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बिजली निगम के अफसर सीधे दर्ज करा सकेंगे मुकदमा

गोरखपुर-बस्ती मंडल में इसी साल बिजली थाना (एंटी पॉवर थेफ्ट पुलिस थाना) खोलने के लिए शासन ने तैयारी पूरी कर ली है

By Edited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 12:37 PM (IST)
बिजली निगम के अफसर सीधे दर्ज करा सकेंगे मुकदमा
बिजली निगम के अफसर सीधे दर्ज करा सकेंगे मुकदमा
गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। गोरखपुर-बस्ती मंडल में इसी साल बिजली थाना (एंटी पॉवर थेफ्ट पुलिस थाना) खोलने का रास्ता साफ हो गया है। बिजली निगम ने दोनों मंडलों के सातों जिलों में बिजली थाने के लिए भवन चिह्नित कर लिए हैं। थाने पुराने भवनों में खुलेंगे। कुछ जगहों पर भवन के रेनोवेशन का काम भी शुरू हो गया है। यह थाने खुलने से बिजली विभाग के अफसर सीधे बिजली चोरों के खिलाफ सीधे मुकदमा दर्ज करा सकेंगे।
गुजरात में सफलतापूर्वक चल रहे थाने
गुजरात में बिजली थाना बनाने के बाद चोरों के खिलाफ कार्रवाई में आसानी हुई है। बिजली चोरी पर शिकंजा कसने का परिणाम है कि गुजरात में लाइनलॉस में भी कमी आई है। इसे देखते हुए वर्ष 2017 में प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में बिजली थाना बनाने का निर्णय लिया था।
इंस्पेक्टर होंगे प्रभारी 
बिजली थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर होंगे। उनके साथ बिजली निगम के जेई, पांच सब इंस्पेक्टर, 11 हेड कांस्टेबल, नौ कांस्टेबल, लाइनमैन, दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी होंगे। बिजली चोरी की एफआइआर दर्ज करने के बाद यही जांच कर फाइल रिपोर्ट भी लगाएंगे।
यहां खुलेंगे बिजली थाने
गोरखपुर : अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड द्वितीय मोहद्दीपुर के पुराने कार्यालय भवन में। कुशीनगर- रामकोला उपकेंद्र परिसर स्थित टाइप सी भवन में।
देवरिया :
अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड देवरिया कार्यालय के भवन में।
महराजगंज : अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड आनंदनगर में नवनिर्मित कार्यालय के ऊपरी तल पर। बस्ती : गिदही उपकेंद्र परिसर में पुराने डी टाइप आवास में।
सिद्धार्थनगर : सिद्धार्थनगर उपकेंद्र परिसर में पुराने डी टाइप आवास में।
संतकबीर नगर  : मेंहदावल उपकेंद्र परिसर में टाइप सी भवन में।
बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवाई में आएगी तेजी
इस संबंध में चीफ इंजीनियर एमके अग्रवाल ने कहा कि बिजली थाने की कवायद तेजी से चल रही है। थाना खुल जाने के बाद बिजली चोरों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आएगी और जांच भी जल्द पूरी होगी। पुलिस थानों में पहले से ही इतने ज्यादा मामले होते हैं कि बिजली चोरी की जांच में विलंब हो जाता है। कार्रवाई न हो पाने के कारण राजस्व वसूली पर भी असर पड़ता है।

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