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सीरियल ब्लास्ट से गोरखपुर को दहला चुका है पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन

गोरखपुर से ISI जासूस केे गिरफ्तारी के बाद 2007 में गोरखपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट की घटना एक बार ताजा हो गई है। इस दिन पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने सीरियल ब्‍लास्‍ट किया था।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 09:26 PM (IST)
सीरियल ब्लास्ट से गोरखपुर को दहला चुका है पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन
सीरियल ब्लास्ट से गोरखपुर को दहला चुका है पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन

गोरखपुर, जेएनएन। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ से गोरखपुर के हनीफ का तार जुडऩे की बात सामने आने के बाद 22 मई 2007 को गोरखपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट की घटना एक बार ताजा हो गई है। पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन आइएम ने इस सीरियल ब्लास्ट की साजिश रची थी। इसमें छह लोग घायल हुए थे। इस मामले में पुलिस ने बाद में पुलिस ने आइएम से जुड़े तीन युवकों को गिरफ्तार किया था। हालांकि ब्लास्ट की साजिश रचने वालों के स्थानीय मददगारों का अभी तक पता नहीं चल पाया।

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सिलसिलेवार हुए थे धमाके

22 मई 2007 की शाम को गोलघर की चहल-पहल अपने सवाब पर थी। जगह-जगह लोग खरीदारी करने में व्यस्त थे। इसी बीच ठीक सात बजे जलकल गेट के सामने ट्रांसफार्मर के पास पहला ब्लास्ट हुआ। हालांकि धमाका अपेक्षाकृत कम आवाज वाला था, लेकिन आसपास अफरा-तफरी मच गई। लोग अभी धमाके की वजह समझ पाते कि इसी बीच पांच-पांच मिनट के अंतराल पर बलदेव प्लाजा के सामने पेट्रोल पंप के पास और गणेश चौराहे के पास ट्रांसफार्मर के पास इसी तरह का विस्फोट हुआ। लगातार तीन ब्लास्ट होने के बाद पूरे शहर में अफरा-तफरी फैल गई थी। गणेश चौराहे के पास हुए ब्लास्ट में छह लोग मामूली रूप से घायल हुए थे। दो अन्य ब्लास्ट में कोई हताहत नहीं हुआ था।

टिफिन में रखा गया था विस्फोटक 

बाद में छानबीन में पता चला कि तीनों स्थानों पर साइकिल में लटका कर रखे गए टिफिन में विस्फोटक रखा गया था। किसी गड़बड़ी की वजह से विस्फोटक उतना प्रभावी नहीं साबित हुआ जितनी बड़ी साजिश आतंकियों ने रची थी। इस मामले में पुलिस ने बाद में सिद्धार्थनगर में नेपाल सीमा से एक और बाराबंकी से दो युवकों को गिरफ्तार किया था। तीनों का संबंध पुलिस ने पाकिस्तान समर्थित खुफिया एजेंसी से होने का दावा किया था। विस्फोट के दो दिन बाद गोरखपुर दौरे पर आए तत्कालीन डीजीपी ने साजिश में स्थानीय लोगों के शामिल होने की बात कबूल की थी, लेकिन उनकी गिरफ्तारी आज तक नहीं हो पाई। विस्फोटक रखने के लिए साइकिलों की खरीदारी घटना से एक सप्ताह पहले कोतवाली इलाके में रेती रोड पर स्थित दो दुकानों से की गई थी।

टेरर फंडिंग से भी जुड़ते रहे हैं तार

गोरखपुर से टेरर फंडिंग के भी तार जुड़ते रहे हैं। 25 मार्च 2018 को एटीएस ने गोरखपुर में छापेमारी कर मोबाइल के फोन के थोक कारोबार से जुड़े नसीम अहमद और बॉबी को बलदेव प्लाजा स्थित उनकी दुकान से गिरफ्तार किया था। उनके अलावा चार अन्य लोग भी गिरफ्तार किए गए थे। पाकिस्तानी आका के इशारे में पर ये आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए धन मुहैया कराते थे। पहले इनके खाते में रुपये भेजे जाते थे। जिसे बाद में वे पाकिस्तानी आका के निर्देश पर नेटवर्क से जुड़े दूसरे लोगो के खाते में भेज देते थे। टेरर फंडिंग के ही नेटवर्क से जुड़े शाहपुर इलाके के बिछिया मोहल्ला निवासी रमेश शाह को एटीएस ने महाराष्ट्र जून 2018 में गिरफ्तार किया था। टेरर फंडिंग के रूपये से ही उसने गोरखपुर में काफी जमीन खरीद रखी थी और होटल के धंधे में उतरने की तैयारी कर रहा था। इसी बीच एटीएस ने उसे दबोच लिया था।


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