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राष्‍ट्रपति ने कहा, पूर्वांचल के विकास के बिना उप्र के समग्र विकास की कल्पना बेमानी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोरखपुर में कहा कि उत्तर प्रदेश में यंग वर्क फोर्स (युवा शक्ति) की सबसे बड़ी संपदा उपलब्ध है, जिसके बल पर मौजूद संसाधनों का भरपूर लाभ उठाया जा सकता है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 02:51 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 02:51 PM (IST)
राष्‍ट्रपति ने कहा, पूर्वांचल के विकास के बिना उप्र के समग्र विकास की कल्पना बेमानी
राष्‍ट्रपति ने कहा, पूर्वांचल के विकास के बिना उप्र के समग्र विकास की कल्पना बेमानी

गोरखपुर, रजनीश त्रिपाठी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद चाहते हैं कि 2032 तक गोरखपुर ‘सिटी आफ नालेज’ के रूप में स्थापित हो। इसके लिए उन्होंने संकल्प लेकर लक्ष्य निर्धारित करने की बात कही है। राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में यंग वर्क फोर्स (युवा शक्ति) की सबसे बड़ी संपदा उपलब्ध है, जिसके बल पर यहां मौजूद संसाधनों का भरपूर लाभ उठाया जा सकता है। पूर्वांचल के विकास के बिना उप्र के समग्र समग्र विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश का समग्र का विकास हो रहा है और गोरखपुर भी अब बदल रहा है।

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गुरु गोरक्षनाथ मंदिर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में राष्ट्रपति बतौर बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। मुख्य महोत्सव को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि आज से लगभग डेढ़ दशक बाद जब इस ‘परिषद’ का शताब्दी वर्ष मनाया जाए तब तक सुविचारित योजनाओं और प्रयासों से गोरखपुर को ‘सिटी ऑफ नॉलेज’ के रूप में स्थापित करने का संकल्प लिया जाए। मुझे विश्वास है कि आप इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल भी होंगे। देश में युवाओं की सबसे बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश में है। प्रदेश में ‘स्टार्ट-अप फंड’, ‘आईटी पाक्र्स’ तथा ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ के सुधारों पर विशेष जोर दिया जा रहा है जो एक सुखद पहलू है। गोरखपुर में प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेज के बाद अब एम्स का निर्माण हो रहा है, जो टेक्निकल, मेडिकल और प्रोफेशनल शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं को और समर्थ बनाएगा।

स्वतंत्रता संग्राम में नाथ पंथ के साथ भारतीय दर्शन और क्रिया योग के प्रति देश-विदेश में आकर्षण उत्पन्न करने वाले गोरखपुर के महापुरुषों को याद करने के क्रम में राष्ट्रपति ने परमहंस योगा नंद, हजरत रोशन अली शाह, मोहम्मद सैयद हसन, बाबू बंधु सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, बाबा राघव दास, मुंशी प्रेमचंद, हनुमान प्रसाद पोद्दार का नाम लिया। आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को प्रसारित करने में ‘गीता प्रेस’ के योगदान को अमूल्य बताते हुए राष्ट्रपति ने मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ को भी प्रेरक बताया।

राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ की धरती पर आना सबके लिए सौभाग्य की बात है। शिक्षा के कार्यक्रम में हिस्सा लेना और भी सुखद संयोग है। पुरस्कार पाने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा विकास की कुंजी है। भारत के विकास का अर्थ है, भारत में शिक्षा का विकास। शिक्षा ही अच्छे व्यक्ति और समाज के निर्माण की आधारशिला भी है। इस अंचल का सौभाग्य है कि गौतम बुद्ध और संतकबीर जैसी आत्माएं इसी क्षेत्र की हैं।

उन्होंने कहा कि भक्ति आंदोलन से लेकर 1857 तक ‘नाथ-पंथ’ के योगी जन-जागरण के सूत्रधार रहे हैं। ‘परिषद’ ने, अपने दो महत्वपूर्ण महाविद्यालयों का गोरखपुर विश्वविद्यालय में पूर्ण विलय करके, निर्माणाधीन विश्वविद्यालय को एक बना-बनाया परिसर उपलब्ध कराया था। आज इसका नाम ‘दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय’ है। असाधारण राष्ट्र गौरव वीरता और आत्म-सम्मान के प्रतीक महाराणा प्रताप के नाम पर शिक्षा परिषद ने अपना नामकरण जन-भावना को सम्मान दिया है।


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