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वन विभाग की तैयारी, चहारदिवारी के भीतर रोपे जाएंगे अधिकांश पौधे Gorakhpur News

डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि इस बार पौधारोपण को लेकर हर बिंदु पर ध्यान दिया गया है। छोटी-छोटी कमियों पर भी मंथन किया गया है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 09:30 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 12:01 PM (IST)
वन विभाग की तैयारी, चहारदिवारी के भीतर रोपे जाएंगे अधिकांश पौधे Gorakhpur News
वन विभाग की तैयारी, चहारदिवारी के भीतर रोपे जाएंगे अधिकांश पौधे Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। वन विभाग ने कुछ ऐसी तैयारी की है कि हर तरफ नजारा हरा-भरा होगा। इस बार अधिकांश पौधारोपण ऐसे स्थानों पर होगा, जहां पहले से चहारदिवारी की व्यवस्था है। इसके अलावा जन भागीदारी के माध्यम से भी वन विभाग पौधों को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहा है। इसके अलावा बड़े पैमाने पर अतिरिक्ति पौधे नर्सरियों में रखे जाएंगे। ताकि पौधों के सूखने अथवा नष्ट होने की स्थिति में तत्काल प्रतिस्थानी पौधे लगाए जा सकें।

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जिले में 36 हजार पौधारोपण करने की तैयारी

वन व अन्य विभागों की ओर से रविवार को जिले में 36 लाख पौधे रोपे जाएंगे। इन पौधों में अधिकांश पौधे चिडिय़ाघर, आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल अथवा ऐसे स्थानों पर रोपे जाएंगे, जहां बाउंड्री की व्यवस्था है। रोटरी क्लब के जरिये 12 हजार पौधे लोगों के माध्यम से रोपित कराया जा रहा है। इसका अहम उद्देश्य पौधारोपण अभियान में जन सहभागिता को शामिल करना है।

इस पर दें ध्यान सुरक्षित रहेंगे पौधे

वनस्पतिशास्त्री डॉ अरविंद का कहना है कि पौधों को बचाने के लिए जरूरी है कि जहां सदैव जलजमाव की स्थिति रहती है। पौधे न रोपे जाएं। अथवा वह पौधे लगाएं जो पानी में भी जिंदा रह सके। उन्हें जानवरों से बचाया। समय-समय पर पोषक तत्व दिए जाएं। उचित देखरेख करके अधिकांश पौधों को बचाया जा सकता है।

स्थान व दिशा पर भी दें ध्यान

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पतिविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वीएन पाण्डेय का कहना है कि पौधारोपण के लिए स्थान पर दिशा पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। पौधे कहां लगाए जा रहे हैं। वहां उसे सूर्य का प्रकाश मिल सकेगा अथवा नहीं, इन बातों का ध्यान रखा जाएगा। बरगद, पीपल ऐसे पौधे हैं, जिसे शुरुआत में ध्यान देने की आवश्यकता होती है। बाद में इन पौधों को देखरेख की कोई जरूरत नहीं पड़ती।

हरियाली को बरकरार रखना रहा बड़ी चुनौती

वर्ष 2016 से 2020 तक सड़कों के चौड़ीकरण व अन्य विकास कार्यों के नाम पर 17184 पेड़ काटे गए। छह हजार पेड़ ग्रामीणों द्वारा अपने निजी कार्यों को लेकर काटे गए। यह वह पेड़ थे, जिनकी आयु 20 वर्ष से अधिक की थी। यदि एक पेड़ औसत रूप से 100 वर्ग फिट की जगह यदि घेरे तो बड़े पैमाने पर हरियाली की क्षति हुई। पिछले चार वर्षों में करीब 260000 वर्ग मीटर का हरा भरा क्षेत्र खत्म हो गया। इसके बावजूद पिछले तीन वर्षों से जिले का फारेस्ट कवर एरिया घटा नहीं है। वर्ष 2017 में भी जिले का फारेस्ट कवर एरिया 79 किलोमीटर था और इस समय भी फारेस्ट कवर एरिया 79 किलोमीटर है।

छोटी कमियों पर भी हुआ है विचार

इस संबंध में डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि इस बार पौधारोपण को लेकर हर बिंदु पर ध्यान दिया गया है। छोटी-छोटी कमियों पर भी मंथन किया गया है। पौधों के सुरक्षित रखने पर ध्यान दिया जाएगा। पीपल, पाकड़, बरगद, गूलर व आम के अधिक से अधिक रोपण पर ध्यान दिया जाएगा। अधिकांश पौधों को बचाने की व्यवस्था होगी। ताकि लोगों को हरियाली नजर भी आए।


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