Coronavirus: कारगर है प्राणायाम, आप भी शुरू करिए और स्वस्थ रहिए Gorakhpur News
आज हमारा मन दुविधाओं चिंताओं और शंकाओं से घिरा हुआ है। इससे निवृत्ति का उपाय योगशास्त्र में वर्णित है। योग मन को स्थिर करने का सहज साधन है।
गोरखपुर, जेएनएन। योग के आसनों का अभ्यास करने से हमारे अंदर सतोगुण की अभिवृद्धि होती है। प्राणायाम के अभ्यास से मन की शुद्धि होती है। कपालभाति जैसे प्राणायाम से हमारे अंदर उष्णता का संचार होता है, जिससे कोविड-19 जैसे रोगों का शमन होता है। कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में योग विषय पर व्याख्यान के दौरान यह बातें देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के योग विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुरेश बरनवाल ने बताईं।
प्रो. बरनवाल गुरु गोरखनाथ योग संस्थान और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की ओर से आयोजित सात दिवस योग शिविर व शैक्षिक कार्यशाला को निर्धारित विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आज जो शारीरिक व सामाजिक परिस्थितियां उत्पन्न हुई हैं, उसमें मानसिक स्थिति की भयावहता अधिक है। आज हमारा मन दुविधाओं, चिंताओं और शंकाओं से घिरा हुआ है। इससे निवृत्ति का उपाय योगशास्त्र में वर्णित है। योग मन को स्थिर करने का सहज साधन है। प्रो. बरनवाल का व्याख्यान महाराणा प्रताप पीजी कॉलेज के फेसबुक पेज से लाइव हुआ, जिसे 4000 से अधिक लोगों ने देखा और सुना।
आसनों से बताया निरोग रहने का मार्ग
योगाचार्य डॉ.चंद्रजीत यादव के निर्देशन में शुभम द्विवेदी ने योगिकष्ट कर्म, ओम का उच्चारण, सूर्य नमस्कार, उत्कटासन, गरुड़ासन, लक्ष्मण आसन, नटराज आसन, हलासन, कर्ण पिंडासन, शवासन, भुजंगासन, शलभासन, चक्रासन, पश्चिमोत्तानासन, गोमुखासन, आदि आसनों का अभ्यास कराया। इन आसनों से निरोग रहने का मार्ग बताया।
दवा काम नहीं आई तो योग ने दिया सहारा
गोरखपुर शहर के रामजानकी नगर निवासी प्रमोद कुमार गोयल को बचपन से एलर्जी थी। बाद में उन्हें दमा, कोलाइटिस व जोड़ों का दर्द भी हो गया। चिकित्सा की लगभग हर विधा में अनेक जगहों पर इलाज कराया लेकिन बीमारी कम होने का नाम नहीं ले रही थी। इसी बीच 2013 में उनकी मुलाकात पतंजलि योग समिति के सदस्यों से हुई और उनकी सलाह पर वह योग करने लगे। डेढ़ साल में सारी बीमारियां दूर भाग गईं। योग उनके जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। अब वह लोगों को योग कराते हैं।
मौसम बदलने के साथ शुरू हो जाता था सदी, जुकाम
प्रमोद पूर्वोत्तर रेलवे में वरिष्ठ पर्यवेक्षक थे। 2014 में सेवानिवृत्त हो गए। वह बताते हैं कि एलर्जी की वजह से जब भी मौसम बदलता था, मुझे सर्दी, खांसी, जुकाम हो जाता था और जल्दी ठीक नहीं होता था। धीरे-धीरे यह दमा के रूप में परिवर्तित हो गया। 1975 में उन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई। रात्रिकालीन ड्यूटी भी करनी पड़ती थी। खान-पान व सोने में अनियमितता आने लगी। इसकी वजह से बीमारियां बढऩे लगीं। दवा से लाभ नहीं हो रहा। पर, जबसे योग करना शुरू किया, धीरे-धीरे लाभ मिलने लगा। लगभग डेढ़ साल बाद मेरी सारी बीमारियां दूर हो गईं। अब पतंजलि योग समिति से योग शिक्षक की ट्रेनिंग लेकर मैं स्वयं लोगों को निश्शुल्क योग कराता हूं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए हर आदमी को समय निकाल कर योग जरूर करना चाहिए।