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गोरखपुर के खाद कारखाने में यूरिया के साथ बनेगी जैविक खाद

एचयूआरएल से किसानों को पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद भी मिल सकेगी। कई लोग अपने खेतों में जैविक खाद का इस्तेमाल कर भी रहे हैं। एचयूआरएल प्रबंधन ने अपनी मार्केटिंग टीम को ऐसे किसानों की सूची बनाने को कहा है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 03:16 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 05:38 PM (IST)
गोरखपुर के खाद कारखाने में यूरिया के साथ बनेगी जैविक खाद
गोरखपुर के खाद कारखाने में यूरिया के साथ बनेगी जैविक खाद। खाद कारखाने की फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के खाद कारखाना में नीम कोटेड यूरिया के साथ ही जैविक खाद भी बनाई जाएगी। जैविक खाद बनाने का ट्रायल शुरू हो चुका है। आठ से 10 टन गोबर से जैविक खाद बनाई जा रही है। केंचुओं की सहायता से खाद को उर्वरा कर फिलहाल कारखाना परिसर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

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पर्याप्‍त मात्रा में मिल सकेगी जैविक खाद

एचयूआरएल से किसानों को पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद भी मिल सकेगी। कई लोग अपने खेतों में जैविक खाद का इस्तेमाल कर भी रहे हैं। एचयूआरएल प्रबंधन ने अपनी मार्केटिंग टीम को ऐसे किसानों की सूची बनाने को कहा है। जैविक खाद से पैदा होने वाले अनाज रासायनिक खाद का इस्‍तेमाल किए गए अनाज की तुलना में अधिक पोष्टिक और स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक होते हैं।

बड़े पैमाने पर होगा उत्पादन

एचयूआरएल परिसर में जैविक खाद के उत्पादन का ट्रायल सफल होने पर प्रबंधन ने बड़े पैमाने पर काम करने की योजना बनाई है। गोबर की जरूरत कारखाना परिसर में स्थित गोशाला से पूरी की जाएगी। आवश्यकता पर अगल-बगल से गोबर की खरीद की जाएगी। इसके अलावा जिन इलाकों में गोबर की मात्रा ज्यादा मिलेगी वहां जैविक खाद का उत्पादन शुरू होगा। ऐसी जगहों पर किसानों के साथ जुड़कर भी जैविक खाद बनाने की योजना है।

60 रुपये किलो में बिकती है जैविक खाद

जैविक खाद 55 से 60 रुपये प्रति किलोग्राम बिकती है। इसे छोटे-छोटे पैकेट में रखकर बेचा जाता है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार आने वाले दिनों में जिले में हर साल 60 हजार टन से ज्यादा जैविक खाद की आवश्यकता है। अभी काफी कम मात्रा में ही जैविक खाद का उत्पादन हो पा रहा है।

40-45 दिन में हो रही तैयार

खाद कारखाना में जैविक खाद 40-45 दिनों में तैयार हो रही है। इसका इस्तेमाल परिसर में किया जा रहा है। जैविक खाद से तैयार खेत में पौधे लगाए जा रहे हैं।


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