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गरीबी उन्मूलन : महिलाओं के सशक्तीकरण का आधार बना स्वयं सहायता समूह

दुबौलिया विकास क्षेत्र में संचालित स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलांए हैं। क्षेत्र में अब तक कुल 1015 महिला स्वयं सहायता समूह का रजिस्ट्रेशन हो चुका है जिसका लाभ 13 हजार से ज्यादा महिलाएं ले रही है। क्षेत्र में 600 महिलाएं स्वरोजगार में जुटी हैं।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 04:29 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 04:29 PM (IST)
गरीबी उन्मूलन : महिलाओं के सशक्तीकरण का आधार बना स्वयं सहायता समूह
दूध की गुणवत्ता जांचती ज्योति प्रेरणा उत्पादक महिला स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष केसर सहजादी। जागरण

गोरखपुर, कृष्णदत्त द्विवेदी। महिलाएं किसी से कम नहीं हैं यह अब साबित हो चुका है। बस जरूरत है तो परिवार और सरकार के सपोर्ट की। सरकार ने कई ऐसी योजनाएं शुरू की जो सिर्फ महिलाओं के लिए हैं। महिलाएं योजनाओं का लाभ उठाकर आधी आबादी की उपयोगिता साबित कर रहीं हैं। बस्‍ती जिले का दुबौलिया, विकास के क्षेत्र महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का एक उदाहरण बनकर उभरा है।

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1015 स्‍वयं सहायता समूहों का हो चुका है पंजीकरण

दुबौलिया विकास क्षेत्र में संचालित स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलांए हैं। क्षेत्र में अब तक कुल 1015 महिला स्वयं सहायता समूह का रजिस्ट्रेशन हो चुका है, जिसका लाभ 13 हजार से ज्यादा महिलाएं ले रही है। क्षेत्र में 600 महिलाएं स्वरोजगार में जुटी हैं। इसमें ब्यूटी पार्लर, खाद्यान्न, सिलाई कढ़ाई, व्यवसायिक खेती आदि शामिल है। इसके अलावा समूह के जरिए बहुत सारी महिलाएं जैसे समूह सखी 55, कृषि सखी 63, बीसी सखी 65, विद्युत सखी 15 आदि समूह से जुड़कर लाभ ले रहीं हैं।

सरकारी राशन की दुकान भी संचालित कर रही हैं महिलाएं

इतना ही नहीं क्षेत्र में समूह की एक महिला सरकारी राशन की दुकान संचालित कर रहीं हैं। समूह की 53 महिलाएं मनरेगा में मेट के रूप में कार्य कर रहीं हैं। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के ब्लॉक मिशन अधिकारी पवन कुमार तिवारी ने बताया दुबौलिया क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह मददगार साबित हुआ है।

व्यवसायिक कृषि को बनाया अपना आधार

लक्ष्मी महिला स्वयं सहायता समूह की सचिव वीना ने बताया लॉकडाउन के बाद पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझने लगा था, इसी बीच ग्राम संगठन से 20 हजार रुपये लेकर केले की खेती करना शुरू किया। मौजूदा समय में कुशीनगर से जी-9 प्राजाति के केले का पौधा 17.75 रुपये प्रति पौधे की दर से लेकर एक बीघे में लगाया। केले की खेती पर कुल 22 हजार रुपये की लागत आई। केले की खेती के लिए प्रति पौधा 15 रुपये का अनुदान भी मिल गया। केले की फसल खेत में खड़ी है। खेती में खुद के साथ कुछ अन्य महिलाओं को भी रोजगार दिया है।

पनीर और खोवा की सप्लाई

चिलमा बाजार की रहने वाली केसर शहजादी ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद वह अपने परिवार के साथ तो आगे ही बढ़ रही हैं। कई अन्य गरीब महिलाओं को रोजगार भी दे रहीं हैं। उनका कहना है दूध लेकर उससे पनीर और खोवा बनाकर बाजारों में सप्लाई कर रही हैं।

बना रही सिटी इन्फार्मेशन बोर्ड

खलवा गांव के भोलेनाथ स्वयं सहायता समूह की शालिनी एवं भकरही गांव के वैष्णवी स्वयं सहायता समूह की उमा यादव सहित कुछ अन्य समूह की महिलाएं ग्राम पंचायतों में मनरेगा से कराए गए कार्यों का विवरण प्रदर्शित करने वाले सिटी इन्फार्मेशन बाेर्ड का निर्माण कर रहीं हैं।

मनरेगा ने संवार दी जिंदगी, मिलने लगा रोजगार

गांव, गरीब और मजदूर के लिए मनरेगा बरदान साबित हो रही है। मनरेगा से लोगों की जिंदगी संवर रही है। इससे जहां गावों का समुचित विकास हो रहा है ,वहीं एक बड़ी आबादी को मनरेगा के तहत गांव में ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है।

481239 को निर्गत हो चुका है जाबकार्ड

जिले में मनरेगा के तहत 481239 परिवारों को जाबकार्ड निर्गत किया जा चुका है। चालू वित्तीय वर्ष में अब तक मनरेगा से 194266 परिवारों को रोजगार मिल चुका है। प्रत्येक परिवार को औसतन 39 का रोजगार दिया जा चुका है। वहीं मनरेगा मजदूरी के रूप में 211 करोड़ रुपये का भुगतान भी हो चुका है। कुल 7627851 मानव दिवस का सृजन किया जा चुका है।

आर्थिक प्रगति के लिए संचालित की जा रही हैं कई योजनाएं

मुख्‍य विकास अधिकारी डा. राजेश कुमार प्रजापति ने बताया कि गरीबी उन्मूल और लोगों की आर्थिक प्रगति के लिए सरकार की ओर से अनेक योजनाएं संचालित की जा रहीं हैं। मनरेगा से गांवों में लोगों को रोजगार मिल रहा है तो राष्ट्रीय आजीविका मिशन से महिलाओं में स्वरोजगार को बढ़ावा मिल रहा है।


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