Move to Jagran APP

विवादित ढांचे की ईंट उठा लाए थे राजकुमार तिवारी, पीठाधीश्वर ने किया था सम्मानित Gorakhpur News

राजकुमार उर्फ पप्पू तिवारी बताते हैं कि 1990 में कारसेवकों पर पुलिस ने गोली चला दी थी जिसके विरोध में आंदोलन करने निकल पड़े।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 04:51 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:51 PM (IST)
विवादित ढांचे की ईंट उठा लाए थे राजकुमार तिवारी, पीठाधीश्वर ने किया था सम्मानित Gorakhpur News
विवादित ढांचे की ईंट उठा लाए थे राजकुमार तिवारी, पीठाधीश्वर ने किया था सम्मानित Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली पर मंदिर निर्माण के लिए हुए आंदोलन में प्राण प्रण से शामिल रहे रामभक्त राजकुमार उर्फ पप्पू तिवारी की खुशी इन दिनों देखते ही बन रही। हो भी क्यों न, जवानी के दिनों में देखा सपना मंदिर शिलान्यास के साथ साकार होने जा रहा है। पप्पू उन कारसेवकों में से हैं जो विवादित ढांचा गिरने के बाद वहां की ईंट अपने साथ ले आए थे।

loksabha election banner

दस दिन तक रहना पड़ा अस्थाई जेल में

सहजनवां ब्लाक के नगरा गांव निवासी 50 वर्षीय राजकुमार उर्फ पप्पू तिवारी बताते हैं कि 1990 में कारसेवकों पर पुलिस ने गोली चला दी थी, जिसके विरोध में आंदोलन करने निकल पड़े। पुलिस ने गिरफ्तार कर आजमगढ़ में बने अस्थायी जेल भेज दिया। वहां दस दिनों तक रहना पड़ा। 1992 में विवादित ढांचा ढहने से पहले ही पप्पू कारसेवकपुरम में मौजूद थे। उन्हें जब विवादित स्थल पर जाने का अवसर मिला तो वहां से बैरिकेडिंग की दस फीट पाइप तथा दो ईंट लेकर निकल पड़े। कर्फ्यू लगने से पाइप एक संत को दे दिया तथा ईंट लेकर घर आ गए। कुछ माह बाद ईंट को गोरक्षपीठ के हवाले कर दिया। इसके लिए तत्कालीन सांसद व गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें सम्मानित किया था।

पुलिसकर्मियों ने पकडऩे से कर दिया था इन्कार

मंदिर आंदोलन के समय हरपुर-बुदहट पुलिस काफी मुस्तैद थी ताकि कोई अयोध्या नहीं जाने पाए। पप्पू तिवारी बताते हैं कि वह भी थाने के सामने से जाने लगे तो तत्कालीन थानेदार ने नायब दारोगा लायक सिंह व हमराही सिपाही प्रेमनाथ मिश्र को उन्हें पकडऩे का आदेश दिया। पुलिसकर्मियों ने खुद को रामभक्त बताते हुए थानेदार की बात मानने से इन्कार कर दिया।

पूर्वांचल की ऋतंभरा बन गईं इंदुमति

संघ की पारिवारिक पृष्ठभूमि के बीच पली-बढ़ीं डॉ. इंदुमति ने 13 साल की उम्र से ही मंचों की कमान संभालनी शुरू कर दी थी। इनकी भाषण शैली और आवाज बिल्कुल ऋतंभरा से मिलती थी तो लोग उनको पूर्वांचल की ऋतंभरा कहने लगे। इंदुमति बताती हैं कि महंत अवेद्यनाथ ने उनका संबोधन  सुन 1994 में राममंदिर के लिए संत यात्रा में चलने का आमंत्रण दिया। गोरक्ष, अवध और काशी प्रांत में घूम-घूम कर अपने ओजस्वी संबोधन से लोगों को राम मंदिर के लिए आगे आने को प्रेरित किया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.