Indian Railways: अब अपने बंगले पर प्यून नहीं रख सकेंगे रेलवे के अफसर
भारतीय रेलवे ने अपने खर्चों में कटौती के क्रम में क्लास वन अफसरों को अपने बंगलों पर प्यून तैनात करने पर रोक लगा दी है।
गोरखपुर, जेएनएन। रेलवे के अफसर (क्लास वन) अब अपने बंगले पर प्यून यानी टीएडीके (टेलीफोन एंड डाक अटेंडेंट) नहीं रख सकेंगे। रेलवे बोर्ड ने नई तैनाती पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही एक जुलाई के बाद की तैनाती की समीक्षा करने के लिए भी निर्देशित कर दिया है। रेलवे बोर्ड ने इस आशय का दिशा-निर्देश गुरुवार को भारतीय रेलवे के समस्त महाप्रबंधकों को जारी कर दिया है। दरअसल, यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही थी। क्लास वन रेल अधिकारियों को अपने बंगले पर प्यून रखने का अधिकार था। बंगले पर तीन साल तक कार्य करने के बाद प्यून की तैनाती रेलवे कर्मचारी के रूप में हो जाती थी। प्यून के रेलकर्मी बन जाने के बाद अफसर फिर से नई तैनाती कर लेते थे। रेलवे बोर्ड के इस निर्णय का पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ (पीआरकेएस) ने स्वागत किया है। प्रवक्ता एके सिंह का कहना है कि संघ लगातार इस व्यवस्था को समाप्त करने की मांग करता रहा है। यह व्यवस्था पारदर्शी नहीं रह गई थी। भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा था।
पूर्वोत्तर रेलवे : माल ढुलाई के लिए नए ग्राहकों को तलाशेगा रेलवे
रेलवे प्रशासन अब स्वयं व्यापारियों के पास पहुंचेगा। साथ ही नए ग्राहक भी तलाशेगा। व्यापारियों को दी जाने वाली छूट के बारे में जानकारी देने के साथ ऑनलाइन सिस्टम के बारे में भी अवगत कराएगा। व्यापारियों को सुविधा देने के उद्देश्य से पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने मुख्यालय और मंडल स्तर पर कमेटी बनाई है। कमेटी में बुकिंग क्लर्क से लगायत टीटीई और वाणिज्य विभाग के अन्य रेलकर्मी शामिल हैं। टीम के सदस्य अपने दफ्तरों में रेलवे का कार्य निपटाने के बाद व्यापारियों के यहां जाएंगे। वे रेलवे से माल ढुलाई के फायदे गिनाते हुए उन्हें आकर्षित करेंगे। व्यापारियों से सुझाव भी मांगेंगे। रेलवे प्रशासन व्यापारियों की समस्याओं को दूर तो करेगा ही अतिरिक्त सुविधा भी मुहैया कराएगा। पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मण्डल में गोरखपुर, आनन्दनगर, सीतापुर, गोण्डा और लखनऊ को कलस्टर बनाया गया है। दरअसल, यात्री ट्रेनें निरस्त होने के बाद रेलवे प्रशासन माल ढुलाई पर अधिक ध्यान दे रहा है। मालाभाड़ा में लगातार रियायतें भी दी जा रही हैं।