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गोरखपुर में राप्ती-रोहिन 922 करोड़ में साफ रहेगी

जल निगम के परियोजना प्रबंधक रतनसेन सिंह का कहना है कि सुभाष चंद्र बोस नगर डोमिनगढ़ और महेवा में एसटीपी बनाने के लिए नमामि गंगे परियोजना को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 07:30 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 07:30 PM (IST)
गोरखपुर में राप्ती-रोहिन 922 करोड़ में साफ रहेगी
गोरखपुर में राप्‍ती नदी का दृश्‍य (फाइल फोटो)

गोरखपुर, जेएनएन। राप्ती और रोहिन नदियों में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए जल निगम तीन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगवाएगा। एसटीपी के लिए 922 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाकर नमामि गंगे परियोजना को भेजा गया है। बजट मिलने के बाद तीनों एसटीपी पर काम शुरू हो जाएगा। एसटीपी बनने के बाद शहर से सीधे राप्ती और रोहिन नदी में पानी गिराने की समस्या दूर हो जाएगी। इससे दोनों नदियां साफ रहेंगी।

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यहां बनेगी एसटीपी

स्थान      नदी    क्षमता  बजट

सूरजकुंड  रोहिन  40      665

डोमिनगढ़ राप्ती   44      272

महेवा      राप्ती   10      85

नोट- क्षमता मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी, एक मिलियन में 10 लाख लीटर), बजट करोड़ रुपये में

सूरजकुंड में सीवर लाइन भी बिछेगी

रोहिन नदी के किनारे बसे सुभाष चंद्र बोस नगर सूरजकुंड में 40 एमएलडी एसटीपी लगाने के साथ ही जल निगम सीवर लाइन भी बिछाएगा। सीवर लाइन को एसटीपी से जोड़ा जाएगा। यही वजह है कि सूरजकुंड में 665 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया गया है।

रामगढ़ताल किनारे हैं दो एसटीपी

शहर से निकले पानी को सीधे रामगढ़ताल में गिरने से रोकने के लिए दो एसटीपी बनाए गए हैं। महादेव झारखंडी के पास 15 एमएलडी और शहीद अशफाक उल्ला खांं प्राणी उद्यान के पास 30 एमएलडी का प्लांट स्थापित है। पैडलेगंज में जल निगम ने सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) बनाया है। इस पंपिंग स्टेशन के माध्यम से शहर से रामगढ़ताल किनारे पहुंचे गंदे पानी को प्राणी उद्यान के पास बने एसटीपी में भेजा जाता है।

जल निगम के परियोजना प्रबंधक रतनसेन सिंह का कहना है कि सुभाष चंद्र बोस नगर, डोमिनगढ़ और महेवा में एसटीपी बनाने के लिए नमामि गंगे परियोजना को प्रस्ताव भेजा गया है। बजट मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा।

बता दें कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की पीठ ने एक समिति की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि प्रदूषित जल के उत्प्रïवाह के संबंध में संबंधित अधिकारी बड़े पैमाने पर कर्तव्यों की अनदेखी कर रहे हैैं। अब समय आ गया है कि औद्योगिक एवं सीवेज उत्प्रवाह को नदियों में गिरने से रोकने, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और अविरल गंगा के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव व्यक्तिगत तौर पर निगरानी करें। रामगढ़ ताल के साथ आमी, राप्ती, रोहिन समेत गोरखपुर के आसपास की अन्य नदियों का प्रदूषण दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। इनके कायाकल्प के लिए बनी योजनाओं की देखरेख के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें। आवश्यक बजट और निर्धारित समयसीमा में अनुपालन भी सुनिश्चित कराएं। पीठ ने यह भी कहा कि जब स्पष्ट है कि गंगा या किसी अन्य जल स्रोत को प्रदूषित करने पर आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान है और अधिकारी भी इससे बरी नहीं है, इस प्रोजेक्ट के अनुपालन में नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के बजट के इंतजार का हवाला देकर देरी नहीं की जा सकती।


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