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Pulwama Terror Attack : जानें, ऐसा क्‍या हुआ कि पत्‍नी भी नहीं कर पाई शहीद का अंतिम दर्शन

तिरंगे से लिपटा ताबूत जब दरवाजे पर उतरा तो विजयलक्ष्मी अपने जीवनसाथी के आखिरी दीदार के लिए ताबूत की तरफ दौड़ पड़ीं। ताबूत खोलने की कोशिश की तो जवानों ने रोक दिया।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 12:50 PM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 01:24 PM (IST)
Pulwama Terror Attack : जानें, ऐसा क्‍या हुआ कि पत्‍नी भी नहीं कर पाई शहीद का अंतिम दर्शन
Pulwama Terror Attack : जानें, ऐसा क्‍या हुआ कि पत्‍नी भी नहीं कर पाई शहीद का अंतिम दर्शन

गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया में तिरंगे से लिपटा ताबूत जब दरवाजे पर उतरा तो विजयलक्ष्मी अपने जीवनसाथी के आखिरी दीदार के लिए ताबूत की तरफ दौड़ पड़ीं। ताबूत खोलने की कोशिश की तो जवानों ने रोक दिया। विजयलक्ष्मी को क्या पता था कि जिसका दीदार करने जा रही है वह चेहरा बेरंग हो चुका है। जिस विजय के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाई थीं वह देश की रक्षा के लिए वादा तोड़ कर सदा के भारत मां की गोद में सो चुका है। पत्नी ताबूत से लिपट कर बहुत देर तक रोती रही। विजयलक्ष्मी के चीत्कार से माहौल गमगीन था। मंत्री से लेकर अधिकारी तक की आंखें भर आईं।

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देवरिया की विजयलक्ष्मी ने नौ फरवरी को पति विजय को देश की रक्षा के लिए घर से विदा किया। उन्हें क्या पता कि अपने जिस विजय को वह विदा कर रही है, वह अब आजीवन उनका साथ छोड़ देंगे। तीन दिनों से पति के अंतिम दीदार करने का इंतजार कर रही विजय लक्ष्मी के दरवाजे पर दोपहर बाद पति विजय का पार्थिव शरीर तिरंगा में लिपटा हुआ दरवाजे पर पहुंचा। ताबूत उतरते ही वह कमरे से बाहर निकल गई और रोते हुए ताबूत से लिपट गई। कुछ देर तक रोने के बाद ताबूत खोलने के लिए विजय लक्ष्मी ने अपना हाथ बढ़ाया तो अधिकारियों व सेना के जवानों ने रोक दिया। इसके बाद प्रभारी मंत्री अनुपमा जायसवाल व जिलाधिकारी अमित किशोर ने विजय लक्ष्मी को समझाया और ढांढ़स बढ़ाया। यह देख वहां मौजूद हजारों लोगों की आंखें नम हो गई।

इन बेशकीमती आंसुओं की कीमत कोई क्या चुकाएगा साहब

इतिहास साक्षी है जब भी त्याग और बलिदान की बात सामने आई है देवभूमि की माटी सबसे अगली पंक्ति में खड़ी मिली है। ऐसे में सीमा पर शहादत की बात हो और देवभूमि की उपस्थिति न हो यह संभव नहीं है। देवभूमि की माटी में खेल कर पले बढ़े गुदरी के लाल छपिया जयदेव निवासी विजय कुमार मौर्य की शहादत से आज देवभूमि का सीना फख्र से चौड़ा। जनपद का हर नौजवान विजय की शहादत की राह चलने को तैयार है और इस कुर्बानी का पाकिस्तान से बदला चाहता है। शहीद की पत्नी को दिल पर पत्थर रख मनाने पहुंचे जिलाधिकारी अमित किशोर ने अपने आप को रोकने की लाख कोशिश की, लेकिन उनके आंसू नहीं रूके, शहीद की पत्नी को चुप कराने के दौरान वह फफक कर रो पड़े। जिलाधिकारी ने कहा कि हम लोग आप की हर संभव मदद करेंगे, मांगों को पूरा करेंगे। आराध्या को सीने से लगाए शहीद की पत्नी ने कहा कि मेरा तो सब कुछ चला गया साहब, इन आंसुओं की कीमत विजय है। आप सब कुछ ले लीजिए मेरे विजय को वापस कर दीजिए। यह सुन फिर जिलाधिकारी फफक पड़े। बाहर निकले तो महिलाओं ने कहा कि इन बेशकीमती आंसुओं की कीमत कोई क्या चुकाएगा साहब! घटना की सूचना के बाद से ही गांव, जवार के लोग गुस्से में है। बस एक ही मांग है कि शहीद की शहादत का सरकार बदला ले। शहीद के पिता रामायण ने कहा कि मेरा ही नहीं देश के बेटे हर रोज शहीद हो रहे हैं आखिर उन परिवारों को भी तो ऐसे ही दर्द से गुजरना पड़ता है। एक ही बार पाकिस्तान पर हमला कर सरकार क्यों नहीं आतंकवाद का सफाया कर दे रही है। गांव में बच्चे, बूढ़े, नौजवान, महिलाओं में जबरदस्त गुस्सा है।

