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चीन के कास्मेटिक सामान से मुक्‍त हुआ पूर्वांचल का बाजार, 200 करोड़ रुपये का था कारोबार

चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार का असर पूर्वांचल के बाजार में दिखने लगा है। ग्राहक और कारोबारी चीनी उत्पाद से किनारा कर रहे हैं। ग्राहकों के रुख को देखते हुए बड़े कास्मेटिक कारोबारियों ने चीनी माल मंगवाना बंद कर दिया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 08:06 PM (IST)
चीन के कास्मेटिक सामान से मुक्‍त हुआ पूर्वांचल का बाजार, 200 करोड़ रुपये का था कारोबार
कोरोना संक्रमण के बाद पूर्वंचल के कारोबारियों ने चाइनीज सामान मंगवाना बंद कर दिया है। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना इफेक्ट ने प्रधानमंत्री मोदी के नारे वोकल फार लोकल को मजबूती दी है। पूर्वांचल, खासगर गोरखपुर में कास्मेटिक सेगमेंट के 200 करोड़ रुपये के बाजार पर चीन का कब्जा था। प्रोडक्ट भले ही गुणवत्ताविहीन रहे हों, लेकिन कम दाम के कारण ग्राहकों की पसंद बने हुए थे। कोरोना संक्रमण के साथ सरकार की ओर से जारी सख्त नीति-नियमों के कारण चाइनीज सामानों का आयात प्रतिबंधित हो गया और इसका सीधा फायदा स्वदेशी कंपनियों को पहुंच रहा है। गोरखपुर से ही आसपास के जिलों केे अलावा बिहार और नेपाल तक में चाइनीज कास्मेटिक की आपूर्ति होती थी। वहां पर भी भारतीय उत्पाद जा रहे हैं।

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चाइनीज उत्‍पाद से किनारा कर रहे हैं दुकानदार

चाइनीज उत्पादों के बहिष्कार का असर बाजार में दिखने लगा है। ग्राहक और कारोबारी चीनी उत्पाद से किनारा कर रहे हैं। ग्राहकों के रुख को देखते हुए बड़े कास्मेटिक कारोबारियों ने चीनी माल मंगवाना बंद कर दिया है। सिर्फ पहले से रखा माल ही बेच रहे हैं और वह भी ग्राहक लेने को तैयार नहीं हो रहा है। दुकान पर आते ही ग्राहक सबसे पहले यह पूछ रहा है कि उत्पाद चाइना में तो नहीं बना है। ज्यादातर चाइनीज उत्पाद पर दाम और एक्सपायरी तिथि नहीं लिखी होती है। सामान का न तो पक्का बिल मिलता है और न ही उत्पाद खराब निकलने पर ग्राहक क्लेम कर सकता है। गुणवत्ता के मामले में भी वह देसी उत्पाद के सामने खरा नहीं उतरता।

दिल्‍ली के सदर बाजार से आता है माल

चाइनीज कास्मेटिक का सबसे बड़ा हब दिल्ली का सदर बाजार है। वहीं से लिपिस्टिक, फेस पाउडर, नेल पालिश, आई लाइनर, फांडेशन, काजल, मेकअप किट, शैंपू, कंडीशनर, प्राइमर, कंसीलर, ब्रश, डियाे, ब्रांडेड डियो की कापी, परफ्यूम, मसकरा आदि आता है। जबकि साहबगंज, पांडेयहाता, घंटाघर एवं शाहमारुफ में स्थित 125 से ज्यादा थोक दुकानों से आसपास के जिलों के अलावा बिहार के सिवान, गोपालगंज, छपरा, महराजगंज, नरकटियागंज तक कास्मेटिक की आपूर्ति की जाती है। फुटकर विक्रेता को सौ रुपये का सामान बेचने में करीब 60 रुपये तक की बचत होती है इसलिए ज्यादातर दुकानदार चाइनीज माल पंसद करते थे। इसके विपरीत देसी कंपनियों के सामान पर महज 10 से 15 फीसद तक बचत हो पाती है।

ग्राहक चाइनीज सामान मांगते थे इसलिए रखना पड़ता था। चीइनीज कास्मेटिक मंगवाना बंद कर दिया है क्योंकि ग्राहक स्वदेशी उत्पाद की मांग कर रहे हैं। जनवरी के बाद थोक व फुटकर दुकानों पर सिर्फ स्वदेशी कंपिनयों के सामान ही दिखाई देंगे। - आरिफ अली खान, थोक कारोबारी

दुकानदारों की पसंद को ध्यान में रखकर सामान मंगवाना पड़ता था, लेकिन दुकानदारों ने भी चाइनीज कास्मेटिक से किनारा कर लिया है। चाइना का सामान दाम में कम और दिखने में अच्छा होने के कारण लोग इसे अधिक पसंद करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। - विनोद पटवा, थोक कारोबारी। लाकडाउन से पहले तक चीनी प्रोडक्ट बहुत बिकता था। काेरोना की वजह से सप्लाई चेन टूटने और सरहद पर तनाव के चलते चाइनीज उत्पाद की बिक्री में काफी कमी आई है। दुकान पर आने वाले ज्यादातर ग्राहकों का स्पष्ट कहना है कि सिर्फ देसी कंपिनयों के उत्पाद ही चाहिए। - राशिद अली, थोक कारोबारी।

चीनी प्रोडक्ट के बहिष्कार का कास्मेटिक बाजार पर सबसे ज्यादा असर हुआ है। अब कहा जा सकता है कि कास्मेटिक में चाइना का पूरी तरह सफाया हो गया है। वहां के सामान न तो दुकानदार मंगवा रहे हैं और न ही ग्राहकों को पसंद आ रहा है। - उमेश श्रीवास्तव, थोक कारोबारी


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