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पूर्वांचल को मिलेगी बाढ़ से मुक्ति, पीएम के पास भेजी जाएगी जलकुंडी परियोजना की फाइल

Jalakundi Project पूर्वांचल को आने वाले वर्षों में बाढ़ की समस्या से निजात मिल जाएगी। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप स‍िंंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जलकुंडी परियोजना की फाइल सौंपने वाले हैं। इस परियोजना पर काम हुआ तो दर्जनभर जिलों को बाढ़ की समस्या से मुक्ति तो मिल जाएगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 11:46 AM (IST)
पूर्वांचल को मिलेगी बाढ़ से मुक्ति, पीएम के पास भेजी जाएगी जलकुंडी परियोजना की फाइल
बाढ़ के पानी को रोकने के ल‍िए जलकुंडी पर‍ियोजना को मंजूरी की आस एक बार फ‍िर जगी है।

गोरखपुर, जितेंद्र पाण्डेय। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो पूर्वांचल को आने वाले वर्षों में बाढ़ की समस्या से निजात मिल जाएगी। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप स‍िंंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जलकुंडी परियोजना की फाइल सौंपने वाले हैं। इस परियोजना पर काम हुआ तो सिद्धार्थनगर सहित करीब दर्जनभर जिलों को बाढ़ की समस्या से मुक्ति तो मिल जाएगी। इस क्षेत्र की विद्युत व्यवस्था भी सुधर जाएगी।

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आगामी 30 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिले में संभावित कार्यक्रम फिलहाल के लिए भले टल गया हो, लेकिन उम्मीद अभी खत्म नहीं हुई है। जिला प्रशासन व शासन की पूरी तैयारी है कि अगले माह इसी जिले से प्रदेश के नौ नये मेडिकल कालेजों का उद्घाटन कराया जाए। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री की तैयारी है कि इस अवसर पर पूर्वांचल के लोगों को जलकुंडी परियोजनो के रूप में एक और बड़ी सौगात मिल जाए। इस लिए वह एक बार फिर से जलकुंडी योजना की फाइल तैयार करा रहे हैं। प्रधानमंत्री के आगमन पर वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के माध्यम से इस फाइल को उन्हें सौंपेंगे।

क्या है जलकुंडी परियोजना

पूर्वांचल में प्रतिवर्ष लाखों हेक्टेयर फसल बाढ़ की भेंट चढ़ जाती है। इससे छुटकारा दिलाने के लिए अंग्रेजों के द्वारा वर्ष 1935 में जलकुंडी परियोजना तैयार की गई थी । इस परियोजना के तहत नेपाल के भालूबांग के पास 56 मीटर और नलौरी के पास 163 मीटर ऊंचा बांध बनाने के साथ गहरा कुंड बनाकर पानी को स्टोर किया जाना था। इस कुंड में राप्ती और उसकी सहायक नदी झिरमुख, खोला सहित कई नदियों के जल को एकत्रित किया जाना था। वहां डैम बनाकर बिजली का उत्पादन होता। इससे नेपाल सहित पूर्वांचल की विद्युत व्यवस्था सुधर जाती और सिद्धार्थनगर सहित बस्ती, गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, संतकबीरनगर सहित करीब दर्जन भर जिले को बाढ़ छुटकारा मिल जाता है।

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी कर चुके हैं पहल

परियोजना को लेकर वर्ष 1954 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू व नेपाल के राजा त्रिभुवन वीर विक्रम शाह की बात भी हो चुकी थी, लेकिन सार्थक प्रयास के अभाव में परियोजना की शुरुआत ही नहीं हो सकी।

पूर्व मंत्री धनराज यादव ने भी थी पहल

भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री स्व.धनराज यादव भी इस परियोजना के लिए कई बार पहल कर चुके हैं। वह इस परियोजना की फाइल को लेकर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित अन्य कई बड़े नेताओं से मिले थे, लेकिन कुछ हुआ नहीं। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप ङ्क्षसह का कहना है कि सुषमा स्वराज से मुलाकात के दौरान वह भी पूर्व मंत्री धनराज यादव के साथ मौजूद थे।

स्थितियां भी अनुकूल

वर्तमान स्थितियां भी इस परियोजना के अनुकूल हैं । नेपाल में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की सरकार है। उनके भारत से रिश्ते भी अच्‍छे हैं। ऐसे में प्रबल संभावना है कि इस परियोजना पर दोनों देशों की सहमति बन जाए। यह परियोजना सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल के भी हित में थी। इस परियोजना द्वारा तैयार होने वाली बिजली का सर्वाधिक लाभ नेपाल को ही मिलता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हर किसी को उम्मीदें अधिक हैं। उन्होंने तमाम ऐसे कार्य किये हैं, जो पूर्ववर्ती केंद्र सरकारों के समय में नहीं हो सका। ऐसे में संभावना है कि प्रधानमंत्री इस परियोजना के लिए अपनी सहमति दे देंगे। यह परियोजना भारत-नेपाल व दोनों देशों के हित में है। - जय प्रताप स‍िंह, स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार।


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