प्याज : थोक में कुछ राहत, फुटकर में मनमानी कर रहे दुकानदार Gorakhpur News
प्याज और लहसुन के थोक और खुदरा मूल्य में भारी अंतर के कारण उपभोक्ताओं की जेब ढीली हो रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। सखी सईयां तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाए जात है...हिंदी फिल्म पीपली लाइव का यह गाना रिलीज होने के नौ वर्ष बाद भी प्रासंगिक है। सब्जियों के फुटकर बाजार में उपभोक्ताओं के जेब पर डाका से हर घर में हाय-तौबा मची है। प्याज और लहसून का भाव सुन आंख से आंसू सहज ही आ रहे हैं। फुटकर व खुदरा बाजार में भारी अंतर से आम आदमी की जेब हर रोज ढीली हो रही है।
थोक में 50-60, फुटकर में बिक रहा 80-100 रुपये किलो
प्याज थोक में जहां 50-60 रुपये तौला जा रहा वही फुटकर दुकानदार इसकी कीमत 80-100 रुपये प्रति किलो वसूल रहे। लहसुन का थोक भाव 120 से 140 रुपये है, जबकि फुटकर दुकानदार इसे 180-200 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं। जिससे उपभोक्ताओं में त्राहि-त्राहि मची है।
गृहणियों की जुबानी
गृहिणी इंदू देवी कहती हैं प्याज की महंगाई ने किचेन का स्वाद बिगाड़ दिया है। बाजार व्यवस्था पर अंकुश लगाना चाहिए। गोदामों पर छापामारी कर आम आदमी को सस्ता प्याज मुहैया कराना चाहिए। गृहिणी पुष्पलता देवी कहती हैं आम आदमी प्याज, लहसून व हरी सब्जियों की महंगाई से परेशान है। उपभोक्ताओं के जेब पर डाका पड़ रहा है। फुटकर बाजार पर प्रशासनिक नियंत्रण जरूरी है। गृहिणी प्रतिभा देवी कहती हैं प्याज बगैर किचेन का स्वाद बिगड़ रहा है। जिसे एक वक्त चार प्याज की जरूरत है वह एक प्याज से ही काम चला रहा है। लहसून भी तंग कर रहा है।
व्यापारियों का दर्द
जमालु कहते हैं प्याज महंगे दाम पर खरीदा जा रहा है तो सस्ते पर कैसे मुहैया कराया जाएगा। दिनेश ने कहा कि जहां से प्याज की आवक हो रही है, वहीं से ऊंचे दाम पर उठ रहा है। ट्रांसपोर्ट का खर्च जोड़कर बाजार में रेट बढ़ रहा है। इसे तो उपभोक्ताओं को ही सहना पड़ेगा।