असमिया भाषा में भी प्रकाशित हो रहा श्रीरामचरित मानस
गोरखपुपर की गीताप्रेस से कुल 15 भाषाओं में धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन हो रहा है। तुलसीकृत श्रीरामचरित मानस का प्रकाशन भी नौ भाषाओं में हो चुका है।
By Edited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 02:07 PM (IST)
गोरखपुर (जेएनएन)। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की मर्यादा अब असमिया भाषा में संवाद करने जा रही है। गोस्वामी तुलसीदास लिखित श्रीरामचरितमानस का प्रकाशन गीताप्रेस अब असमिया में कर रहा है। इससे अहिंदी भाषी असम के लोग भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के आदर्श को गोस्वामी तुलसीदास के नजरिए से पढ़ व समझ सकेंगे। यह ग्रंथ असम के लोगों को परिवार व समाज में अपने उत्तम चरित्र के साथ जीने की कला सिखाएगा।
15 भाषाओं में होती है धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन
गीताप्रेस कुल 15 भाषाओं में धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन करता है, श्रीरामचरितमानस का प्रकाशन अब तक नौ भाषाओं में हो चुका है। असमिया में प्रकाशन 10वीं भाषा है। असमिया भाषा में प्रकाशित होने वाला श्रीरामचरितमानस ग्रंथाकार है, इसकी लंबाई 27.5 सेमी और चौड़ाई 19 सेमी है। इसमें कुल 976 पृष्ठ हैं। पहली बार दो हजार प्रतियां प्रकाशित की जा रही हैं। इसका मूल्य 260 रुपये रखा गया है। इसके अनुवाद में लगभग दो साल लगे हैं।
इन भाषाओं में हो चुका है श्रीरामचरित मानस का प्रकाशन
अब तक नौ भाषाओं में श्रीरामचरितमानस का प्रकाशन गीताप्रेस से हो चुका है। 15 अक्टूबर 2018 तक कुल भाषाओं की मिलाकर इस ग्रंथ की 3,31,20,750 प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। अब तक यह हिंदी, अंग्रेजी, उड़िया, तेलुगु, मराठी, गुजराती, कन्नड़, बंग्ला व नेपाली में प्रकाशित हो चुका है।
असमिया में प्रकाशित अन्य ग्रंथ
गीताप्रेस से अब तक असमिया भाषा में कुल 16 ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। इन ग्रंथों में गीता प्रबोधिनी, मानव मात्र के कल्याण के लिए, श्रीमद्भगवद्गीता, सुंदरकांड सटीक, गृहस्थ में कैसे रहें, भज गोविंदम, महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव, श्रीमद्भागवत महात्म्य, गीता माधुर्य, आदर्श नारी सुशीला, शरणागति, एक संत की वसीयत, हनुमान चालीसा, शिव चालीसा, गीता पढ़ने के लाभ, सत्संग की कुछ सार बातें हैं।
माह के अंत तक बिक्री के लिए उपलब्ध
इस संबंध में गीताप्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि श्रीरामचरितमानस का असमिया भाषा में प्रकाशन शुरू हो चुका है। असम के अहिंदी भाषी लोगों को ध्यान में रखकर इस ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है। अक्टूबर के अंत तक इसे बिक्री के लिए गीताप्रेस केंद्रों को उपलब्ध करा दिया जाएगा।
15 भाषाओं में होती है धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन
गीताप्रेस कुल 15 भाषाओं में धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन करता है, श्रीरामचरितमानस का प्रकाशन अब तक नौ भाषाओं में हो चुका है। असमिया में प्रकाशन 10वीं भाषा है। असमिया भाषा में प्रकाशित होने वाला श्रीरामचरितमानस ग्रंथाकार है, इसकी लंबाई 27.5 सेमी और चौड़ाई 19 सेमी है। इसमें कुल 976 पृष्ठ हैं। पहली बार दो हजार प्रतियां प्रकाशित की जा रही हैं। इसका मूल्य 260 रुपये रखा गया है। इसके अनुवाद में लगभग दो साल लगे हैं।
इन भाषाओं में हो चुका है श्रीरामचरित मानस का प्रकाशन
अब तक नौ भाषाओं में श्रीरामचरितमानस का प्रकाशन गीताप्रेस से हो चुका है। 15 अक्टूबर 2018 तक कुल भाषाओं की मिलाकर इस ग्रंथ की 3,31,20,750 प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। अब तक यह हिंदी, अंग्रेजी, उड़िया, तेलुगु, मराठी, गुजराती, कन्नड़, बंग्ला व नेपाली में प्रकाशित हो चुका है।
असमिया में प्रकाशित अन्य ग्रंथ
गीताप्रेस से अब तक असमिया भाषा में कुल 16 ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। इन ग्रंथों में गीता प्रबोधिनी, मानव मात्र के कल्याण के लिए, श्रीमद्भगवद्गीता, सुंदरकांड सटीक, गृहस्थ में कैसे रहें, भज गोविंदम, महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव, श्रीमद्भागवत महात्म्य, गीता माधुर्य, आदर्श नारी सुशीला, शरणागति, एक संत की वसीयत, हनुमान चालीसा, शिव चालीसा, गीता पढ़ने के लाभ, सत्संग की कुछ सार बातें हैं।
माह के अंत तक बिक्री के लिए उपलब्ध
इस संबंध में गीताप्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी का कहना है कि श्रीरामचरितमानस का असमिया भाषा में प्रकाशन शुरू हो चुका है। असम के अहिंदी भाषी लोगों को ध्यान में रखकर इस ग्रंथ का प्रकाशन किया जा रहा है। अक्टूबर के अंत तक इसे बिक्री के लिए गीताप्रेस केंद्रों को उपलब्ध करा दिया जाएगा।
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