यह गोरखपुर विश्वविद्यालय है, नंबर की आई बारी तब कर रहे जल संरक्षण की तैयारी Gorakhpur News
कुलपति के निर्देश पर आनन-फानन में चिह्नित तीन प्रमुख स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की कवायद शुरू हो गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन इन दिनों नैक मूल्यांकन की तैयारियों में जुटा है। ऐसे में इस समय विवि में हर कार्य नैक को ध्यान में रखकर किया जा रहे हैं। इस समय ग्रेडिंग के लिए नंबर की बारी आने पर विवि प्रशासन को परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की याद आई है। परिसर में तीन स्थानों पर लगने वाले इस रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर सत्रह लाख रुपये खर्च होंगे।
तीन स्थानों पर लगेंगे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
कुलपति के निर्देश पर आनन-फानन में चिह्नित तीन प्रमुख स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की कवायद शुरू हो गई है। इनमें मजीठिया भवन में दो व लाइब्रेरी साइंस के एक स्थान शामिल हैं। विवि प्रशासन द्वारा इन तीनों स्थानों का चिह्नांकन यहां होने वाले वर्षा जल के अधिक संचयन को देखते हुए किया है। नैक मूल्यांकन की तैयारियों में यह भी एक प्रमुख बिंदु हैं। जिस पर मूल्यांकन के दौरान पांच से दस नंबर मिलने हैं।
क्या है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
वर्षा के बाद इस पानी को उत्पादक कार्यों के लिए उपयोग के लिए एकत्र करने की प्रक्रिया को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कहा जाता है। दूसरे शब्दों में छत पर गिरे वर्षा जल को सामान्य तरीके से एकत्र कर उसे शुद्ध बनाने के काम को भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कहते हैं।
इस पर भी मिलते हैं नंबर
कुलपति प्रो. विजय कृष्ण सिंह का कहना है कि नैक मूल्यांकन के दौरान लीक से हटकर किए गए कार्यों पर भी नंबर मिलते हैं। उन्हीं में से एक है रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम। इसी को ध्यान में रखकर परिसर स्थित भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की कवायद की जा रही है। जिससे मूल्यांकन के दौरान अच्छे नंबर मिले और हम 'ए ग्रेडिंग हासिल करने में सफल हो सकें।