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अर्थदंड से बचने के लिए अफसरों गायब करवा दी फाइल

जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी न देने पर अधिकारियों पर लगाया गया था जुर्माना, अधिकारियों ने गायब करा दीं जुर्माने की फाइलें।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 28 Sep 2018 01:56 PM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 09:58 AM (IST)
अर्थदंड से बचने के लिए अफसरों गायब करवा दी फाइल
अर्थदंड से बचने के लिए अफसरों गायब करवा दी फाइल

गोरखपुर/बस्‍ती, (संजय विश्वकर्मा)। जन सूचना अधिकार अधिनियम में दंडित किए गए अफसरों ने बचने का रास्ता ढूंढ लिया है। बस्ती जनपद के 63 अफसरों ने अर्थदंड जमा करने की जगह उससे जुड़ी फाइल की दबवा दी। सूचना न पाने वाले आवेदकों को लगा सूचना नहीं मिली तो क्या राज्य सूचना आयोग ने इसकी सजा 25-25 हजार अर्थदंड लगाकर दे दी है। लेकिन यह जानकार उनको हैरत होगा कि आयोग का यह आदेश दोषी अफसरों के लिए बेमानी साबित हो रहा है।

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जनपद में सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 बेमानी साबित हो रहा है। आवेदकों की लाख कोशिशों के बावजूद उन्हें अधिकारी समय से सूचनाएं नहीं दे रहे हैं। एक तरह से वह कानून का ही माखौल उड़ा रहे हैं। उन पर लगे अर्थदंड की वसूली के आदेश दफ्तरों में धूल फांक रहे हैं। मामला जो ठहरा अफसर का। बस्ती में डीडीओ सहित 63 जनसूचना अधिकारियों के वेतन से 15.75 लाख रुपये अर्थदंड की कटौती होनी थी, मगर अब तक ऐसा नहीं हो पाया। मामला डीएम डा.राजशेखर के संज्ञान में आया तो वह भौंचक रह गए। मुख्य विकास अधिकारी से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी गई है।

आरटीआइ के तहत सूचना देने के लिए आवेदकों से पर्याप्त शुल्क लेने के बाद भी उन्हें आधी-अधूरी सूचनाएं देकर कोरम पूरा किया जा रहा है। अधिकारियों के इस रवैए की शिकायत उच्चाधिकारियों से करने के साथ ही आवेदक राज्य सूचना आयोग का भी दरवाजा खटखटा रहे हैं। इसी कारण जिले में बड़ी संख्या में अधिकारियों पर अर्थदंड लगा है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि अर्थदंड लगने के बाद भी अधिकारियों के रवैये में बदलाव नहीं अाया है।

वर्ष 2011 से नहीं हुई अर्थदंड की वसूली

अर्थदंड की वेतन से कटौती में वर्ष 2011 से लापरवाही की जा रही है। तत्कालीन खंड विकास अधिकारी सांऊघाट और बस्ती सदर पर 25000-25000 रुपये का अर्थदंड आरोपित किया गया था। इसकी वसूली अब तक नहीं हो सकी।  वर्ष 2012 में तत्कालीन खंड विकास अधिकारी गौर मंशाराम, वर्ष 2013 में तत्कालीन खंड विकास अधिकारी सल्टौआ और कुदरहा से तो वर्ष 2014 में तत्कालीन खंड विकास अधिकारी बस्ती सदर, कुदरहा आदि से 25-25 हजार रुपये अर्थदंड की वसूली होनी थी। इसके बाद लगातार यह सिलसिला चलता रहा। खंड विकास अधिकारी से लेकर ग्राम पंचायत व ग्राम विकास अधिकारी के वेतन से अर्थदंड की वसूली के आदेश दिए गए। जनवरी 2018 में तत्कालीन डीडीओ से 25000 रुपये अर्थदंड की वसूली के आदेश हुए, मगर सभी आदेश रद्दी की टोकरी में चले गए।

जिम्मेदारों पर लटकी कार्रवाई की तलवार

इस संबंध में बस्‍ती के मुख्‍य विकास अधिकारी अरविंद कुमार पांडेय ने कहा कि जनसूचना अधिकार अधिनियम के 63 प्रकरण में अब तक अर्थदंड की वसूली नहीं हुई है। इसके लिए डीएम डा. राजशेखर की ओर से अर्थदंड की वसूली न करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों ,कर्मचारियों और पटल सहायक के विरुद्ध अब तक क्या-क्या कार्रवाई की गई नाम सहित पूरी रिपोर्ट, पत्रावली के साथ मांगी गई है। ऐसे अधिकारी जो जिले से स्थानांतरित हो चुके हैं उनके वेतन से अर्थदंड की कटौती के लिए पत्राचार करने का निर्देश डीएम ने दिया है।


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