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गोरखपुर में 35 लाख लीटर अधिक 'देसी' पी गए शौकीन Gorakhpur News

गोरखपुर में इस वर्ष अब तक 35 लाख लीटर अधिक देसी शराब की बिक्री हुई है। इस बिक्री ने पिछले कई वर्षों के आंकड़ों को पीछे धकेल दिया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 04:13 PM (IST)
गोरखपुर में 35 लाख लीटर अधिक 'देसी' पी गए शौकीन Gorakhpur News
गोरखपुर में 35 लाख लीटर अधिक 'देसी' पी गए शौकीन Gorakhpur News

गोरखपुर, कौशल त्रिपाठी। महंगाई ने आम आदमी का बजट भले ही गड़बड़ा दिया हो, लेकिन शराब के शौकीनों पर इसका असर नहीं दिख रहा। मधुशालाओं में इनकी भीड़ बढ़ती ही जा रही है। विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 35 लाख लीटर अधिक देसी शराब की बिक्री हुई है। इस बिक्री ने पिछले कई वर्षों के आंकड़ों को पीछे धकेल दिया है।

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25 फीसद बढ़ी मांग, पिछले वर्ष तीन फीसद बढ़ी थी

चालू आबकारी सत्र के अभी आठ माह बीते हैं, लेकिन देसी मदिरा की खपत में 25 फीसद की वृद्धि ने विभाग के अफसरों को भी आश्चर्य में डाल दिया है। गत वर्ष तक यह वृद्धि तीन से चार फीसद तक रही है।

विभाग के आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष एक अप्रैल से 30 नवंबर के बीच एक करोड़ नौ लाख बल्क लीटर देसी मदिरा बिकी थी, जो इसी अवधि में इस साल बढ़कर एक करोड़ 44 लाख बल्क लीटर हो गई। शासन ने प्रति माह 12 लाख बल्क लीटर देसी शराब की बिक्री का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि मांग 16 लाख बल्क लीटर हो गई है। मांग के अनुसार देसी की आपूर्ति करने में अधिकारियों को ठंड में भी पसीने छूट रहे हैं।

जिले में कच्‍ची शराब के निर्माण व बिक्री पर प्रभावी रोक लगाने के कारण देसी मदिरा की खपत बढ़ी है। अप्रैल से नवंबर के बीच 4418 स्थानों पर दबिश देकर 155 भट्टियां तोड़ीं गईं और करीब 20 हजार क्विंटल लहन नष्ट किया गया। धंधेबाजों के खिलाफ 495 मुकदमे दर्ज हुए और 109 आरोपितों की गिरफ्तारी हुई। अपमिश्रित शराब बनाने वाले 20 धंधेबाजों को जेल भेजा गया। - विजय प्रताप सिंह, जिला आबकारी अधिकारी।

32 स्थानों पर हो रहा कच्‍ची शराब का निर्माण

गोरखपुर में 132 स्थानों पर कच्‍ची शराब का निर्माण हो रहा है और दिन-रात भट्टियां धधक रहीं हैं। इन स्थानों पर निर्मित शराब 370 स्थानों पर बेची जा रही है। यह जानकारी आबकारी विभाग की ओर से कराए गए सर्वे में मिली है। सर्वेक्षण में पता चला है कि कच्‍ची शराब का सर्वाधिक निर्माण चिलुआताल, शाहपुर, तिवारीपुर, राजघाट, खोराबार, चौरीचौरा, पिपराइच, कैंपियरगंज, गोला, खजनी व सहजनवां क्षेत्र में हो रहा है। आबकारी विभाग ने कच्‍ची का निर्माण कराए जाने वाले संदिग्ध स्थानों को सूचीबद्ध कराया है। इन 132 सूचीबद्ध स्थानों पर कुटीर उद्योग का रूप ले चुके काले कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए अभियान चलाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत प्रथम चरण में सेक्टर एक व दो में क'ची के कारोबार पर विराम लगाया जाएगा। नदियों के किनारों संग अमरूतानी व जंगल में हो रहे अवैध शराब का निर्माण रोकने के लिए संबंधित थानों की मदद भी लेने का निर्णय लिया गया है।

कच्‍ची निर्माण पर रोक के लिए मिले दो वाहन

ऑपरेशन गरल अभियान की सफलता के लिए आबकारी विभाग को दो चारपहिया वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। जिला आबकारी अधिकारी वीपी सिंह ने दो और वाहन मिलने की पुष्टि की। कहा कि विभाग के पास अब तीन वाहन हो गए हैं।

जिले में कच्‍ची शराब निर्माण के 132 स्थानों को सूचीबद्ध किया गया है। ऑपरेशन गरल के तहत क'ची के सर्वाधिक निर्माण वाले आठ स्थानों पर दबिश देकर एक दर्जन भट्ठियां तोड़ी जा चुकीं हैं। - अरविंद मिश्र, आबकारी निरीक्षक सेक्टर एक

कच्‍ची शराब पर अंकुश लगाने के लिए कई जगह छापेमारी की गई। 35 क्विंटल लहन नष्ट कराया जा चुका है। चिह्नित सभी 132 स्थानों पर कच्‍ची का निर्माण बंद कराया जाएगा।  - राकेश त्रिपाठी, आबकारी निरीक्षक सेक्टर दो


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