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करोड़ों खर्च के बाद जलकुंभी के जाल में फंसा रामगढ़ ताल, नौकायन तक पहुंची जलकुंभी Gorakhpur News

जलकुंभी इतनी तेजी से झील में फैल रही है कि जार्बिंग बॉल को ही घेर लिया था। दो दिनों तक जार्बिंग बॉल में कोई जा भी नहीं सका। जलकुंभी निकालने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 09 Jan 2020 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jan 2020 11:00 PM (IST)
करोड़ों खर्च के बाद जलकुंभी के जाल में फंसा रामगढ़ ताल, नौकायन तक पहुंची जलकुंभी Gorakhpur News
करोड़ों खर्च के बाद जलकुंभी के जाल में फंसा रामगढ़ ताल, नौकायन तक पहुंची जलकुंभी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वांचल का मरीन ड्राइव रामगढ़ ताल जलकुंभी के जाल में जकड़ती जा रही है। नौकायन तक जलकुंभी पहुंच चुकी है। सफाई न होने से झील का पानी भी बदबू करने लगा है। उत्साह से नौकायन आने वाले पर्यटकों को निराशा हाथ लग रही है। व्यू प्वाइंट गंदा दिख रहा है। गोरखपुर महोत्सव से जुड़े कई आयोजन रामगढ़ ताल के किनारे होने के बाद भी आश्चर्यजनक रूप से जल निगम और न ही अफसर ताल से जलकुंभी निकालने के लिए कोई प्रयास कर रहे हैं।

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तो बंद हो जाएगी बोटिंग

जलकुंभी इतनी तेजी से झील में फैल रही है कि जार्बिंग बॉल को ही घेर लिया था। दो दिनों तक जार्बिंग बॉल में कोई जा भी नहीं सका। अब जार्बिंग बाल चलाने वालों ने झील में तार बांध कर जलकुंभी बाहर की है। हालांकि जलकुंभी कब पानी के सहारे वापस आ जाए, कहा नहीं जा सकता। तेजी से बढ़ रही जलकुंभी के कारण बोटिंग बंद होने का भी खतरा बढ़ता जा रहा है।

बहुत ज्यादा बढ़ गई है गाद

रामगढ़ ताल के सुंदरीकरण के लिए जलकुंभी हटाने के साथ ही गाद भी निकाला गया था। इससे झील के पानी की बदबू खत्म हो गई थी। वर्तमान में झील में लाखों मीट्रिक टन गाद इकट्ठा हो गई है।

आरकेबीके के पास नहीं हो पाती सफाई

जल निगम ने मोहद्दीपुर में आरकेबीके के पीछे रामगढ़ झील से जलकुंभी निकालने की कई बार योजना बनाई लेकिन दलदल होने के कारण वहां न तो मशीन से काम हो पा रहा है और न ही कोई मजदूर जा पा रहा है। इस कारण रामगढ़ ताल में जलकुंभी बची रह जा रही है। सफाई बंद होते ही जलकुंभी फैलने लगती है।

छोटी नाव से निकाली जा रही थी जलकुंभी

रामगढ़ ताल की जलकुंभी को निकालने के लिए काफी समय और रुपये खर्च किए गए। मशीनों से हुई सफाई के बाद भी झील में जलकुंभी बची रही। जल निगम छोटी नाव के सहारे इसे निकाल रहा था। दो महीने से भी ज्यादा समय से जलकुंभी निकालने का काम ठप है।

14 करोड़ से ज्यादा बकाया

रामगढ़ ताल के दो किनारों पर लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तथा सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) के रखरखाव व संचालन पर जल निगम 14 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुका है। जबकि एसटीपी तथा एसपीएस के रखरखाव व संचालन के लिए गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए), नगर निगम तथा आवास विकास परिषद को सालाना धन उपलब्ध कराना है। इसके लिए तीनों विभागों ने मेमोरेंडम आफ एग्रीमेंट भी किया है। तीनों विभागों को हर साल 6.6 करोड़ रुपये जल निगम को उपलब्ध कराना है। इसमें जीडीए की हिस्सेदारी 2.504 करोड़, नगर निगम की 2.484 करोड़ तथा आवास विकास परिषद की 1.614 करोड़ रुपये है। जीडीए अब तक 5.008 करोड़ तथा नगर निगम ने 3.226 करोड़ रुपये जल निगम को दिया है। आवास विकास परिषद ने एक रुपये नहीं दिए हैं।

जलकुंभी साफ करने वाली मशीन भी खराब

रामगढ़ ताल से जलकुंभी साफ करने वाली मशीन भी खराब है। इसकी रिपेयङ्क्षरग हो रही है। तीन-चार दिन में इससे ठीक होने की उम्मीद है। अब मजदूरों से होगी सफाई जल निगम के परियोजना प्रबंधक रतनसेन सिंह का कहना है कि रामगढ़ ताल में जलकुंभी की सफाई कराई जाएगी। मशीन खराब है, इसलिए मजदूरों की सहायता से जलकुंभी निकलवाई जाएगी। ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को काम पर लगाया जाएगा। रामगढ़ झील पहले से भी ज्यादा अच्‍छा दिखेगी। 


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