गोरखपुर : गोरखधाम एक्सप्रेस की जनरल बोगी में सीट के लिए यात्रियों में भगदड़ Gorakhpur News
गोरखपुर में गोरखधाम एक्सप्रेस में सीट के लिए कुछ देर के लिए भगदड़ मच गई। यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों को लाठियां भांजनी पड़ी।
गोरखपुर, जेएनएन। होली बाद दिल्ली जाने वाली यात्रियों की भीड़ बढ़ी तो रेलवे के व्यवस्था की पोल खुल गई। प्लेटफार्म नंबर नौ पर 12555 गोरखधाम एक्सप्रेस में सीट के लिए कुछ देर के लिए भगदड़ मच गई। यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों को लाठियां भांजनी पड़ी। धक्कामुक्की के बाद भी लोगों को सीट नहीं मिली। कुछ यात्री प्लेटफार्म पर ही छूट गए।
टॉयलेट में बैठकर गए लोग
ट्रेन में सीट के लिए सुबह से ही लाइन लगनी शुरू हो गई। आरपीएफ ने लगभग आठ सौ लोगों को टोकन काटकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। कुछ ही देर में पूरा प्लेटफार्म यात्रियों से भर गया। जितना टोकन बुक हुआ था उससे डेढ़ गुना अधिक लोग और आ गए। छूटने से लगभग आधे घंटे पहले ट्रेन जब प्लेटफार्म पर लगी तो लोगों के सब्र का बांध टूट गया। सुरक्षा बलों ने महिलाओं के बाद पहले टोकन वाले यात्रियों को बैठाने की कोशिश की, लेकिन बिना टोकन के यात्री भी बोगियों में बैठने लगे। अफरातफरी के बीच कई लोग नीचे भी गिर गए। बोगियों की गैलरी और गेट तक लोग बैठ गए। जगह नहीं मिली तो कुछ टॉयलेट में घुस गए। जो नहीं चढ़ पाए वह हाथ मलते रह गए।
सिर्फ सात बोगियों के भरोसे दिल्ली की यात्रा
जनरल टिकट पर गोरखपुर से दिल्ली जाने वाले पूर्वांचल, बिहार और नेपाल के लोगों की यात्रा सिर्फ सात बोगियों के भरोसे हो रही है। दिल्ली के लिए पर्याप्त ट्रेनें है लेकिन उनमें जनरल के यात्रियों के लिए जगह ही नहीं है। गोरखपुर से रोजाना हमसफर चलती है। वह सिर्फ एसी यात्रियों के लिए है। बिहार से दिल्ली के लिए प्रतिदिन ट्रेनें चलती हैं, लेकिन फुल होकर गोरखपुर पहुंचती है। यहां के लोगों के लिए सिर्फ रोज चलने वाली एक गोरखधाम एक्सप्रेस ही बचती है, जिसमें सिर्फ सात कोच लगते हैं।
दिल्ली जाना जरूरी है। बोगी में चढ़ नहीं पाया हूं। लेट से पहुंचने पर टोकन भी नहीं ले पाया। वैशाली एक्सप्रेस पीछे है, उसी में प्रयास करुंगा। - मुन्ना कुमार, यात्री- गोपालगंज
आरक्षित टिकट नहीं मिला तो सोचा जनरल से ही यात्रा कर लूंगा। लेकिन भीड़ के चलते कोच में चढ़ नहीं पाया। त्योहारों के बाद हर साल यह दिक्कत आती है। - गोरखनाथ, यात्री- सिकरीगंज