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    Pneumonia Day Special: मौसम बदलते ही बढ़ा निमोनिया का प्रकोप, बच्चे और बुजुर्ग सर्वाधिक प्रभावित

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 12:34 PM (IST)

    वायु प्रदूषण के चलते सांस की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, जिसमें निमोनिया प्रमुख है। कचरा जलाने, वाहन उत्सर्जन और धूल इसके मुख्य कारण हैं। समय पर सावधानी और उपचार से निमोनिया को नियंत्रित किया जा सकता है, अन्यथा यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। मौसम बदलने पर सतर्क रहना ज़रूरी है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए।

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    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव के साथ ही निमोनिया ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। खासतौर पर बच्चे, बुजुर्ग और पहले से अस्थमा या श्वसन संबंधी बीमारी से पीड़ित लोग अधिक प्रभावित हो रहे हैं। शहर के सरकारी और निजी अस्पतालों में पिछले एक सप्ताह में निमोनिया के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। प्रदूषण, संक्रमण और तापमान में अचानक हो रहे उतार-चढ़ाव को चिकित्सक इस रोग के बढ़ने का प्रमुख कारण बता रहे हैं।

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    विशेषज्ञों के अनुसार मौसम बदलने के साथ वायु में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। प्रदूषित हवा फेफड़ों पर सीधा असर डालती है। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में यह संक्रमण निमोनिया का रूप ले लेता है। हाल के दिनों में बच्चों में तेज बुखार, खांसी, सीने में दर्द और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण अधिक देखने को मिल रहे हैं। छोटे बच्चों में दूध पीने में कमी, सुस्ती और ऑक्सीजन की कमी से होंठ या नाखून नीले पड़ जाना इसके संकेत हैं।

    निमोनिया से बचने के लिए सबसे जरूरी है शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना और तापमान के अनुकूल रहन-सहन अपनाना। सुबह-शाम ठंडी हवा और धूल के संपर्क से बचें, घर में हवा व धूप आना चाहिए, सफाई पर विशेष ध्यान दें। बच्चों व बुजुर्गों को ठंड से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं।

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    खांसी-जुकाम होने पर तुरंत डाक्टर से सलाह लें और एंटीबायोटिक दवाएं स्वयं से न लें। इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिवस की थीम है- बाल जीवन रक्षा।

    वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा है। खुले में कचरा जलाना, वाहन उत्सर्जन और धूल उड़ना मुख्य कारण हैं। समय रहते सावधानी और उपचार से निमोनिया को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। लापरवाही बरतने पर यह संक्रमण फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। मौसम बदलते वक्त सतर्कता ही सुरक्षा है।

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    -डाॅ. अनीता मेहता, अध्यक्ष बाल रोग विभाग, बीआरडी मेडिकल कॉलेज।

    शुरुआत में निमोनिया के लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लग सकते हैं, लेकिन लापरवाही इसे गंभीर रूप दे सकती है। तेज बुखार, ठंड लगना, लगातार खांसी, सांस लेने में कठिनाई या तेज सांसें, छाती का धंसना, भूख कम होना, उल्टी और सुस्ती, ये सभी संकेत निमोनिया की ओर इशारा करते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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    -डाॅ. तान्या चतुर्वेदी, बाल रोग विशेषज्ञ रीजेंसी हॉस्पिटल।