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इस शहर के सीने में कभी बसती थी नदी, अब है घनी आबादी

गोरखपुर के व्‍यस्‍ततम चौराहा रेती चौक पर कभी राप्‍ती नदी बहा करती थी। समय के साथ नदी अपनी धारा बदलती रही और यहां घनी आबादी बस गई।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 01:00 PM (IST)Updated: Tue, 18 Dec 2018 10:00 AM (IST)
इस शहर के सीने में कभी बसती थी नदी, अब है घनी आबादी
इस शहर के सीने में कभी बसती थी नदी, अब है घनी आबादी

गोरखपुर, जेएनएन। बहुत कम लोगों को पता है कि शहर के व्यस्ततम चौराहे रेती चौक का राप्ती नदी से गहरा रिश्ता है। दरअसल, उसके नाम की नींव ही इस नदी से ही तैयार हुई है। नदी और चौराहे का क्या रिश्ता हो सकता है, इसे जानने के लिए गोरखपुर के पांच सदी पीछे के इतिहास को जानना होगा। साहित्यकार डॉ. रवींद्र श्रीवास्तव जुगानी बताते हैं कि उन दिनों राप्ती नदी आज के रेती चौक से होकर गुजरती थी। जैसी की नदी की फितरत होती है राह बदलने की, राप्ती नदी ने भी अपनी राह बदली और रुख दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर कर ली। जैसे-जैसे नदी बहाव स्थान बदलती गई, अवशेष के रूप में रेत छोड़ती गई।

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नतीजतन वह स्थान रेत की वजह से निर्जन होता गया, लेकिन उन दिनों लोगों की व्यापार और रिहाइश की योजना नदी को केंद्र में रखकर ही बनती थी, इसलिए धीरे-धीरे लोगों ने उस निर्जन स्थान पर पहले व्यापार करना शुरू किया। उस व्यापारिक स्थान की पहचान बताने के लिए व्यापारियों के पास कोई शब्द नहीं होता था, इसलिए उन्होंने रेतीला स्थान होने के चलते उसे रेती कहना शुरू कर दिया। समय के साथ यह नाम स्थापित रूप लेने लगा।

व्यापारियों को दूर से आकर व्यापार करने में दिक्कत होती थी तो उन्होंने रेती पर अपना आशियाना बनाना भी शुरू कर दिया। ऐसे में रेती क्षेत्र का दायरा बढ़ता गया और यह नाम इस तरह स्थापित हुआ कि मोहल्ले का रूप ले लिया। मोहल्ले के एक स्थल से चारो ओर रास्ता जाता था, इसलिए उसे रेती चौक कहा जाने लगा, जो आज शहर के व्यस्ततम चौराहे में एक है।

राप्ती नदी से रेती चौक के रिश्ते का जिक्र साहित्यकार डॉ. वेद प्रकाश पांडेय ने अपनी पुस्तक 'शहरनामाÓ में भी किया है। सुबह से शाम तक जाम का शिकार यह चौराहा आज शहर की जान है। धार्मिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गीता प्रेस का रास्ता इसी रेती चौक से गुजरता है। ऐसे में चौक सहित इस मोहल्ले की उपयोगिता और महत्व का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। आज यह चौराहा और मोहल्ला दोनों शहर के बड़े बाजार के रूप में जाने जाते हैं। गोरखपुर ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों के लोग भी यहां खरीदारी करने आते हैं।


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