमान भी जीडीए की लेटलतीफी का ही परिणाम है। दरअसल जब आवास बनाया गया तो उस समय उसकी कीमत 104.39 वर्ग मीटर के दायरे के अनुसार 29 लाख रुपये रखी गई थी। जीडीए का कहना है कि अब आवास निर्माण के बाद यह दायरा बढ़कर 107.4 वर्ग मीटर हो गया है, ऐसे में आवंटियों को तीन लाख 83 हजार रुपये और जमा करने को कहा गया है। इसमें फ्री होल्ड की बढ़ी कीमत भी शामिल है। तीन दर्जन से अधिक आवंटियों को इस बाबत नोटिस भी मिल चुकी है। अब आवंटियों के सामने संकट यह है कि एक ही आवास के लिए वह दोबारा रकम का इंतजाम कैसे करें। अब तो उस आवास के नाम पर दोबारा लोन भी नहीं कराया जा सकता।

आवंटियों ने जताया आक्रोश

आवंटी सुरेश सिंह, अवनीश शुक्ला, अतुल सिंह, राकेश ओझा आदि ने कहा कि आवंटन के बाद जीडीए ने हमें आश्वस्त किया था कि डेढ़ वर्ष में हर हाल में आवास उपलब्ध करा दिए जाएंगे, लेकिन चार वर्ष बीतने को है और अब तक आवास मिलने की स्थिति नहीं बन सकी है। लोहिया इन्क्लेव में आवंटित आवास की किस्त जमा कर रहे हैं। एक दिन भी देर हो जाए तो 18 फीसद ब्याज देना पड़ता है। ऐसे में निर्धारित अवधि में आवास का उपलब्ध न होना खल रहा है। एक तो समय से आवास नहीं दिया और अब उसकी कीमत बढ़ा दी। जीडीए की यह मनमानी बर्दाश्त से बाहर है। आवंटियों में इसे लेकर आक्रोश है, जिसका परिणाम जीडीए को झेलना होगा। जीडीए की वादाखिलाफी की वजह से अब पानी सिर से ऊपर उठ रहा है। अब तो और पैसा जमा करने की एक और समस्या सामने आ गई है। समझ में नहीं आ रहा क्या करें।

ठेकेदारों के कारण हुई देरी : सचिव

जीडीए सचिव राम सिंह गौतम का कहना है कि वसुंधरा और लोहिया इन्क्लेव के निर्माण में देरी की वजह से जीडीए को रेरा में अतिरिक्त फीस देनी पड़ रही है। देरी की वजह ठेकेदारों की लापरवाही है, इसलिए उस फीस की वसूली भी उन्हीं से की जा रही है। निर्माण कार्य अंतिम चरण में है, जल्द आवंटियों को आवास का कब्जा देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।


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