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North Eastern Railway: पांच साल से कैंट के लिए रास्ते की तलाश कर रहा रेलवे Gorakhpur News

रक्षा मंत्रालय से 8 हजार स्क्वायर मीटर भूमि दिलाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रेलवे बोर्ड को भेज दिया है। रेलवे प्रशासन ने भूमि के बदले बगल में ही उतनी ही भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2020 06:30 AM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 06:30 AM (IST)
North Eastern Railway: पांच साल से कैंट के लिए रास्ते की तलाश कर रहा रेलवे Gorakhpur News
गोरखपुर रेलवे स्‍टेशन भवन का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। सैटेलाइट के रूप में विकसित हो रहे प्रस्तावित टर्मिनल कैंट स्टेशन के रास्ते की समस्या सुलझने का नाम नहीं ले रही। स्टेशन के दक्षिण की तरफ सेना की भूमि होने के चलते दूसरा मार्ग तैयार नहीं हो पा रहा। जबकि, पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन यात्रियों की सुविधा के लिए पिछले पांच साल से रास्ते की तलाश कर रहा है, लेकिन बात नहीं बन पा रही। आज भी शहर के लोगों को स्टेशन पर पहुंचने के लिए मशक्कत उठानी पड़ती है। पूरब की तरफ ढाला पर क्रासिंग खुलने के इंतजार में ही लोगों की ट्रेनें छूट जाती हैं।

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भूमि के बदले भूमि उपलब्‍ध कराने का प्रस्‍ताव

हालांकि, रेलवे प्रशासन ने स्टेशन के दक्षिण की तरफ दूसरा मार्ग तैयार करने के लिए फिर से कवायद शुरू कर दी है। रक्षा मंत्रालय से 8 हजार स्क्वायर मीटर भूमि दिलाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर रेलवे बोर्ड को भेज दिया है। रेलवे प्रशासन ने भूमि के बदले बगल में ही उतनी ही भूमि उपलब्ध कराने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही आम लोगों की परेशानियों को गिनाते हुए रास्ते की जरूरत पर बल दिया है। रेलवे प्रशासन का कहना है कि रास्ता तैयार हो जाने से नरकटियागंज, छपरा और वाराणसी की तरफ से रोजाना आवागम करने वाले हजारों लोगों को सहूलियत मिलेगी। रेलवे प्रशासन ने वर्ष 2015-2016 में भी भूमि के  लिए रेलवे बोर्ड को प्रस्ताव भेजा था। साथ ही स्थानीय स्तर पर भी सेना के उ'च अधिकारियों से वार्ता कर भूमि हासिल करने की पहल की थी। लेकिन बात नहीं बन पाई। आज कैंट स्टेशन का विकास शुरू हो गया है। पांच प्लेटफार्म बन रहे हैं। नए भवन बन रहे हैं। यात्री सुविधाओं में बढोत्तरी की जा रही है। आने वाले दिनों में गोरखपुर जंक्शन के लोड को कम करने के लिए कैंट से ही इंटरसिटी, पैसेंजर और डेमू आदि ट्रेनें चलने लगेंगी। यात्रियों की संख्या भी बढ़ जाएगी। लेकिन, दूसरा मार्ग नहीं बनने से लोगों को स्टेशन के कायाकल्प का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा। फिलहाल, रेलवे प्रशासन ने हार नहीं मानी है। प्रयास जारी है।  दरअसल, कैंट स्टेशन से आवागमन के लिए उत्तर की तरफ एक मार्ग पहले से है। लेकिन वह मार्ग स्टेशन से पूरब की तरफ स्थित क्रासिंग  से होकर गुजरता है। सामान्य दिनों में इस मुख्य रेल मार्ग से रोजाना लगभग 150 ट्रेनें गुजरती हैं। ऐसे में हर पल क्राङ्क्षसग बंद ही रहती है। क्राङ्क्षसग के चलते लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है।

सुलभ हो जाएगा एम्स व शहर का आवागमन

कैंट स्टेशन से दक्षिण की तरफ मार्ग बन जाने से एम्स और शहर का आवागमन सुलभ हो जाएगा। दरअसल,  कैंट स्टेशन से मुख्य सड़क मार्ग और एम्स के गेट की दूरी करीब 100 मीटर है। अगर स्टेशन के दक्षिण की तरफ दूसरा मार्ग बन जाएगा तो दोनों गेट आमने-सामने हो जाएंगे। ट्रेन से उतरने के बाद यात्रियों को क्राङ्क्षसग पार नहीं करना पड़ेगा। लोग महज 50 से 60 मीटर की दूरी तय एम्स पहुंच जाएंगे। यही नहीं कैंट से आटो, टैक्सी और अन्य प्राइवेट वाहन भी चलने लगेंगे। इससे शहर के लोगों को भी सहूलियत मिलेगी।

ताल के किनारे से भी रास्ता तैयार करने की है चर्चा

कैंट स्टेशन को मुख्य सड़क मार्ग (एयरपोर्ट- सर्किट हाउस रोड) को जोडऩे के लिए रेलवे, जनप्रतिनिधियों और आम लोगों में ताल के किनारे से भी रास्ता तैयार करने की चर्चा है। दरअसल, स्टेशन के पश्चिमी छोर पर ताल पर बने ब्रिज के पास से दक्षिण की तरफ ताल के किनारे से मोहद्दीपुर और गुरुंग तिराहा के बीच रास्ता निकाला जा सकता है। लेकिन इसके लिए राज्य सरकार को कदम उठाने होंगे। रेलवे प्रशासन नहीं जनप्रतिनिधियों को भी पहल करनी होगी। पूर्वोत्‍तर रेलवे के मुख्‍य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह का कहना है कि कैंट रेलवे स्टेशन को सैटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित करने का कार्य चल रहा है। इसके अंतर्गत नया स्टेशन भवन, दो अतिरिक्त प्लेटफार्म लाइन, दो अतिरिक्त प्लेटफॉर्म, सर्कुलेटिंग एरिया इत्यादि का कार्य प्रगति पर है।


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