रेलवे स्टेशन पर बीमारी फैला रहे कबूतर, बैठने लायक नहीं रहते बेंच व फर्श, फैलती है बदबू Gorakhpur News
प्लेटफार्म नंबर तीन-चार और पांच-छह के पूर्वी छोर की स्थिति बेहद खराब है। पानी के नलों पर भी दिन-रात कबूतर बीट करते रहते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन पर कबूतरों की बीट बीमारी फैला रही है। प्लेटफार्म नंबर तीन से लगायत आठ तक के शेड में 24 घंटे कबूतरों का जमावड़ा रहता है। रात की बात ही छोडि़ए दिन में भी बेंच व फर्श यात्रियों के बैठने लायक नहीं रहते।
इस प्लेटफार्म की स्थिति तो और भी खराब
प्लेटफार्म नंबर तीन-चार और पांच-छह के पूर्वी छोर की स्थिति बेहद खराब है। पानी के नलों पर भी दिन-रात उनकी बीट गिरती रहती है। दिन में तो सफाईकर्मी एक-दो बार सफाई कर जाते हैं लेकिन रात के समय प्लेटफार्म पर गंदगी पूरी तरह से फैल जाती है।
कोरोना भय के बाद भी नहीं है ध्यान
यह तब है जब कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैला है। संक्रमण से बचाव के उपाय किए जा रहे हैं। ट्रेनों की बोगियों के हैंडल और बेंच भी सैनिटाइजर से साफ किए जा रहे हैं। लेकिन कबूतरों की बीट की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा। जानकारों का कहना है कि कबूतरों की बीट संक्रमित होती है। इसकी गंदगी से कई तरह की बीमारियां फैलती हैं।
कबूतर में पाए जाते हैं 70 तरह की बीमारियों के कारक
कबूतर में मनुष्य को होने वाली 70 तरह की बीमारियों के कारक पाए जाते है। इसमें मुख्य रूप से सलमेनेलोसिस, कैंडिडिआसिस, क्रिप्टो कोकोसिस, हिस्टो प्लास्मोसिस, लिस्टेरिओसिस, विषाणु जनित मैनिंजाइटिस आदि प्रमुख हैं।
उसी जगह बैठते हैं कबूतर
दरअसल जहां पर भी ज्यादा कबूतर होते हैं, वहां पर एक अजीब सी दुर्गंध होती है। यह कबूतर उन्हीं जगहों पर बैठना पसंद करते हैं, जहां पर इन्होंने बीट किया हो। जब यह बीट सूख जाती है तो पाउडर का रूप ले लेती है, और जब ये पंख फडफ़ड़ाते हैं तो बीट का पाउडर सांसों के जरिये हमारे भीतर पहुंच जाता है। पशु चिकित्साधिकारी डॉ संजय श्रीवास्तव का कहना है कि इसी से फेफड़े की भयंकर बीमारी होती है। कबूतरों पर शोध में खुलासा हुआ है कि इनकी बीट की वजह से कई बीमारियां पैदा हो सकती हैं।
महिला हो गई थी बीमार
हाल ही में पुणे के पीजीआई के पल्मोनरी विभाग में एक महिला को कबूतर की बीट की वजह से फेफड़े में संक्रमण का मामला सामने आया था। फेफड़ों में विशेष संक्रमण की जानकारी सामने आई थी। महिला के अनुसार उसके घर की छत पर कबूतरों ने घोंसला बना लिया था। करीब दो महीने बाद उसे खांसी, सांस लेने में तकलीफ और छाती में दर्द होने लगा। सीटी स्कैन में बीमारी ज्ञात हो सकी।