Move to Jagran APP

पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती बोले साढ़े तीन साल में हिंदू राष्ट्र बन जाएगा भारत

गोवर्धन पीठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि विभाजन के बाद मानवाधिकार की सीमा में भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में घोषित किया जाना चाहिए था। इसे हिंदू राष्ट्र घोषित न करना भारत का प्रमाद है शासन तंत्र व राजनीतिक दलों की दिशाहीनता है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Fri, 29 Oct 2021 02:54 PM (IST)Updated: Fri, 29 Oct 2021 07:41 PM (IST)
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती बोले साढ़े तीन साल में हिंदू राष्ट्र बन जाएगा भारत
पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती गोरखपुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोवर्धन पीठ, पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि विभाजन के बाद मानवाधिकार की सीमा में भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में घोषित किया जाना चाहिए था। इसे हिंदू राष्ट्र घोषित न करना भारत का प्रमाद है, शासन तंत्र व राजनीतिक दलों की दिशाहीनता है। मैं बहुत सोच-समझकर कह रहा हूं कि भारत साढ़े तीन साल में हिंदू राष्ट्र बन जाएगा। इसकी व्यूह रचना भी हमारे पास है। इसमें बस आप सब का सहयोग चाहिए।

loksabha election banner

कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक हिंदुस्‍तान है

दो दिवसीय प्रवास पर गोरखपुर पहुंचे शंकराचार्य ने 29 अक्‍टूबर को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हिंद महासागर व हिंदुकूट, दो प्राचीन शब्द हैं। हिंदु में दो अक्षर हैं- हि का अर्थ हिमालय व इंदु का अर्थ है सरोवर। इसका अर्थ हुआ कश्मीर से कन्या कुमारी तक हिंदुस्थान है।

राजनीति की परिभाषा से परिचित नहीं हैं राजनेता

राजनेताओं को राजनीति की सही परिभाषा जाननी चाहिए। राजनेताओं की कमी नहीं है लेकिन वे राजनीति की परिभाषा से भी परिचित नहीं हैं। सुसंस्कृत, सुव्यवस्थित, सुरक्षित, समृद्ध व्यक्ति व समाज की रचना, राजनीति की परिभाषा है। राजनीति उन्माद व सत्ता लोलुपता का नाम नहीं है।

जो नीतियों में सर्वोत्‍कृष्‍ट है वही राजनीति है

नीतियों में जो सर्वोत्कृष्ट है, वह राजनीति है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दायित्व से विमुख होने और पद का उपभोक्ता होने पर व्यक्ति का पतन सुनिश्चित है, इससे प्रत्येक व्यक्ति को बचना चाहिए। किसी भी जाति-धर्म के लोग मंदिरों में देव मूर्तियाें का दर्शन मर्यादा के साथ कर सकते हैं। सभी के लिए कुछ विधि निषेध होते हैं, सबसे ज्यादा निषेध तो शंकराचार्यों के लिए हैं। हम उनका पालन करते हैं।

आम आदमी को करना चाहिए विधि निषेध का पालन

आम आदमी को भी विधि निषेधों का पालन करना चाहिए। मर्यादा के साथ यदि देव मूर्तियाें का दर्शन न किया जाए तो मूर्तियों का तेज नष्ट हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक कार्य लोक कल्याण की भावना से करना चाहिए। लोक कल्याण में ही आत्म कल्याण छिपा होता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.