गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Padma Award 2023: साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष, नामचीन कवि व आलोचक प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को पद्मश्री सम्मान की घोषणा के बाद उनकी लेखनी के कायल प्रशंसक खुश हैं। दूरभाष पर बातचीत में साहित्यकार विश्वनाथ तिवारी ने कहा कि यह सम्मान भारत सरकार के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है। सरकार किसी लेखक को बिना मांगे या प्रयत्न किए यदि यह सम्मान देती है, तो उसे इसका आदर करना चाहिए। मैं शुरू से आज तक एक तटस्थ लेखक के रूप में रहा हूं। अगर ऐसे लेखक को सरकार ने सम्मानित किया है तो यह उसकी भी तटस्थता प्रदर्शित करता है।
'काम में गुणवत्ता होगी तो अच्छे ही परिणाम होंगे'
विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने कहा कि इस समय मैं साढ़े 82 वर्ष का हो गया हूं। यह सम्मान अगर कुछ समय पहले मिला होता तो मुझे और भी ज्यादा खुशी होती। नए लेखकों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को लेखन की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। परिणाम की चिंता किए बगैर काम करते रहना चाहिए। काम में गुणवत्ता होगी तो अच्छे ही परिणाम होंगे।
ये हैं प्रो. तिवारी की उपलब्धियां
कुशीनगर जिले के रायपुर भैंसही-भेड़िहारी गांव के रहने वाले प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 2013 से 2017 तक वह साहित्य अकादमी, दिल्ली के अध्यक्ष रहे हैं। प्रो. तिवारी 1978 से हिंदी की साहित्यिक पत्रिका ‘दस्तावेज’ का संपादन व प्रकाशन कर रहे हैं। अबतक इसके लगभग दो दर्जन विशेषांक प्रकाशित हुए हैं। ‘दस्तावेज’ के लिए उन्हें सरस्वती सम्मान भी मिल चुका है। अबतक उनके शोध व आलोचना के 12 ग्रंथ, सात कविता संग्रह, चार यात्रा संस्मरण, तीन लेखक-संस्मरण व एक साक्षात्कार प्रकाशित हो चुके हैं। मूल रूप से साहित्य के लिए वह इंग्लैंड, मारीशस, रूस, नेपाल, अमरीका, नीदरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, चीन, आस्ट्रिया, जापान और थाईलैंड आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं।
मिल चुका है ये सम्मान
प्रो. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को भारतीय ज्ञानपीठ का प्रतिष्ठित मूर्तिदेवी पुरस्कार, साहित्य अकादमी का महत्तर सम्मान, सरस्वती सम्मान, व्यास सम्मान, रूस का पुश्किन सम्मान, शिक्षक श्री सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान, महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन सम्मान, महादेवी वर्मा गोयनका सम्मान, भारतीय भाषा परिषद का कृति सम्मान मिल चुका है।