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ज्ञान की पुंज ज्योति से बच्चों को निखार रहीं प्रीति गौतम Gorakhpur News

सिद्धार्थनगर जिले के प्राथमिक विद्यालय कोलुहआ में तैनात महिला शिक्षक प्रीति गौतम अपने ज्ञान के पुंज से बच्चों को निखार रहीं हैं। पांचवी कक्षा में प्रवेश करते ही वह छात्र- छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने में जुट गईं हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 21 Feb 2021 01:10 PM (IST)Updated: Sun, 21 Feb 2021 01:10 PM (IST)
ज्ञान की पुंज ज्योति से बच्चों को निखार रहीं प्रीति गौतम Gorakhpur News
लाकडाउन के दौरान मोहल्ले मेंं शिक्षा देतीं शिक्षक प्रीति। फाइल फोटो

तेज प्रकाश त्रिपाठी, गोरखपुर : सिद्धार्थनगर जिले के प्राथमिक विद्यालय कोलुहआ में तैनात महिला शिक्षक प्रीति गौतम अपने ज्ञान के पुंज से बच्चों को निखार रहीं हैं। पांचवी कक्षा में प्रवेश करते ही वह छात्र- छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने में जुट गईं हैं। उन्‍होंने बच्चों के साथ खुद भी बड़ा मुकाम बनाने का मन बनाया है। वह तैयारी के साथ बच्चों का प्रत्येक माह स्किल टेस्ट लेती हैं। बेहतर प्रदर्शन करने वालों को पढ़ाई के पुस्तक, बैग आदि सामान भी अपने पास से मुहैया कराती हैं। इसके लिए वह अपने वेतन का दस फीसद हिस्सा बच्चों के उपर खर्च कर रही हैं। विद्यालय बंद होने बाद भी वह बच्चों को कोविड नियमों का पालन करते हुए ज्ञान की ज्‍योत‍ि जला रहीं हैं। महिला शिक्षक के पिता बलिया जनपद में चीफ फार्मासिस्ट के पद पर तैनात रहे। परिवार के साथ रहकर वहीं से इंटर तक की पढ़ाई पूरी की।

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2009 में हासिल की बीटेक की डिग्री

वर्ष 2009 में इलाहाबाद से बीटेक की डिग्री हासिल की। एक वर्ष तक एक बड़ी कंपनी में कार्य किया। पिता सेवानिवृत हुए तो गांव आईं। बच्चों की पढ़ाई का स्तर खराब देख शिक्षक बनने का फैसला किया। 2014 में बीटीसी की डिग्री लेकर 2018 में प्राथमिक विद्यालय कोल्हुआ में तैनाती पाई। इसके पश्चात विद्यालय में पढ़ाई करने वाले बच्चों को निर्धारित कक्षा के अलावा भी पढ़ाई शुरू कराई। पांचवी में पढ़ाई करने वाले बच्चों को भविष्य की समस्याओं से अवगत कराते हुए उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में अभी से जुटने के लिए प्रेरित करने लगीं।

लाकडाउन में बंद हो गया विद्यालय

पिछले वर्ष कोरोना के कारण लाकडाउन लगा और विद्यालय बंद हो गया तो बच्चों के घर पहुंचकर ज्ञान की ज्‍योति को जलाए रखा। प्रीति कहती हैं कि तमाम परिवार के बच्चे ऐसे हैं, जिनके पास होमवर्क करने के लिए कापी तक नहीं होती। बच्चे उन्हें समस्या बताते तो उनका मन दुखी हो जाता। इसके पश्चात वह वेतन का दस फीसद हिस्सा गरीब बच्चों को कापी-किताब आदि उपलब्ध कराने में खर्च करने लगीं। वह कहती हैं कि बच्चे समाज में तरक्की करेंगे तो उन्हें खुशी मिलेगी।

40 बच्चों को कर रहीं तैयार

कोरोना काल में लाकडाउन लगा तो बच्चों के घर पहुंचीं। पढ़ाई के इच्छुक छात्रों के अभिभावकों से मिलकर बच्चों को निरंतर पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। वह इस अवधि में भी करीब 40 बच्चों को निरंतर शिक्षा देती रहीं। मार्च में विद्यालय खुलने पर और छात्रों को पढ़ाने का सपना संजोए हुए हैं।

प्रीति की मेहनत से आगे बढ़ रहे बच्‍चे

बीएसए राजेंद्र सिंह ने कहा कि बच्चों के प्रति प्रीति समर्पित रहती हैं। उनके मेहनत से बच्चे पढ़ाई में आगे बढ़ रहे हैं। विभाग की ओर से आवश्यकता होने पर आवश्यक संसाधन मुहैया कराया जाएगा।


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