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पॉजिटिव सोच से जल्द हो रहे 'निगेटिव', दवा के साथ सकारात्मक सोच के दिख रहे अच्छे परिणाम

जब हम व्यायाम करते हैं योगा और मेडिटेशन करते हैं तो शरीर में टेस्टोस्टेरान हार्मोन का स्राव होता है। इसके अलावा ज्यादा मेहनत का काम करने वालों में एंडोरफिन हार्मोन का स्राव होता है। इस हार्मोन से रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 09:14 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 04:45 PM (IST)
पॉजिटिव सोच से जल्द हो रहे 'निगेटिव', दवा के साथ सकारात्मक सोच के दिख रहे अच्छे परिणाम
पॉजिटिव सोच से लोग कोरोना संक्रमण को मात दे रहे हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। राप्तीनगर निवासी दिनेश यादव पिछले दिनों कोरोना से संक्रमित हो गए। आक्सीजन का स्तर लगातार गिर रहा था, घर वाले परेशान थे लेकिन दिनेश के चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिख रही थी। घर वालों ने अस्पताल में भर्ती कराया और आक्सीजन शुरू कर दी। अस्पताल में दिनेश ध्यान की मुद्रा में बैठे रहे। कुछ देर के लिए लेटते और फिर ध्यान में लग जाते। दो दिन में ही आक्सीजन का स्तर सामान्य की तरफ बढ़ने लगा। डाक्टर भी परिणाम से हैरान दिखे।

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सिर्फ दिनेश ही नहीं सकारात्मक सोच रखने वाले, हमेशा दूसरों की मदद करने वाले और सामाजिक सरोकारों में ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रहने वाले कोरोना संक्रमण से जल्द मुक्ति पा रहे हैं। इनमें न सिर्फ युवा हैं बल्कि बुजुर्ग भी शामिल हैं।

ऐसे शरीर को मिलती है सकारात्मक ऊर्जा

जब हम व्यक्तिगत आनंद में होते हैं तो शरीर में न्यूरो ट्रांसमीटर डोपामाइन का उत्सर्जन होता है। लेकिन इस आनंद से शरीर को बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला। फायदा होता है सेरोटोनिन हार्मोन के उत्सर्जन से। जब हम ज्यादा खुश होते हैं सेरोटोनिन हार्मोन का उत्सर्जन होता है। यह खुशी दूसरों की मदद से, सामाजिक कार्यों में लगातार हिस्सा लेने और दूसरों को कुछ न कुछ देने से मिलती है। ऐसा करने वालों के शरीर में इस हार्मोन की मदद से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यही प्रतिरोधक क्षमता शरीर को बीमारियों और बीमार शरीर को जल्द ठीक करने में मदद करती है।

यह करें

उठने, बैठने, सोने और खाने-पीने की दिनचर्या नियमित बनाएं

आपकी सोच आपके शरीर को उत्साह और निराशा से भरती है, इसलिए सोच सकारात्मक रखें

मन में अच्छे और बुरे दोनों तरह के विचार आएंगे, इसे हम रोक नहीं सकते पर बुरे विचारों को जल्द त्याग सकते हैं।

खुद को दें समय

रोजाना कम से कम 10 मिनट खुद को दें। अपने आराध्य देवता की मूर्ति के सामने बैठें, खुद के लिए समय रखें। खुद को ईश्वर या खुदा से जोड़ते हुए शरीर में सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति करें।

खुश रहें, दूसरों को खुश रखें

यह हमारे ऊपर निर्भर है कि हम शरीर को किस दिशा में लेकर जा रहे हैं। यदि हम शरीर को सकारात्मक सोच के साथ रखेंगे तो बीमारियों से लड़ने में ज्यादा सक्षम होंगे। अपनी खुशी से ज्यादा जो लोग दूसरों को खुश रखने में समय व्यतीत करते हैं उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा ज्यादा पैदा होती है। ऐसे लोग जल्द ठीक होते हैं। - डा. आमिल एच खान, असिस्टेंट प्रोफेसर, मानसिक रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कालेज

जब हम व्यायाम करते हैं, योगा और मेडिटेशन करते हैं तो शरीर में टेस्टोस्टेरान हार्मोन का स्राव होता है। इस हार्मोन से शरीर स्वस्थ रहता है। इसके अलावा ज्यादा मेहनत का काम करने वालों में एंडोरफिन हार्मोन का स्राव होता है। इस हार्मोन से रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। खुश रहें और खुद की दिनचर्या नियमित करते हुए बीमारियों से लड़ें। - डा. गोपाल अग्रवाल, मनोचिकित्सक।


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