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PM Modi Kushinagar Visit: बुद्ध पूर्णिमा पर तथागत की धरती पर बुद्ध में लीन हुए पीएम नरेन्द्र मोदी, चीवर चढ़ाया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को भगवान बुद्ध की 2566वीं जयंती पर वायुसेना के विशेष विमान से कुशीनगर पहुंचे। उन्होंने यहां भगवान बुद्ध महापरिनिर्वाण स्थली पर पूजा अर्चना की। यहां से वह विमान से लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगे।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 07:34 PM (IST)
PM Modi Kushinagar Visit: बुद्ध पूर्णिमा पर तथागत की धरती पर बुद्ध में लीन हुए पीएम नरेन्द्र मोदी, चीवर चढ़ाया
प्रधानमंत्री कुशीनगर में भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण मंदिर में पहुंचे।

कुशीनगर, जेएनएन। बुद्ध पूर्णिमा पर महापरिनिर्वाण स्थली पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भगवान बुद्ध की वंदना से उपासना तक तथागत में लीन नजर आए। पांचवीं सदी की शयनमुद्रा वाली प्रतिमा पर चीवर (पीला वस्त्र) चढ़ाकर नमन करने के बाद कुछ देर के लिए वह ध्यानमग्न हो गए। पाली भाषा में बौद्ध भिक्षुओं के सस्वर पाठ के बीच उनकी एकाग्रता बौद्ध परंपरा की ध्यान पद्धति विपश्यना को जीवंत कर रही थी।

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भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी में विशेष पूजा के बाद सोमवार की शाम कुशीनगर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भदंत ज्ञानेश्वर महाथेरो ने विशेष पूजा कराई। बौद्ध भिक्षुओं ने धम्म पाठ कर प्रधानमंत्री के दीर्घायु व निरोग जीवन के साथ विश्व शांति की कामना की। प्रधानमंत्री के चेहरे की भाव भंगिमा पूरी तरह बुद्ध उपासक के रूप में नजर आई। पूजा-अर्चना के दौरान उन्होंने बौद्ध धर्म की सभी परंपराओं का निर्वहन किया।

बौद्ध भिक्षुओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुद्ध के अस्थि अवशेषों की जानकारी दी। बताया कि बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद शिष्यों ने उनकी अस्थियों को सात भागों में विभक्त किया था, जिसका एक भाग यहां है। प्रधानमंत्री के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव विजय मोहन क्वात्रा, सांसद रमापति राम त्रिपाठी व विजय दुबे आदि रहे।

देखी प्रतिमा की खूबियां : बुद्ध प्रतिमा की परिक्रमा के दौरान प्रधानमंत्री उसकी विशेषता को निहारते रहे। प्रतिमा सिर की तरफ से मुस्कुराती हुई, मध्य से चिंतन और पैर की ओर से देखने पर शयनमुद्रा में प्रतीत होती है। गुप्तकाल में निर्मित यह प्रतिमा पुरातात्विक अवशेषों की खोदाई के दौरान 1876 में प्राप्त हुई थी। बलुए पत्थर से बनी 6.10 मीटर लंबी प्रतिमा के प्रस्तर फलक पर बुद्ध के अंतिम समय में साथ रहे तीन शिष्यों का चित्रण है।

प्रधानमंत्री के साथ सांसद रमापति राम त्रिपाठी, विजय दुबे, कुशीनगर के विधायक पी एन पाठक व पूर्व केंद्रीय मंत्री कुंवर आरपीएन सिंह उपस्थित रहे। पूजन के पश्चात बौद्ध भिक्षुओं ने प्रधानमंत्री को बुद्ध के अस्थि अवशेषों के  संबंध में जानकारी दी। बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद शिष्यों ने उनकी अस्थियों को सात भागों में विभक्त किया था। उसी समय से  अस्थि अवशेष का एक भाग यहां मौजूद था।

उल्लास में डूबी रही निर्वाण भूमि : बुद्ध जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने बीच पाकर निर्वाण भूमि पूरे दिन उल्लास व उत्साह में डूबी रही। इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने महापरिनिर्वाण मंदिर व स्तूप की विशेष साज सज्जा की थी। मंदिर के चारों तरफ पंचशील ध्वज लहरा रहे थे। यहां स्थित थाईलैंड, जापान, म्यांमार, श्रीलंका, कोरिया, वियतनाम के बौद्ध मोनेस्ट्री, होटल व सरकारी भवनों को चमका दिया गया था। इससे पूर्व 20 अक्टूबर को प्रधानमंत्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन पर महापरिनिर्वाण मंदिर आए थे।


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