ट्रेन के देर से पहुंचने पर रेलवे को करनी होगी लापरवाही की भरपाई Gorakhpur News
इसे मजबूर श्रमिकों का दुर्भाग्य कहें या रेलवे की गंभीर लापरवाही उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने में बहुत अधिक समय लग गया। रेलवे को इस लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
गोरखपुर,जेएनएन। कोरोना संकट में गैर प्रांत में आजीविका गंवाने वाले प्रवासी श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के सरकार व रेल प्रशासन के निर्णय से उन्हेंं कुछ सहूलियत मिलती दिखी। लेकिन, इसे मजबूर श्रमिकों का दुर्भाग्य कहें या रेलवे की गंभीर लापरवाही, उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने में बहुत अधिक समय लग गया। इस भीषण गर्मी में भूख-प्यास से बेहाल ये श्रमिक रेलवे की सेवा में कमी एवं लापरवाही का खामियाजा भुगतने को मजबूर हुए। उपभोक्ता मामले के विशेषज्ञों का कहना है कि सेवा में कमी का मामला साबित होने पर रेलवे को इसकी भरपाई करनी होगी।
खुद के पैसे से खरीदे हों टिकट तभी कर सकते हैं दावा
गोरखपुर के जिला उपभोक्ता फोरम के अवकाश प्राप्त अध्यक्ष विजय प्रकाश मिश्र का कहना है कि प्रवासी श्रमिकों ने यदि अपनी यात्रा के लिए स्वयं टिकट खरीदे हैं तो वे रेलवे के उपभोक्ता होंगे तथा रेलवे सेवा प्रदाता। यात्रा के क्रम में किसी भी प्रकार की शारीरिक मानसिक अथवा आॢथक असुविधा होती है तो रेलवे को सेवा प्रदाता का कर्तव्य पालन करना होगा। यानी वह अपनी लापरवाही के लिए जिम्मेदार होगी । लेकिन, श्रमिक को सरकार द्वारा सुविधा मुहैया कराकर ट्रेन से भेजा जाता है तो ऐसी स्थिति में यात्रा करने वाला वह श्रमिक उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आएगा।
इसमें पेंच भी
गोरखपुर के जिला उपभोक्ता फोरम के अवकाश प्राप्त चेयरमैन घनश्याम शुक्ल का कहना है कि यदि रेलवे या सरकार मुफ्त में यात्रा करा रही है तो श्रमिकों द्वारा ली गई सेवा में कमी नहीं मानी जाएगी। क्योंकि, उन्होंने स्वयं कोई प्रतिफल नहीं दिया है। यदि प्रवासी श्रमिकों ने स्वयं के पैसे से टिकट खरीदे हैं तो वे उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे और उन्हेंं समय से गंतव्य पर पहुंचाने की जिम्मेदारी रेलवे की है। यह बात अलग है कि आपात परिस्थितियों के कारण मार्ग अवरुद्ध होने पर यदि ट्रेन गंतव्य तक विलंब से पहुंचती है तो इसे सेवा में कमी नहीं माना जाएगा।
यह सेवा में त्रुटि
देवरिया के जिला उपभोक्ता फोरम के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व जिला जज हरिशंकर दुबे का कहना है कि ट्रेनों के विलंब से चलने व निर्धारित मार्ग से भटक जाने से यात्रियों को होने वाली परेशानी उपभोक्ता फोरम अधिनियम के अंतर्गत रेलवे की लापरवाही व सेवा में त्रुटि है। इसके लिए वाद दायर किया जा सकता है। कानूनी प्राविधानों के अनुसार ट्रेन का गंतव्य स्थल तक समय से न पहुंचना भी सेवा में त्रुटि की परिधि में आता है। उधर गोरखपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता बृज बिहारी लाल श्रीवास्तव का कहना है कि यदि प्रवासी श्रमिकों ने स्वयं रुपये देकर टिकट खरीदे हैं तो वे उपभोक्ता की श्रेणी में आएंगे तथा उन्हेंं समय से गंतव्य पर पहुंचाने की जिम्मेदारी रेलवे की है। ऐसा न करने की स्थिति में रेलवे क्षतिपूॢत देने के लिए जिम्मेदार होगी। यात्रा में देरी से मानसिक व शारीरिक कष्ट झेलने वाले श्रमिक इसके लिए दावा कर सकते हैं।