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पर्यटकों के लिए सोहगीबरवा का आकर्षण बढ़ाने की तैयारी Gorakhpur News

गोरखपुर के क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र का कहना है कि बहुत जल्द कार्यदायी संस्था सीएनडीएस के अधिकारियों के साथ सोहगीबरवा वन्य जीव अभ्यारण्य का दौरा किया जाएगा।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 10:00 PM (IST)
पर्यटकों के लिए सोहगीबरवा का आकर्षण बढ़ाने की तैयारी Gorakhpur News
पर्यटकों के लिए सोहगीबरवा का आकर्षण बढ़ाने की तैयारी Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। पर्यटन के दृष्टिकोण से पूर्वी उत्तर प्रदेश का रुख करने वाले पर्यटक बहुत जल्द यहां इको टूरिज्म का लुत्फ भी उठा सकेंगे। यह लुत्फ उन्हें महराजगंज के सोहगीबरवा वन्य जीव अभ्यारण्य में मिलेगा। पर्यटन विभाग अभ्यारण्य के प्रमुख स्थलों को सजा-संवार कर उसका आकर्षण बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए कार्यदायी संस्था का चयन भी कर लिया गया है। कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज (सीएनडीएस) को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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जल्‍द होगा स्‍थलीय दौरा

कार्यदायी संस्था के अधिकारी बहुत जल्द पर्यटन विभाग के अफसरों के साथ अभ्यारण्य के उन स्थलों का दौरा करेंगे, जहां इसे लेकर कार्य कराया जाना है। इसके लिए वह वन विभाग के अफसरों की मदद भी लेंगे। पर्यटन निदेशालय ने क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी को इस बाबत जल्द से जल्द प्रस्ताव तैयार कराने का निर्देश दिया है।

यहां दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतु और वनस्‍पतियां मौजूद

नेपाल की तलहटी में 425 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह वन्य अभ्यारण्य जैव विविधता का हब है। यहां दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतु और प्राकृतिक वनस्पतियां मौजूद हैं। इसी खूबी के चलते इसे 1984 में अभ्यारण्य का दर्जा दिया गया। पर्यटन विभाग को भी यही खूबी भा गई। विभाग का मानना है कि यह अभ्यारण्य बौद्ध सर्किट के दायरे में है।

बुद्ध की जन्‍मस्‍थली और महापरिनिर्वाण स्‍थली नजदीक

यहां से भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी और महापरिनिर्वाण स्थल कुशीनगर दोनों नजदीक है। पर्यटक जब कुशीनगर से लुंबिनी या लुंबिनी से कुशीनगर जाएंगे तो बेहतरीन प्राकृतिक वातावरण के जरिए यह अभ्यारण्य उन्हें वहां कुछ दिन ठहरने के लिए मजबूर करेगा। अभ्यारण्य की सुंदरता और सुविधा बढ़ाने से यहां पर्यटकों की आवक में इजाफा होगा।

पहले वन विभाग से तैयार कराया गया था प्रस्ताव

सोहगीबरवा को ईको टूरिज्म के तहत विकसित करने की संभावना दो वर्ष पहले से तलाशी जा रही थी। इसके तहत पर्यटन विभाग ने वन विभाग से भी प्रस्ताव मांगा था। वन विभाग ने अभ्यारण्य के सभी चार रेंज (लक्ष्मीपुर, पकड़ी, निचलौल और दक्षिणी रेंज) के लिए अलग-अलग प्रस्ताव बनाया और उसे पयर्टन स्थल के रूप में विकसित करने लिए सात करोड़ 92 लाख रुपये की जरूरत बताई। प्रस्ताव पर्यटन विभाग के मानक के अनुरूप नहीं था। विभाग ने सीएनडीएस को कार्यदायी संस्था नामित करते हुए उसे फिर से प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है।

पर्यटन केंद्र के लिए संबंधित स्‍थानों का दौरा शीघ्र

गोरखपुर के क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र का कहना है कि बहुत जल्द कार्यदायी संस्था सीएनडीएस के अधिकारियों के साथ सोहगीबरवा वन्य जीव अभ्यारण्य का दौरा किया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों से मिलकर हर उस संभावना को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव तैयार कराया जाएगा, जिससे पर्यटकों का आकर्षण अभ्यारण्य के प्रति बढ़े। 


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