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छह घंटे काम पर मिलते हैं सिर्फ 25 रुपये, कई बार पारिश्रमिक बढ़ाने के लिए जा चुका है प्रस्ताव Gorakhpur News

मनरेगा मजदूरों के साथ अन्य मजदूरों की मजदूरी में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है लेकिन देवरिया जिला कारागार में छह घंटे तक पसीना बहाने वाले कैदियों के पारिश्रमिक के रूप में वर्षों से बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। जेल में बंद कैदी 25 रुपये पा रहे हैं।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 11:55 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 11:55 AM (IST)
छह घंटे काम पर मिलते हैं सिर्फ 25 रुपये, कई बार पारिश्रमिक बढ़ाने के लिए जा चुका है प्रस्ताव Gorakhpur News
देवरिया स्थित जिला कारागार, जहां कैदियों को काम के बदले 25 रुपये ही दिए जा रहे।

गोरखपुर, जेएनएन: मनरेगा मजदूरों के साथ अन्य मजदूरों की मजदूरी में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, लेकिन देवरिया जिला कारागार में छह घंटे तक पसीना बहाने वाले कैदियों के पारिश्रमिक के रूप में वर्षों से बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। जेल में बंद कैदी 25 रुपये पा रहे हैं। कई बार पारिश्रमिक चार गुना बढ़ाने के लिए सिफारिश भी की गई, लेकिन पारिश्रमिक में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हो सकी है। उसी जेल में बाहर से आए मजदूरों को ज्यादा दाम मिलता है। जिला कारागार के बंदी व कैदी से काम लिया जाता है, जहां कैदी को काम करना जरूरी होता है। वहीं बंदी को स्‍वेच्‍छा से काम कराया जाता है। काम करने वाले कैदियों की भी तीन श्रेणी होती है। एक श्रेणी है जो काम जानते ही नहीं, उन्हें काम सिखाया जाता है। कुछ आधा-अधूरा जानते हैं, बहुत ऐसे बंदी है जो पूरी तरह से काम में पारंगत होते हैं। मजदूरी करने वाले कैदी को 25, अर्ध कुशल कैदी को 30 रुपये तथा कुशल कारीगर को 35 रुपये पारिश्रमिक दिया जा रहा है। खास बात यह है कि आज मनरेगा मजदूर 201 रुपये पा रहे हैं। छह घंटे काम करने वाले कैदी 25 रुपये पारिश्रमिक पा रहे हैं।

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खेतों में काम करने की होती है जिम्मेदारी

जिला कारागार में देवरिया के अलावा कुशीनगर जनपद के कैदी भी बंद हैं। देवरिया जेल में कैदियों से खाना बनाने, सब्जी उगाने, खेतों में कार्य करने, सफाई, अंदर बैरकों में टूटे फर्श का प्लास्टर, नाली निर्माण समेत अन्य कार्य लिए जाते हैं। यहां अधिकांश कैदियों को 25 रुपये दिए जाते हैं। कारागार में लगभग 1700 बंदी व कैदी बंद हैं। खास बात यह है कि यहां बैरकों में बंद हर कैदी कार्य करने को तैयार रहता है, लेकिन जेल प्रशासन 160 से अधिक कैदी से एक दिन में मजदूरी नहीं करा सकता है, इसलिए अधिकांश कैदी जेल प्रशासन से नाराज रहते हैं। खास बात यह है कि कुछ कैदी इसलिए कार्य करना चाहते हैं कि दिन भर मेहनत करने से उन्हें यह नहीं लगता कि वह जेल में बंद हैं। मजदूरी करने वाले कैदियों को जेल प्रशासन चेक से मजदूरी का भुगतान चार से पांच माह पर एक बार करता है।

कई बार उच्‍चाधिकारियों ने भेजा प्रस्‍ताव

जेल अधीक्षक केपी त्रिपाठी ने कहा कि पारिश्रमिक राशि बढ़ाने के लिए कई बार उच्‍चाधिकारियों ने प्रस्ताव भेजा है, लेकिन अभी तक पारिश्रमिक बढ़ाने के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है।


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