Coronavirus in Gorakhpur: गोरखपुर के इस अस्पताल में कोरोना मरीज ही कर रहे डाक्टरों का काम, वीडियो वायरल Gorakhpur News
एयरफोर्स के पास स्थित टीबी अस्पताल में कोरोना मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। न तो डाक्टर आ रहे हैं और न ही सफाई हो रही है। मरीज ही डाक्टर बनकर एक-दूसरे का इलाज कर रहे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। एयरफोर्स के पास स्थित टीबी अस्पताल में कोरोना मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। न तो डाक्टर आ रहे हैं और न ही सफाई हो रही है। मरीज ही डाक्टर बनकर एक-दूसरे का इलाज कर रहे हैं। टीबी अस्पताल में अव्यवस्था का वीडियो बनाकर किसी तीमारदार ने इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया है।
90 दिन में 63 मरीज भर्ती
13 अप्रैल से टीबी अस्पताल में कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने की शुरुआत की गई थी। लेवल टू के इस अस्पताल में उसी दिन से मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। बीते सात दिनों में 90 बेड के इस अस्पताल में 63 मरीज भर्ती हुए। इनमें अब तक इलाज के दौरान छह की मौत हो चुकी है। लापरवाही का आलम यह है कि छह मरीजों को स्वजन दूसरे अस्पताल लेकर चले गए। अब तक पांच मरीजों को अस्पताल प्रशासन ने रेफर किया है। आठ को डिस्चार्ज किया गया है।
गंदगी में लेटा दिख रहा संक्रमित
वायरल वीडियो में एक मरीज को गंदगी में लेटा दिखाया गया है। बताया जा रहा है कि वीडियो सोमवार को बनाया गया था। वार्ड में गंदगी दिख रही है। बेसिन चोक हो चुकी है और टायलेट गंदे हैं। वीडियो में नर्स और डाक्टर का कमरा खाली दिखा। अस्पताल में मरीज एक-दूसरे का इलाज और मदद करते दिख रहे हैं।
कागज में 10 डाक्टरों की तैनाती
टीबी अस्पताल में 10 डाक्टरों को नोडल अफसर बनाया गया है लेकिन इलाज तीन ही करते हैं। इसमें प्रमुख अधीक्षक डा. एके प्रसाद, डा. अखिलानंद त्रिगुण, डा. आशुतोष राय, डा. अंजनी गुप्ता, डा. राधेश्याम यादव, डा. जयश्री ठाकुर, डा. अभिषेक राय, डा. शिखा सिंह, डा. कमलेश और डॉ. मुकुल द्विवेदी शामिल हैं। जिला अस्पताल में ड्यूटी करने वाले तीन डाक्टरों को अतिरिक्त प्रभार के तौर पर इलाज की जिम्मेदारी दी गई है। इनमें डा. प्रशांत कुमार सिंह, डा. महेश चौधरी और डा. आनंद कुमार सिंह शामिल हैं।
कमियों की जानकारी है सीएमओ को
सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय का कहना है कि टीबी अस्पताल की व्यवस्था में कुछ कमियों की जानकारी मिली है। व्यवस्था ठीक कराई जा रही है। नोडल अफसरों को एडी हेल्थ ने तैनात किया है। वहां पर कर्मचारियों और डाक्टरों की संख्या बढ़ाई जा रही है। मरीजों को दवा न मिलने की जानकारी ली जा रही है।