गोरखपुर, जागरण संवाददाता। उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के 531 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा और मेडिकल पास करने के बाद भी सहायक लोको पायलट (एएलपी) नहीं बन पा रहे हैं। पिछले तीन साल से रेलवे भर्ती सेल गोरखपुर का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी महाप्रबंधक कार्यालय पहुंचे और उच्च अधिकारियों से मिलकर नियुक्ति की गुहार लगाई।
ये है मामला: बलिया से पहुंचे कौशल किशोर, महराजगंज के आर्यन, बिहार से दिलीप कुमार यादव, प्रयोगराज से रोहित दूबे और वैभव द्विवेदी तथा गोरखपुर से सत्येंद्र, नितिश और दिव्याशु का कहना था कि पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन बोर्ड के आदेशों की अनदेखी कर रहा है। बोर्ड ने वेटिंग/स्टैंडबाई अभ्यर्थियों की तैनाती के लिए भी दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। दूसरे जोनल कार्यालयों में तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जबकि पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास कोई आदेश नहीं आया है।
अभ्यर्थियों ने कहा कि रेलवे प्रशासन की गलती उन्हें भुगतना पड़ रहा है। रेलवे ने पदों की संख्या बढ़ाकर 1681 पद के लिए पैनल जारी कर दिया। अब तैनाती को लेकर हाथ खड़े कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि पद रिक्त नहीं हैं, खाली होने पर तैनाती होगी। लेकिन आखिर कबतक वे तैनाती का इंतजार करते रहेंगे। जुलाई 2019 से ही तैनाती के लिए रेलवे भर्ती सेल का चक्कर लगा रहे हैं।
दो साल से एएलपी बनने का इंतजार कर रहे 150 ट्रैक मेंटेनर: युवा ही नहीं पूर्वोत्तर रेलवे के करीब 150 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (ट्रैक मेंटेनर आदि) भी दो साल से सहायक लोको पायलट (एएलपी) बनने का इंतजार कर रहे हैं। विभागीय पदोन्नति परीक्षा पास करने के बाद भी कर्मचारी रेल लाइनों की मरम्मत करने को मजबूर हैं। रेलवे प्रशासन का कहना है कि पद ही नहीं है। तो सवाल यह है कि जब पद ही नहीं थे रेलवे प्रशासन ने पदोन्नति परीक्षा क्यों आयोजित की।
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