पिता ने पेट्रोल पंप की डीएम से की मांग

शहीद विजय कुमार मौर्या के घर जिलाधिकारी अमित किशोर शनिवार को पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पिता को ढांढस बढ़ाया। शहीद के पिता ने जिला अधिकारी को एक पत्रक सौंपा। जिसमें शहीद की पत्नी को नौकरी, शहीद को विधवा भाभी को नौकरी और पेट्रोल पंप की मांग की गई है। जिला अधिकारी ने पत्नी को नौकरी देने का आश्वासन दिया। इस दौरान लोगों ने भाभी को चतुर्थ श्रेणी की ही नौकरी देने की बात कही तो उन्होंने अधिकारियों से बात कर इसका भी हल निकालने का आश्वासन दिया। जिलाधिकारी से बात करते समय शहीद के पिता की आंखें भर आई।

शहीद के दरवाजे पर लगा हमें इंसाफ चाहिए का बैनर

आतंकी हमले की घटना को लेकर लोगों में नाराजगी कम नहीं हो रही। भटनी के छपिया जयदेव में शहीद विजय कुमार मौर्या के दरवाजे पर एक बैनर लगाया गया है, जिसमें सरकार से इंसाफ मांगा गया है और पाकिस्तान से बदला लेने की बात लिखी गई है।

सांसद व पूर्व विधायक में बहस, घर से बाहर किए गए राजनैतिक दलों के नेता

देवरिया के छपिया जयदेव में शहीद की पत्नी को सांत्वना देने पहुंचे सलेमपुर के सांसद रवींद्र कुशवाहा व पूर्व विधायक गजाला लारी के बीच मुख्यमंत्री को बुलाने व शहीद के परिजनों को सहायता राशि देने को लेकर बहस हो गई। सपा नेता गजाला लारी ने सांसद श्री कुशवाहा से प्रदेश सरकार से सहायता राशि एक करोड़ दिलाने को कहा, जिस पर सांसद ने कहा यह संभव नहीं है। इस पर पूर्व विधायक का कहना था कि जब प्रदेश में हमारी सरकार थी तो शहीद के परिजनों को पचास लाख रुपये देते थे। मुख्यमंत्री को बुलाने को जब पूर्व विधायक ने कहा तो सांसद श्री कुशवाहा ने कहा कि प्रदेश में बारह जवान शहीद हुए हैं मुख्यमंत्री कहां-कहां जाएंगे। हां अंतिम संस्कार के बाद किसी दिन आ सकते हैं। बीच में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी आ सकते हैं।

इस बीच दोनों नेताओं के समर्थक आपस में ही बहस करने लगे। बहस इतना बढ़ गया कि सांसद खुद उठकर चले गए। बाद में पहुंची पुलिस ने समर्थकों को बाहर किया। इसके बाद मकान में मौजूद पुलिस कर्मियों ने सभी राजनैतिक दल के नेताओं को शहीद की पत्नी के कमरे से बाहर कर दिया।

परिजनों को एक एक लाख सहायता राशि सौंपेंगे अधिवक्ता

शहीद जवानों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए शनिवार को भी गोरखपुर के अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य नहीं किया। महराजगंज तथा देवरिया के शहीदों के परिजनों को दीवानी कचहरी के अधिवक्ताओं ने एक-एक लाख रुपये आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया है। जिसके क्रम में शनिवार को अधिवक्ताओं ने एक लाख रुपये एकत्र किए।

बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट सभागार में अधिवक्ताओं की साधारण सभा की बैठक में अधिवक्ताओं ने प्रधानमंत्री से इस घटना में शामिल किसी भी ताकत के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लडऩे की मांग की। बैठक की अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र शाही तथा संचालन मंत्री अजय शुक्ल ने किया। श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ अधिवक्ता पद्माकर दत्त तिवारी, मनोज पांडेय, अभिमन्यु पाण्डेय, विष्णु बिहारी श्रीवास्तव, धीरेंद्र शुक्ल, उमापति उपाध्याय, प्रियानंद सिंह, धीरेंद्र द्विवेदी, घनश्याम त्रिपाठी, सुभाष पाल, सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता शामिल थे।


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