गोरखपुर में फर्जी मुकदमा दर्ज करा वसूली करने वाले नफीसा गैंग को पंजीकृत करेगी पुलिस, होगी गैंगस्टर की कार्रवाई
Gorakhpur news in hindi नफीसा गैंग फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर वसूली करता है। ऐसे 10 पीड़ित सामने आए हैं। पुलिस द्वारा कार्रवाई की भनक लगते ही आरोपित फरार हो गए हैं। कैंट पुलिस ने इन आरोपितों की तलाश तेज कर दी है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर वूसली करने वाले नफीसा गैंग पर पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।कार्रवाई की भनक लगते ही आरोपित फरार हो गए हैं।पुलिस अधिकारियों ने गैंग को पंजीकृत करने के साथ ही सदस्यों पर गैंगस्टर की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
यह है मामला
कैम्पियरगंज के रहने वाले व्यापारी खालिद की तहरीर पर कैंट थाना पुलिस ने सिद्धार्थनगर जिले के लोटन थाना क्षेत्र के खीरिडिहा गांव की नफीसा उसके गैंग की सदस्य बिंद्रावती, सोनी, आरती, इंद्रावती और तारा चौहान तथा अधिवक्ता माधव तिवारी के साजिश के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराकर रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कराया है। यह गिरोह कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर दुष्कर्म, लूट, छेड़खानी, दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराकर समझौता कराने के नाम पर वसूली करता है। गिरोह के सदस्य अब 10 से अधिक लोगों पर फर्जी मुकदमा दर्ज करा चुके हैं। एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया कि फर्जी मुकदमा दर्ज कराने वाले गिरोह पर कार्रवाई होगी।
जिले में सक्रिय है कई गिरोह
जिले में फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर वूसली करने वाला कई गिरोह सक्रिय है। एक गिरोह पर कैंट व दूसरे के खिलाफ गीडा थाने में मुकदमा दर्ज है। दोनों ही गिरोह फर्जी मुकदमा दर्ज कराकर पीड़ित से लाखों रुपये वसूले थे। गीडा में रहने वाले बुजुर्ग पर तो दुष्कर्म के पांच मुकदमे दर्ज करा दिए थे।
ऐसे ब्लैकमेल करता है गिरोह
गिरोह की महिला के नाम से न्यायालय में दुष्कर्म का वाद दाखिल किया जाता है। फिर संबंधित व्यक्ति को फोन पर दावा दाखिल होने की सूचना देकर समझौते की पेशकश की जाती है। व्यक्ति ने रुपये दे दिए तो ठीक वरना मुकदमा दर्ज कराने के लिए न्यायालय में पैरवी तेज हो जाती है। पुलिस से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद गिरोह के सदस्य पुलिस बनकर पूछताछ का रुआब दिखाते हैं। थाने से पता करने पर व्यक्ति को मामला सही मिलता है। अधिकांश मामलों में इतने में समझौता हो जाता है। इतने पर भी रुपये नहीं देने वाले के खिलाफ गैंग की महिला बयान दर्ज करा देती है और मुकदमा दर्ज करने का आदेश हो जाता है।