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प्रदेश का दूसरा कुकरैल बन सकता है फरेंदा का परगापुर ताल Gorakhpur News

फरेंदा रेंज का परगापुर ताल 69 हेक्टेयर में फैला है। एक करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए वन विभाग को उम्मीद है कि उन्हें 50 लाख रुपये मौजूदा वित्तीय वर्ष में एवं 50 लाख अगले वित्तीय वर्ष में मिल जाएंगे।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 12:27 PM (IST)Updated: Sat, 26 Sep 2020 12:27 PM (IST)
प्रदेश का दूसरा कुकरैल बन सकता है फरेंदा का परगापुर ताल Gorakhpur News
कुकरैल में घडि़याल रखे जाने का प्रतीकात्‍माक फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। लखनऊ स्थित कुकरैल संरक्षित वन मगरमच्छ, घडिय़ाल व कछुओं का अभयारण्य है। इसकी स्थापना मगरमच्छों के संरक्षण के लिए की गई थी। आज वह इको टूरिज्म के रूप में विकसित हो चुका है। उसी की तर्ज पर फरेंदा रेंज के परगापुर ताल को विकसित करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए शासन स्तर पर स्वीकृति मिल गई है। ताल में ढाई हेक्टेयर में मगरमच्छ व ढाई हेक्टेयर में कछुए पाले जाएंगे। लोग वॉच टॉवर के जरिये इन्हें देख भी सकेंगे।

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69 हेक्टेयर में फैला है फरेंदा रेंज का परगापुर ताल

फरेंदा रेंज का परगापुर ताल 69 हेक्टेयर में फैला है। एक करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए वन विभाग को उम्मीद है कि उन्हें 50 लाख रुपये मौजूदा वित्तीय वर्ष में एवं 50 लाख अगले वित्तीय वर्ष में मिल जाएंगे। मगरमच्छ संरक्षण केंद्र बनाने के लिए ताल में दो मीटर गहराई तक मिट्टी निकाली जाएगी। उससे पांच हेक्टेयर के लिए ताल में किनारे-किनारे बांध बनाया जाएगा। ताल से निकाली गई मिट्टी से ही वहां टीले बनाए जाएंगे, ताकि मगरमच्छ बाहर निकल कर उस पर आराम कर सकें। इसमें पर्यावरण के अनुकूल बबूल के पौधे भी लगाए जाएंगे।

रोहिन व राप्ती नदी के भी मगरमच्छों को मिलेगा संरक्षण

जिले में स्थित रोहिन व राप्ती नदी में भी बड़े पैमाने पर मगरमच्छ हैं। ताल में कुकरैल संरक्षित वन से मगरमच्छ लाकर पाले जाएंगे। इसके अलावा रोहित व राप्ती नदी के मगरमच्छ भी पाले जाएंगे। इसके अलावा ढाई हेक्टेयर के हिस्से में कछुआ संरक्षण केंद्र बनेगा। इससे न सिर्फ कुछ लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि यह देसी-विदेशी पर्यटकों को भी अपनी तरफ आकर्षित करेगा।

वॉच टावर के जरिये लोग देखेंगे मगरमच्छ 

डीएफओ अविनाश कुमार का कहना है कि कैंपा योजना के तहत इसका प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। धन मिलते ही इसका कार्य शुरू कर दिया जाएगा। इससे मगरमच्छ, कछुआ व परिंदों को संरक्षण तो मिलेगा ही, लोगों को एक नया पर्यटन स्थल भी मिल जाएगा। वॉच टावर के जरिये लोग मगरमच्छ देख सकेंगे, ऐसी व्‍यवस्‍था की जा रही है।  


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